ताड़मेटला में 246 मकानों को किसने जलाया, साक्ष्य नहीं
रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को ताड़मेटला, मोरपल्ली, तिम्मापुरम मुठभेड़ व अग्निकांड तथा दोरनापाल में स्वामी अग्निवेश के साथ घटित घटना की न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश की गई. विशेष न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति टीपी शर्मा ने निष्कर्ष में कहा है कि ग्राम मोरपल्ली के 31 मकानों, ग्राम तिम्मापुरम के 59 मकानों और ग्राम ताड़मेटला के 160 मकानों में आग लगी थी, जिसमें लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए थे. ग्राम तिम्मापुरम के 4-5 मकान पुलिस द्वारा दागे गए यूजीबीएल ग्रेनेड से जले. ग्राम तिम्मापुरम के 55 मकान, ग्राम मोरपल्ली के 31 मकान व ताड़मेटला के 160 मकान किनके द्वारा जलाए गए, इस संबंध में कोई
स्वीकार योग्य साक्ष्य नहीं है. ये मकान क्यों जलाए गए, किस कारण जलाए गए, इस संबंध में भी साक्ष्य नहीं है. आयोग ने कहा है कि आगजनी की घटना के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता है. तिम्मापुरम में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में पुलिस
के 3 जवान शहीद हुए थे.
प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह न्यायिक आयोग ने घटना पुनरावृत्ति रोकने के संबंध में कई सुझाव भी दिए हैं. इसमें कहा गया है कि बस्तर क्षेत्र का एक समूह जो माओवादी के रूप में कार्य कर रहा है, वे बस्तर क्षेत्र के दूसरे पक्ष जो पुलिस या एसपीओ के रूप में कार्य कर रहे हैं, उसके साथ मुठभेड़ करते हैं और अपने ही क्षेत्र के व्यक्तियों की हत्या करते हैं. ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होना और लगातार विद्यमान रहना स्वयं में एक गंभीर प्रश्न है और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह है. न समुचित शिक्षा, न सुरक्षा आयोग ने कहा है कि शासन और प्रशासन का कर्तव्य है कि क्षेत्र की जनता की शिक्षा, समग्र विकास और सुरक्षा सुनिश्चित करे, लेकिन
सााक्ष्यों से स्पष्ट है कि इन क्षेत्रों में न तो समुचित शिक्षा है, न तो ग्रामीणों की समग्र सुरक्षा है और न ही क्षेत्र का समग्र विकास है. दूरस्थ गांवों के निवासी साक्षर होंगे, उन्हें अपने भले-बुरे का ज्ञान होगा और उनके जीवनयापन की आवश्यकताओं की पूर्ति का मार्ग सुनिश्चित होगा और वे माओवादी या किसी अन्य संगठन का सहारा नहीं लेंगे तथा न ही ऐसे संगठन में जाने के लिए मजबूर होंगे.