गुजरात चुनाव से पहले, राहुल गांधी ने कृषि ऋण माफी, 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर का किया वादा

अहमदाबाद/नयी दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात में अपनी पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य के प्रत्येक किसान का तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने, एलपीजी (रसोई गैस) सिलेंडर मौजूदा कीमत 1,000 रुपये के बजाय 500 रुपये में उपलब्ध कराने और किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया.

अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट पर ‘परिवर्तन संकल्प रैली’ में कांग्रेस के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल ने आम उपभोक्ताओं को भी 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया. राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है. उन्होंने रोजगार के 10 लाख नये अवसर सृजित करने, अंग्रेजी माध्यम के 3,000 स्कूलों का निर्माण, लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा और दूध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी देने का वादा किया.

उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल को देश के किसानों की आवाज बताते हुए गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर उनकी विरासत का अपमान करने का आरोप लगाया. राहुल ने कहा कि सत्ता में आने पर कांग्रेस गुजरात में रोजगार के अवसर पैदा करने पर ध्यान देगी और 10 लाख युवाओं को रोजगार देगी.

राहुल ने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए दावा किया कि पार्टी ने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया, लेकिन उसने उन लोगों के खिलाफ काम किया, जिनके लिए पटेल जिये और मरे. इससे पहले, अरंिवद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने भी कई रियायतों की घोषणा की थी और गुजरात में सत्ता में आने पर मुफ्त सुविधाओं का वादा किया था.

राहुल ने कहा, ‘‘यहां की भाजपा नीत सरकार बड़े उद्योगपतियों का कर्ज माफ करेगी, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि उन्होंने किसानों का कर्ज माफ किया है? मैं गुजरात में सत्ता में आने के बाद प्रत्येक किसान का तीन लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का वादा करता हूं.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब और कर्नाटक की तरह किसानों का कर्ज माफ करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम जहां भी सत्ता में आए, हमने कहा कि हमारा पहला काम वह करना होगा जो सरदार पटेल करते. और यहां भी, हम (किसानों के) 3 लाख रुपये का कर्ज माफ करेंगे.’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम अंग्रेजी माध्यम के 3,000 स्कूल खोलेंगे और लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देंगे. भाजपा नीत सरकार ने हजारों स्कूलों को बंद कर दिया. उन्होंने सरदार पटेल की प्रतिमा बनवाई और वहीं दूसरी ओर हजारों स्कूलों को बंद कर दिया.’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि वह बेरोजगारी और महंगाई को खत्म करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि दो से तीन अरबपति रोजगार नहीं दे सकते. रोजगार छोटे व्यवसायों और किसानों द्वारा प्रदान किया जाता है. जब तक किसानों और छोटे तथा मझोले व्यापारियों की सरकार नहीं होगी, तब तक इस राज्य में रोजगार के अवसर सृजित नहीं हो सकते.’’

उन्होंने कहा,‘‘कांग्रेस का ध्यान युवाओं को रोजगार मुहैया कराने पर होगा और हमारी सरकार 10 लाख युवाओं को रोजगार देगी.’’ राहुल ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, ‘‘सरदार पटेल किसके लिए और क्यों लड़े? आपने उनकी प्रतिमा बनवाई, लेकिन वह सिर्फ एक इंसान नहीं थे, वह गुजरात और भारत के किसानों की आवाज थे.’’ राहुल ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के अधिकारों को छीनने के लिए थे. नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने इन कानूनों को बाद में निरस्त कर दिया.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘देश भर के किसान सड़कों पर उतर आए, और भाजपा कहती है कि वह किसानों के अधिकारों के लिए लड़ती है. एक तरफ उन्होंने सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा बनवाई, और दूसरी तरफ उन्होंने उन सभी पर हमला किया, जिनके लिए सरदार पटेल ने लड़ाई लड़ी थी. प्रतिमा का मतलब क्या है?’’

राहुल ने आरोप लगाया कि गुजरात में भाजपा ने सभी संस्थानों पर ‘कब्जा’ कर लिया है और यहां लड़ाई दो राजनीतिक दलों के बीच नहीं है, बल्कि हर उस संस्था के साथ है, जिस पर सत्तारूढ़ दल का कब्जा है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन गुजरात में, जिन संस्थाओं की सरदार पटेल ने नींव रखी थी, चाहे वह पुलिस, मीडिया, न्यायपालिका या विधानसभा हो, भाजपा ने इन सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है. इसका मतलब है कि यहां आपकी लड़ाई एक राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं बल्कि गुजरात राज्य की हर संस्था के खिलाफ है.’’ उन्होंने विरोध प्रदर्शन के लिए अनुमति लेने की गुजरात सरकार की नीति को लेकर भी हमला किया और कहा कि यह भ्रष्टाचार में ‘डूबी’ हुई है.

राहुल ने कहा, ‘‘आपको उन लोगों से अनुमति लेनी होगी जिनके खिलाफ आपको विरोध करना है….क्या सरदार पटेल ने विरोध के लिए अंग्रेजों की अनुमति मांगी थी? सरदार पटेल कहते कि उस सरकार को उखाड़ फेंको जो गुजरात के लोगों से विरोध के लिए अनुमति लेने को कहती है. यही सच है.’’ उन्होंने कहा,‘‘आप एक राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं, बल्कि एक विचारधारा से लड़ रहे हैं जिसके खिलाफ सरदार पटेल लड़े थे.

उन्होंने हाल में गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किये जाने को लेकर भी सरकार पर हमला किया और दावा किया कि ‘‘गुजरात मॉडल’’ तीन-चार उद्योगपतियों के शासन का है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इन उद्योगपतियों को दो मिनट के भीतर जितनी जमीन वे चाहें, दे देगी. लेकिन जब गरीब और आदिवासी हाथ जोड़कर जमीन के एक छोटे से टुकड़े के लिए अनुरोध करते हैं, तो उन्हें यह कभी नहीं मिलता है.’’

विपक्षी एकजुटता के प्रयास के तहत नीतीश ने राहुल से मुलाकात की

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से यहां मुलाकात की. सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक हालात और विपक्षी एकजुटता की दिशा में आगे बढ़ने को लेकर बात की. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ छोड़ने और राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस एवं वाम दलों के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने के बाद नीतीश पहली बार दिल्ली पहुंचे हैं. जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेता ने यहां स्थित राहुल गांधी के आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की.

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिये दोनों नेताओं की मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राहुल गांधी से उनके दिल्ली निवास पर मुलाकात की.’’ नीतीश सोमवार को दिल्ली पहुंचे. वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरंिवद केजरीवाल, जनता दल (एस) के प्रमुख एचडी कुमारस्वामी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कुछ अन्य नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं.

वाम दलों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार मंगलवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा से मुलाकात करेंगे. भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं और विपक्षी नेताओं से उनकी मुलाकात को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. जनता दल (यूनाइटेड) के कई नेताओं ने हाल के दिनों में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से नीतीश को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त चेहरा बताया है, हालांकि खुद नीतीश ने कहा है कि वह इस दौड़ में शामिल नहीं हैं.

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