भाजपा ने खरगे के परिवार से जुड़े ट्रस्ट को जमीन आवंटन मामले में कांग्रेस अध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगा

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को कर्नाटक में जमीन आवंटन किए जाने के मुद्दे पर उनसे स्पष्टीकरण की मांग की और सवाल किया कि कांग्रेस के नेताओं को जमीन से इतना प्यार क्यों है? पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बी एम द्वारा 14 भूखंडों का स्वामित्व और कब्जा छोड़े जाने का फैसला मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) घोटाले में कई सवाल खड़े करता है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सिद्धरमैया के खिलाफ जमीन घोटाले की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को बेंगलुरु के हाई-टेक रक्षा क्षेत्र में पांच एकड़ जमीन देने का मामला सामने आ गया है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह खरगे के परिवार से संबंधित है.

उन्होंने कहा, ”सिद्धरमैया से जुड़ा मामला लोकायुक्त के पास है, अदालत में लंबित है. इस मामले में अदालत अपना काम करेगी लेकिन खरगे जी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं. अगर जमीन आवंटन से जुड़ी इतनी संदेहास्पद परिस्थितियां हैं तो उन्हें इसका उत्तर देना पड़ेगा.” प्रसाद ने कहा कि भाजपा अपेक्षा करती है कि खरगे इन आरोपों का ईमानदारी, प्रामाणिकता और पारदर्शी तरीके से दें. कथित जमीने घोटाले का ब्योरा देते हुए भाजपा नेता ने यह सवाल भी उठाया कि कांग्रेस के नेताओं को जमीन सौदों से इतना प्यार क्यों है.

उन्होंने कहा, ”क्या उसके (कांग्रेस) कुछ नेता ‘प्रॉपर्टी डीलर’ बन गए है? यह बहुत गंभीर सवाल है. और देश जानना चाहता है.” उन्होंने कहा कि बतौर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को एक मानदंड स्थापित करना चाहिए था. प्रसाद ने कहा कि भाजपा प्रमाणिक तरीके से किसी ट्रस्ट को जमीन दिए जाने का विरोध नहीं करती है लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस के नेता ट्रस्ट के नाम पर ‘जमीन हड़पने के अभियान’ में लगे हुए हैं, यह बहुत गलत है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह गंभीर विषय है और भाजपा इसकी भर्त्सना करती है.

सिद्धरमैया की पत्नी की ओर से 14 भूखंडों का स्वामित्व और कब्जा छोड़े जाने की पेशकश के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रसाद ने कहा कि इस मामले में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच की मंजूरी दी जिसे अदालत ने बरकरार रखा, लोकायुक्त में प्राथिमकी दर्ज हुई और अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामला दर्ज किया है.

उन्होंने कहा, ”इतना सब कुछ होने के बाद जमीन वापस करने की बात कई सवाल खड़े करती है.” ईडी ने सोमवार को लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए सिद्धरमैया, उनकी पत्नी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ एमयूडीए प्रकरण के संबंध में धन शोधन का मामला दर्ज किया था. संघीय एजेंसी ने मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है. ईसीआईआर पुलिस की प्राथमिकी के समान होती है. इसके कुछ घंटों बाद पार्वती ने एमयूडीए के आयुक्त को पत्र लिखकर मैसूरु के 14 भूखंडों को वापस करने की पेशकश की.

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