अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद: बैंक कभी ‘ऊपर’ के निर्देश पर कर्ज नहीं देंगे : के पी सिंह

नयी दिल्ली. अमेरिकी की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद एक समय देश के सबसे अमीर व्यक्ति रहे गौतम अडाणी के कारोबारी साम्राज्य में उथल-पुथल मची हुई है. हालांकि, रियल एस्टेट क्षेत्र के दिग्गज के. पी. सिंह का मानना है कि अडाणी घटनाक्रम से भारत के प्रति वैश्विक निवेशकों का भरोसा नहीं डिगा है.

उन्होंने इन चर्चाओं को भी खारिज कर दिया कि अडाणी समूह को ‘ऊपर’ के निर्देश के बाद बैंकों ने कर्ज दिया था. हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट 24 जनवरी को आई थी. उसके बाद से ही अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त बिकवाली का सिलसिला चल रहा है. डीएलएफ के मानद चेयरमैन के पी सिंह ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा कि यह केवल एक कॉरपोरेट समूह से संबंधित अस्थायी झटका है और इससे भारत के प्रति निवेशकों का भरोसा कम नहीं हुआ है.

हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वृद्धि के मार्ग पर बने रहने के लिए अडाणी समूह को अपने पूंजी आधार को बढ़ाने और कर्ज को कम करने की जरूरत है. खरी-खरी बोलने के लिए प्रसिद्ध सिंह ने याद दिलाया कि कैसे जब डेढ़ दशक पहले उनकी रियल एस्टेट फर्म डीएलएफ आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) ला रही थी, कनाडा की एक कंपनी ने एक रिपोर्ट लाने की धमकी की थी. उन्होंने बताया, ‘‘उस समय हमने कनाडा की कंपनी से कहा था कि उसे जो करना है वह करे. कुछ ‘ब्लैकमेलर’ होते हैं, जो बड़ी शेयर बिक्री के समय रिपोर्ट लाते हैं.’’ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) से ठीक पहले आई थी.

अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद से क्या निवेश गंतव्य के रूप में भारत पर असर पड़ेगा, इस सवाल पर सिंह ने इसे पूरी तरह ‘बकवास’ बताया.
उन्होंने कहा कि भारत काफी बड़ा देश है इसलिए यह ‘कहानी’ खत्म हो जाएगी. निवेश पर असर नहीं पड़ेगा.’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक काफी समझदार व्यक्ति हैं और जबतक वे प्रधानमंत्री रहते हैं, भारत निवेश के लिए आकर्षक स्थल बना रहेगा. सेब से लेकर हवाई अड्डा क्षेत्र में कार्यरत अडाणी समूह ने इन आरोपों को ‘दुर्भावनापूर्ण’, ‘निराधार’ और ‘भारत पर सुनियोजित हमला’ कहा है.

रिपोर्ट के बाद तीन सप्ताह में अडानी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्यांकन 125 अरब डॉलर नीचे आ चुका है.
इस तरह की चर्चाओं पर कि बैंकों ने अडाणी समूह को प्रधानमंत्री के कहने पर कर्ज दिया था, सिंह ने कहा, ‘‘मुझे अडाणी के बारे में नहीं पता. यदि किसी को लगता है कि प्रधानमंत्री के कहने पर बैंकर कर्ज दे देंगे, तो वे ‘मूर्खों की दुनिया’ में रह रहे हैं. कोई बैंक अधिकारी ऐसा नहीं करेगा.’’ उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर का उदाहरण देते हुए क्या कोई बैंकर ऐसा काम करेगा जो नियमनों के अनुरूप नहीं हो. कोचर को वीडियोकॉन समूह को कर्ज में अनियमितता के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.

विपक्ष हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आधार पर सरकार पर हमलावर है. यह विवाद शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री ने एक बार भी अडणी का नाम नहीं लिया है, लेकिन संसद में अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि देश के 140 करोड़ लोगों का ‘आशीर्वाद’ उनके साथ है.

Related Articles

Back to top button