राष्ट्रपति अभिभाषण 2024 के आम चुनाव के लिए भाजपा का घोषणापत्र: विपक्षी दल

नयी दिल्ली. विपक्षी दलों ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण की आलोचना करते हुए कहा कि यह 2024 के चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणापत्र का ‘पहला अध्याय’ लगता है और इसमें सांप्रदायिक सौहार्द, महंगाई नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे नदारद रहे.

राष्ट्रपति मुर्मू ने बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि देश में ‘‘स्थिर, निडर और निर्णायक सरकार’’ है, जिसने ‘विकास’’ एवं ‘‘विरासत’’ पर जोर देते हुए, कोई भेदभाव किए बिना सभी वर्गों के लिए काम किया है.
मुर्मू ने संसद के केंद्रीय कक्ष में अपने पहले अभिभाषण में भ्रष्टाचार को ‘लोकतंत्र और सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा दुश्मन’ बताते हुए कहा कि इसके विरुद्ध लगातार लड़ाई चल रही है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अभिभाषण में ‘कुछ भी नया नहीं’ है और राष्ट्रपति ने वही कहा, जो सरकार कहना चाहती है. खरगे ने कहा कि यदि सरकार राष्ट्रपति के माध्यम से दावा कर रही है कि देश ने बहुत प्रगति कर ली है, तो गरीब वर्ग बेरोजगारी और महंगाई के कारण लगातार त्रस्त क्यों है.

कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार का बयान है, जो राष्ट्रपति के माध्यम से आया है. कोई नयी बात नहीं है. यह नियमित घटनाक्रम है.’’ तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण भारत सरकार द्वारा लिखे जाने की परिपाटी है, लेकिन उनके संबोधन में महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं थे.

उन्होंने कहा, ‘‘अभिभाषण में महंगाई को नियंत्रित करने, रोजगार सृजन, संघवाद को मजबूत करने, सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने, महिला आरक्षण विधेयक पारित करने के बारे में एक भी वाक्य नहीं था?’’ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सदस्य विनय विश्वम ने आरोप लगाया कि महिलाओं, युवाओं, दलितों तथा आदिवासियों का सशक्तीकरण केवल कागज पर है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति का अभिभाषण संभवत: अंतिम बार हुआ. स्वतंत्रता संघर्ष और संविधान से जुड़ी हर चीज को छोड़ा जा रहा है. अभिभाषण 2024 के (आम चुनाव के) लिए सत्तारूढ़ पार्टी के घोषणापत्र का पहला अध्याय नजर आता है. शब्द प्यारे होते हैं, सच नहीं.’’ भाकपा सांसद ने कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्षता पर गौरव की बात नदारद है. आरएसएस की शैली में ंिहदुत्व गौरव का रंग था.’’

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