बांग्लादेश ने हिंदू नेता की मौत पर भारत के आरोप को किया खारिज

ढाका. बांग्लादेश ने भारत के इस आरोप को खारिज कर दिया है कि हाल ही में एक हिंदू नेता की हत्या उनके देश में अल्पसंख्यकों के “व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न” का हिस्सा थी. उत्तरी बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले के बसुदेबपुर गांव के निवासी हिंदू समुदाय के 58 वर्षीय नेता भाबेश चंद्र रॉय का शव बृहस्पतिवार रात को बरामद किया गया. उनके बेटे ने दावा किया है कि रॉय को ढाका से लगभग 330 किलोमीटर दूर स्थित उनके गांव से कथित तौर पर अगवा किया गया और पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई.
अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीक-उल-आलम ने सोमवार को सरकारी समाचार एजेंसी ‘बांग्लादेश संवाद संस्था’ (बीएसएस) से कहा, ” यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि श्री भाबेश चंद्र रॉय की मृत्यु को अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के ‘व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न’ के हिस्से के रूप में र्विणत किया गया है.” आलम कतर में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यूनुस के साथ हैं. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ऐसा देश नहीं है जहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ सरकार द्वारा प्रायोजित व्यवस्थित भेदभाव देखने को मिले.
उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश सरकार अपने सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.
बांग्लादेश की प्रतिक्रिया से कुछ दिन पहले, भारत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता के कथित अपहरण और हत्या की निंदा की और ढाका की अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न को दर्शाती है. अतीत में हुई ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों को कोई सज.ा नहीं मिली है और वे खुले घूम रहे हैं.” रॉय की हत्या के बाद उनके परिवार ने चार नामजद संदिग्धों और कई अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दिनाजपुर पुलिस में मामला दर्ज कराया है.
रॉय के 28 वर्षीय बेटे स्वप्न चंद्र रॉय ने अपनी लिखित शिकायत में आरोप लगाया, “आरोपी मेरे पिता को एक अज्ञात स्थान पर ले गए और पूर्व नियोजित साजिश के तहत उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी.” स्वपन चंद्र रॉय ने अतीक-उर-रहमान को आरोपी नंबर एक बताया, जो मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अनौपचारिक रूप से धन उधार देने का व्यवसाय करता है.
पुलिस ने कहा कि परिवार की शिकायत के अनुसार, रॉय ने रहमान से 25,000 टका उधार लिए थे और 3,250 टका की मासिक किस्तों में इसे चुकाने पर सहमति जताई थी, लेकिन वित्तीय कठिनाई के कारण वह नियमित रूप से भुगतान करने में असमर्थ हो गए.
रॉय के बेटे ने शिकायत में कहा कि 17 अप्रैल की दोपहर आरोपी दो मोटरसाइकिलों पर रॉय के घर आए और उन्हें एक जरूरी बातचीत के बहाने अपने साथ ले गए. उन्होंने कहा कि शाम को उन्हें एक फोन आया जिसमें सह-आरोपी रतन इस्लाम ने बताया कि उनके पिता बीमार पड़ गए हैं.
आरोपी ने रॉय को उनके घर के पास ही छोड़ दिया और भाग गए. परिवार के लोग उन्हें अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. हालांकि, यूनुस के प्रेस सचिव ने कहा कि “इस विशेष मामले में, हमने पाया है कि पीड़ित कुछ ऐसे व्यक्तियों के साथ बाहर गया था, जिन्हें वह पहले से जानता था” और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया शारीरिक चोट का कोई संकेत नहीं मिला है. उन्होंने कहा, “इसके बावजूद, अधिकारियों ने मौत के कारण का पता लगाने के लिए विसरा जांच के आदेश दिए हैं.” आलम ने कहा कि विसरा रिपोर्ट उपलब्ध होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी. रॉय के बेटे ने कहा कि उनके पिता पेशे से किसान थे और पूजा उद्जापन परिषद की स्थानीय इकाई के उपाध्यक्ष भी थे.