चंडीगढ़ पंजाब का है : सिद्धू

चंडीगढ़. हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र से पहले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को कहा कि चंडीगढ़ हमेशा से पंजाब का था और हमेशा रहेगा. वहीं, कांग्रेस के अन्य नेता सुनील जाखड़ ने कहा कि यह मुद्दा दोनों राज्यों के बीच केवल कटुता पैदा करेगा.
पंजाब विधानसभा द्वारा चंडीगढ़ को आम आदमी पार्टी (आप) शासित राज्य को तत्काल स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पारित करने के कुछ दिनों बाद हरियाणा सरकार ने मंगलवार को यहां विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किया है.

हरियाणा के नेता पंजाब से राज्य का नदी जल का हिस्सा प्राप्त करने के लिए सतलुज-यमुना ंिलक नहर को पूरा करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने 400 ंिहदी भाषी गांवों को भी हरियाणा को सौंपने की मांग की है. कांग्रेस की पंजाब इकाई के पूर्व प्रमुख सिद्धू ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का है और हमेशा रहेगा. उन्होंने इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हरियाणा के साथ पंजाब की ‘‘अगली बड़ी लड़ाई’’ नदियों के पानी को लेकर होगी.

सिद्धू की यह टिप्पणी हरियाणा के नेताओं के उस बयान के बाद आयी है, जिसमें उन्होंने पंजाब से राज्य के नदी जल के हिस्से को प्राप्त करने के लिए सतलुज-यमुना ंिलक (एसवाईएल) नहर को पूरा करने की मांग की थी. हरियाणा के नेताओं ने 400 ंिहदी भाषी गांवों को हरियाणा स्थानांतरित करने की भी मांग की है.

हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने एक ट्वीट में कहा कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच ‘‘बढ़ते तनाव’’ से दोनों राज्यों के लोगों के बीच भाईचारा खतरे में आएगा. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है.

इससे पहले सिद्धू ने ंिहदी में ट्वीट किया था, ‘‘पंजाब के 27 गांव उजाड़ के बनाया हुआ चंडीगढ़, पंजाब का था, है और रहेगाङ्घ. कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना ङ्घचंडीगढ़ तो बहाना है, पंजाब के दरियाई पानी पे निशाना है . .’’ उन्होंने ऐसा कहकर इशारा किया कि हरियाणा का असली लक्ष्य चंडीगढ़ नहीं, बल्कि नदियों का पानी है.

उन्होंने कहा, ‘‘सावधान रहें अगली बड़ी लड़ाई पंजाब के नदी जल के लिए होगी.’’ हाल ही में अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से चुनाव हारने वाले सिद्धू ने अपने ट्वीट के साथ आप के राष्ट्रीय संयोजक अरंिवद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी टैग किया. एसवाईएल नहर का मुद्दा कई दशकों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय रहा है.

अतीत में, पंजाब रावी-ब्यास नदियों के पानी के अपने हिस्से के संबंध में पुन: आकलन की मांग करता रहा है, जबकि हरियाणा एसवाईएल नहर को पूरा करने की मांग करता है ताकि उसे उसके हिस्से का 35 लाख एकड़-फुट पानी मिल सके. पंजाब सरकार का राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाने का यह कदम केंद्र की इस घोषणा के बाद आया कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियम लागू होंगे.

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