कभी मजदूरी करते थे, अब ‘पद्मश्री’ से नवाजे जाएंगे कबीर वाणी गाने वाले भेरू सिंह चौहान

इंदौर: मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर बजरंगपुरा गांव में रहने वाले भेरू सिंह चौहान के फोन पर बधाई वाले कॉल का सिलसिला रुक नहीं रहा है। पश्चिमी मध्यप्रदेश की मालवी बोली में कबीर वाणी गाने वाले इस 63 वर्षीय लोक गायक को सरकार ने कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के वास्ते ‘पद्मश्री’ के लिए चुना है।

चौहान ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मेरे पिता माधु सिंह चौहान गांव की चौपाल पर बैठकर कबीर वाणी गाते थे। मैं बचपन में उन्हें सुनता रहता था। फिर उनकी संगीत मंडली में शामिल होकर मंजीरा बजाने लगा और धीरे-धीरे मुझे भी कबीर वाणी गाने की लगन लग गई।’’ चौहान ने बताया कि उनका परिवार गरीब था और कम रकबे वाली खेती और मजदूरी करके गुजर-बसर करता था।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने खुद एक जमाने में मजदूरी की है। मैंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। फिर सद्गुरु कबीर ने मेरी बांह पकड़कर मुझे आगे बढ़ाया।’’ लोक कलाकार के मुताबिक, उन्होंने गायन की प्रस्तुति का मौका कभी नहीं छोड़ा।

चौहान ने बताया, ‘‘शुरूआत में, मैं कई बार पैदल और साइकिल से भी प्रस्तुति देने गया हूं। मैं 2009 में अपने पिता के तीसरे (मृत्यु के तीसरे दिन अदा की जाने वाली रस्म) के कुछ घंटों बाद एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने गया, क्योंकि मैंने आयोजक से कई दिन पहले इसका वादा कर रखा था।’’

चौहान ने ‘पद्मश्री’ के वास्ते चुने जाने के लिए सरकार का आभार जताया। उन्होंने कहा, “मैं जीवन भर कबीर का संदेश जन-जन तक पहुंचाना चाहता हूं। आज दुनिया को कबीर के संदेश की बड़ी जरूरत है।’’ देश में ‘पद्म’ पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। ये पुरस्कार हर साल आमतौर पर मार्च-अप्रैल के आस-पास राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले नागरिक अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति के हाथों प्रदान किए जाते हैं।

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