विपक्षी दलों में कांग्रेस का एक खास स्थान है, BJP विरोधी गठबंधन का नेता उपयुक्त समय पर तय होगा: चिदंबरम

नयी दिल्ली. बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की अहम बैठक से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को विश्वास जताया कि विपक्ष एकजुट होकर 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निश्चित तौर पर चुनौती दे सकता है और भाजपा विरोधी गठबंधन का नेता उपयुक्त समय पर तय किया जाएगा.

चिदंबरम ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि विपक्षी दलों में कांग्रेस का एक ‘खास स्थान’ है, लेकिन ”इस बारे में इस वक्त बात करने की जरूरत नहीं है.” पूर्व केद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) ने पटना में विपक्ष की बैठक में जिस तरह से दिल्ली अध्यादेश का मुद्दा उठाया था, वह ”दुर्भाग्यपूर्ण” है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक मुद्दे पर उपयुक्त समय व स्थान पर फैसला लिया जाएगा.

कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्षी दलों के कई साझा उद्देश्य हैं क्योंकि वे सभी भाजपा सरकार की सामाजिक व आर्थिक नीतियों के खिलाफ हैं और धीमी आर्थिक वृद्धि, बढ़ती मंहगाई तथा बढ़ती बेरोजगारी को लेकर चिंतित हैं. साथ ही ”वे नागरिक स्वतंत्रता में कटौती, मीडिया पर पाबंदी, संस्थाओं को कमजोर करने और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर भी चिंतित हैं.”

चिदंबरम ने कहा, ”वे सीमाओं पर सुरक्षा स्थिति को लेकर भी चिंतित हैं और इन साझा चिंताओं ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का विरोध करने के लिए एकजुट किया है. चुनाव के मद्देनजर, विपक्षी दलों के पास जितनी बार हो सके, उतनी बार बैठकें करने के पर्याप्त कारण हैं.” उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में होने वाली बैठक यकीनन उद्देश्यपूर्ण होगी. बेंगलुरु में 17 और 18 जुलाई को होने वाली विपक्ष की बैठक में 24 गैर-भाजपा दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है.

यह पूछे जाने पर कि विपक्ष ने नेतृत्व के प्रश्न को अभी दरकिनार कर दिया है और क्या ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री पद के लिए किसी चेहरे (उम्मीदवार) के बिना चुनाव में जाना कारगर रहेगा, जब (नरेन्द्र) मोदी (केंद्र में) 10 साल से शासन में हैं, इस पर चिदंबरम ने कहा,” नरेन्द्र मोदी केन्द्र सरकार का 10 वर्षों से नेतृत्व कर रहे हैं लेकिन यह मजबूती नहीं, बल्कि कमजोरी है. मोदी ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं.” उन्होंने कहा कि अब अंतिम वर्ष में वह नारों के अलावा शायद कुछ नहीं दे सकते. चिदंबरम ने कहा, ” विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट हो कर निश्चित तौर पर मोदी को चुनौती दे सकता है.” उन्होंने कहा कि संयुक्त विपक्ष का नेता उपयुक्त समय पर तय किया जाएगा.

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का मुकाबला करने के लिए 1977 की विपक्षी एकजुटता और मौजूदा समय की विपक्षी एकजुटता की तुलना किये जाने पर चिदंबरम ने कहा कि उस वक्त हालात 2023 के हालात से भिन्न थे. उन्होंने कहा कि उस वक्त आपातकाल एकमात्र मुद्दा था, लेकिन अभी और 2024 के लोकसभा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं,जो लोगों की चिंता के कारण हैं. उन्होंने कहा,”मैंने विपक्षी दलों की साझा चिंताओं का जिक्र किया है. वे ऐसा मंच तैयार करने के लिए पर्याप्त हैं, जिसे विपक्षी दल साझा कर सकते हैं.” प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विपक्ष पर यह तंज कसे जाने पर कि ‘भ्रष्ट लोग हाथ मिला रहे हैं’, चिदंबरम ने कहा कि मोदी का मानना है कि हर विपक्षी दल और हर विपक्षी नेता भ्रष्ट है.

उन्होंने कहा, ”यह एक खोखली दलील है. जनता ने कई बार उनके विचारों को खारिज किया है. ताजा उदाहरण कर्नाटक का है. श्रीमान मोदी के आरोप थकाऊ हो रहे हैं. अगर वह अपनी ही पार्टी (भाजपा) को देखें तो पाएंगे कि ऐसे कई नेता/मंत्री हैं, जिन पर उन्होंने कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.” उन्होंने कहा कि ‘भाजपा एक बड़ी वॉशिंगमशीन है’, यह जुमला पूरे भारत में प्रचलित हो गया है और इसपर लोग हंसते हैं.

ध्रुवीकरण के मुद्दे का विपक्ष कैसे मुकाबला करेगा, यह पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा द्वारा उठाए गए प्रत्येक मुद्दे का तथ्यों, आंकड़ों और वास्तविक स्थिति के जरिए मुकाबला किया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश के लोग हकीकत से वाकिफ हैं और वे जानते हैं कि कौन सा मुद्दा ध्रुवीकरण करने वाला है और कौन सा मुद्दा उनके जीवन को प्रभावित करता है. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से विपक्ष के निपटने के तरीके के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि ऐसा कोई विषय आज चर्चा के केंद्र में ही नहीं है.

उन्होंने कहा,” इस विषय पर अंतिम बयान 21वें विधि आयोग के विचार थे, और कांग्रेस ने कह दिया है कि इस पर टिप्पणी करने के लिए कुछ नहीं है.” अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए विपक्षी दलों की बेंगलुरु में प्रस्तावित दूसरी बैठक के दौरान और भी दलों के उनसे जुड़ने की संभावना है. विपक्षी दलों की पहली बैठक पटना में 23 जून को हुई थी, जिसमें 15 दलों के नेता शामिल हुए थे.

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