भाजपा भारतीयों को बांटने के लिए ‘‘बनावटी मुद्दों’’ को खड़ा कर रही है: सिंघवी

कोलकाता. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भारतीयों को बांटने के लिए ‘‘राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी’’ को लेकर छिड़ी बहस या हिजाब विवाद जैसे ‘‘बनावटी मुद्दों’’ को खड़ा कर रही है. उन्होंने लोगों को भाजपा की इस तरह की चालों में नहीं फंसने के प्रति आगाह किया और आपस में नहीं लड़ने की अपील की.

सिंघवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा विरोधी धड़े का ‘‘महत्वपूर्ण और अपरिहार्य’’ हिस्सा बताया, लेकिन उन्हें एकमात्र विपक्षी चेहरा मानने से इनकार कर दिया. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के संबंधों पर, पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य सिंघवी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस गोवा और अन्य राज्यों में विधानसभा चुनावों के संदर्भ में कांग्रेस पर निशाना साध रही थी और ‘‘हमें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पूरी और स्पष्ट स्थिति का इंतजार करना होगा.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सुधारों की जरूरत है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का हाथ थाम लिया जाए, जो दोनों पक्षों के बीच वार्ता विफल होने के बाद कांग्रेस में शामिल नहीं हुए थे.

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए पिछले महीने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और यह निश्चित तौर पर ंिहदी के महत्व को बढ़ाएगा.

उन्होंने कहा था कि वक्त आ गया है कि राजभाषा ंिहदी को देश की एकता का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाए. उन्होंने साथ ही कहा था कि ंिहदी की स्वीकार्यता स्थानीय भाषाओं के नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्प के रूप में होनी चाहिए. शाह के इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई थी कि ंिहदी राष्ट्र भाषा है या नहीं. बॉलीवुड और दक्षिणी फिल्म उद्योग के कई सिने सितारों ने इस मामले पर अपनी राय व्यक्त की थी. हालांकि, सिंघवी ने 1968 के त्रि-भाषा फॉर्मूले की वकालत की जिसे पहले इंदिरा गांधी सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया गया था.

उन्होंने कहा, “हमारे पास तीन भाषा का फॉर्मूला है- अंग्रेजी, ंिहदी और स्थानीय भाषा. यह पिछले 60 वर्षों से समय की कसौटी पर खरा उतरा है. लेकिन भाजपा अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत इसे अस्थिर करने की कोशिश कर रही है.” बनर्जी पर सिंघवी ने कहा, “मैं बार-बार कह रहा हूं कि ममता जी गैर-भाजपा मोर्चे का एक महत्वपूर्ण और अपरिहार्य हिस्सा हैं. लेकिन यह कहना कि वह एकमात्र विपक्षी चेहरा हैं, यह गलत है. लेकिन कोई भी यह इनकार नहीं कर सकता कि वह पूरे गैर-भाजपा मोर्चे के लिए एक मजबूत स्तंभ हैं.” उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दल जितनी जल्दी यह जान लें कि उनकी ताकत भाजपा विरोधी वोटों के बंटवारे को रोकने में है, उतना ही अच्छा है.

बनर्जी द्वारा राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों को अधिक महत्व देने संबंधी मांग किये जाने पर, सिंघवी ने कहा, “यह बहुत स्पष्ट है कि कोई भी पार्टी किसी भी गैर-भाजपा मोर्चे में कांग्रेस की उपेक्षा नहीं कर सकती है. लेकिन हमें क्षेत्रीय दलों की भी आवश्यकता है. कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों को एकजुट होना चाहिए.” बीरभूम हत्याकांड और सामूहिक बलात्कार की घटनाओं के बाद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने संबंधी भाजपा की मांग पर उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा केवल राजनीति कर रही है.
सिंघवी ने कहा, ‘‘ये कानून और व्यवस्था की स्थिति हैं, और ऐसी कोई भी घटना ंिनदनीय है. टीएमसी सरकार ने सख्त कार्रवाई की है और हम कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं. भाजपा इस मुद्दे पर केवल राजनीति कर रही है.’’ यह पूछे जाने पर कि किशोर के साथ बातचीत के दौरान क्या गड़बड़ हुई जो वह बाद में कांग्रेस में शामिल होने से पीछे हट गए, सिंघवी ने कहा कि एक प्रस्ताव था और ठोस मुद्दों पर चर्चा की गई थी.
प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किये जाने की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर सिंघवी ने कहा, “कांग्रेस में सुधारों की आवश्यकता है लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल प्रशांत किशोर ही ऐसा कर सकते थे.” गौरतलब है कि किशोर ने पिछले हफ्ते पार्टी को धन्यवाद देते हुए कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

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