कांग्रेस ने अडाणी मामले में सेबी जांच पर निशाना साधने के लिए मीडिया में आई खबरों का दिया हवाला

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए मंगलवार को अडाणी मामले में सेबी की जांच पर सवाल उठाया और कहा कि यदि ये खबरें सही हैं और बाजार नियामक सेबी की योजना “तकनीकी उल्लंघनों” के लिए समूह को सांकेतिक जुर्माने के साथ छोड़ने की है, तो भारत का ”भ्रष्टाचारतंत्र” में परिवर्तन पूरा हो जाएगा.

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि संदेश स्पष्ट है – भारत के संस्थानों को अधिकारविहीन कर दिया जाएगा, जबकि इसकी जांच एजेंसियों का उपयोग केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “करीबी दोस्तों” को बचाने के लिए किया जाता है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में, कहा, ”उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार अडाणी महाघोटाले की सेबी जांच पर खबरों की बाढ़ सी आ गई है.”

उन्होंने कहा, ” यदि ये खबरें सही हैं और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) अडाणी को “तकनीकी उल्लंघनों” के लिए सिफ.र् सांकेतिक जुर्माने के साथ छोड़ने की योजना बना रही है, तो भारत का एक भ्रष्टाचारतंत्र में परिवर्तन पूरा हो जाएगा.” कांग्रेस नेता ने कहा कि 2014 के नवंबर महीने में ब्रिस्बेन में आयोजित नौवीं जी20 बैठक में, प्रधानमंत्री मोदी ने “आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने”, धनशोधन में शामिल लोगों का पता लगाने और बिना शर्त प्रत्यर्पण करने के लिए देशों के बीच सहयोग का आह्वान किया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भ्रष्ट लोगों और उनके कार्यों को छिपाने में सहायक “अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं जटिलताओं के जाल को तोड़ने” की भी अपील की थी.

रमेश ने कहा, ”इसके बाद भी उन्होंने (मोदी) अपने भ्रष्ट मित्रों और उनके कुकर्मों से उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया है. प्रधानमंत्री के इशारे पर काम कर रही एजेंसियां ??उन सभी संस्थाओं की जांच कर रही हैं जिन्होंने अडाणी समूह के ख.लिाफ लगे धनशोधन के अति गंभीर आरोपों के कारण जनवरी 2023 में अडाणी समूह में शेयर कम कर दिए था.”

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले में सेबी ने कभी भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से अडाणी के खिलाफ आगे कार्रवाई करने को नहीं कहा, जबकि अडाणी मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति ने कहा कि “प्रतिभूति बाजार नियामक को गलत काम का संदेह है.”

उन्होंने कहा, ” ऐसा तब है जब इन्हीं एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी दलों और गैर-भाजपा राज्य सरकारों को परेशान करने के लिए व्यापक रूप से किया गया है. यदि यह दिखाने के लिए किसी और सबूत की आवश्यकता थी कि भारत के संस्थानों पर कब्जा किया जा रहा है, तो वह स्पष्ट रूप से हमारे सामने है.”

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ”सत्ता की कठपुतली बन चुके इन संस्थानों के बदले, केवल एक जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) ही अडाणी महाघोटाले की पूरी तरह से जांच कर सकती है. साथ ही इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब तलाश सकती है, जैसे कि 20,000 करोड़ रुपए का अपारदर्शी विदेशी फंड अडाणी की कंपनियों में कहां से आया, गौतम और विनोद अडाणी के बीच का वास्तविक वित्तीय संबंध क्या है और कैसे प्रधानमंत्री पीएम ने कानूनों, नियमों और प्रावधानों को बदलकर भारत और विदेशों में अडाणी जैसे मित्रों के व्यवसायों को व्यक्तिगत रूप से लाभ पहुंचाया.”

अमेरिकी अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग द्वारा अडाणी पर अनियमितताओं का आरोप लगाने और शेयरों के मूल्य में हेराफेरी का दावा किए जाने के बाद कांग्रेस इस समूह के वित्तीय लेनदेन पर सवाल करती रही है. अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि उसकी ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया है. कांग्रेस के अलावा अन्य विपक्षी दल भी अडाणी मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग करते रहे हैं.

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