कांग्रेस ने वकीलों के पत्र पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी को ‘पाखंड की पराकाष्ठा’ बताया

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने वकीलों के एक समूह द्वारा प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखे जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान को ”पाखंड की पराकाष्ठा” करार देते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में चीजों को तोड़ने-मरोड़ने, ध्यान भटकाने और लोगों को बदनाम करने का काम किया गया है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि हाल के हफ्तों में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें कई झटके दिए हैं और चुनावी बॉण्ड योजना इसका एक उदाहरण है.

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत कुछ अन्य वकीलों की ओर से प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने के प्रयास के आरोप लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर निशाना साधा और दावा किया कि ‘दूसरों’ को धमकाना और धौंस दिखाना विपक्षी पार्टी की ‘पुरानी संस्कृति’ है.

प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि एक ‘निहित स्वार्थी समूह बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा’ के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है. रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”न्यायपालिका की रक्षा के नाम पर, न्यायपालिका पर हमले की साजिश रचने और इसमें समन्वय करने में प्रधानमंत्री की बेशर्मी पाखंड की पराकाष्ठा है. हाल के हफ्तों में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें कई झटके दिए हैं. चुनावी बॉण्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है.”

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ” उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया और अब यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि यह (बॉण्ड) कंपनियों को भाजपा को दान देने के वास्ते मजबूर करने के लिए भयभीत करने, ब्लैकमेल करने और धमकी देने का एक ज.बरदस्त साधन था.” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के बजाय भ्रष्टाचार को कानूनी गारंटी दी है. रमेश ने कहा, ”पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री ने सिर्फ बांटने, विकृत करने, ध्यान भटकाने और बदनाम करने का काम किया है. 140 करोड़ भारतीय उन्हें जल्द ही करारा जवाब देने का इंतजार कर रहे हैं.”

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