न्यायालय ने कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य करार देने के फैसले पर रोक लगाने से किया इनकार

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में ‘क्रॉस-वोटिंग’ करने वाले कांग्रेस के छह बागी विधायकों को अयोग्य करार देने के विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के कार्यालय को नोटिस जारी किया और उससे चार सप्ताह में याचिका पर जवाब देने को कहा. पीठ ने विधानसभा से उनकी अयोग्यता को चुनौती देने वाली छह बागी विधायकों की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को यह नोटिस जारी किया.

न्यायमूर्ति खन्ना ने छह बागी विधायकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे से कहा, “हम याचिका पर नोटिस जारी कर सकते हैं, यह ठीक है लेकिन (अयोग्यता आदेश पर) रोक नहीं लगाई जा सकती. इस अदालत के लिए इसकी अनुमति नहीं होगी. दूसरा, जहां तक नए सिरे से चुनाव का सवाल है, हमें इसकी जांच करनी होगी. लेकिन हम आपको वोट देने या सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति नहीं देंगे. इस पर हम बहुत स्पष्ट हैं….” उच्चतम न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए छह मई की तारीख तय की और बागी विधायकों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया. विधानसभा की छह रिक्त सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया सात मई को शुरू होगी.

सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में मतदान के बाद याचिकाकर्ताओं को अयोग्यता पर अपनी टिप्पणियों के लिए स्पीकर के सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया था. उन्होंने कहा, “हमें जैसा कहा गया था उसके मुताबिक उपस्थित हुए और विधानसभा अध्यक्ष को बताया कि हमें अयोग्यता की मांग वाली याचिका की प्रति नहीं मिली है.” साल्वे ने कहा कि यदि अयोग्यता आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो उनकी याचिका निरर्थक हो जाएगी.

उन्होंने कहा, “अंत में हमें यह नहीं बताया जाना चाहिए कि चुनाव हो चुका है और अब कोई और आ गया है.” विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है और अदालत के विभिन्न निर्णयों में कहा गया है कि एक बार चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के बाद उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. न्यायमूर्ति खन्ना ने सिंघवी से कहा कि अदालत अयोग्यता पर रोक नहीं लगाने जा रही है.

उन्होंने कहा, “जहां तक नए सिरे से चुनाव पर रोक लगाने का सवाल है तो इसकी जांच की जाएगी. अन्यथा उनकी याचिका निरर्थक हो जायेगी.” न्यायमूर्ति दत्ता ने इस बात को भी रेखांकित किया कि याचिका चुनाव अधिसूचित होने से पहले दायर की गई थी. अयोग्य ठहराए गए विधायकों की तरफ से पेश हो रहे एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य पाल जैन ने कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचित चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक, छह खाली सीटों के लिये नामांकन सात मई से शुरू होगा.

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि जब यह अदालत इस तरह के मामले में नोटिस जारी करती है, तो निर्वाचन आयोग द्वारा नये चुनाव में देरी हो सकती है. इसके बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह मई को तय की और विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय से चार सप्ताह में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा.

छह असंतुष्ट विधायकों – सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजेंद्र राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देवेंद्र कुमार भुट्टो को सदन में उपस्थित रहने और कटौती प्रस्ताव तथा बजट के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के पक्ष में वोट करने के लिए कांग्रेस के व्हिप की अवज्ञा करने पर 29 फरवरी को अयोग्य करार दिया गया था. उनकी अयोग्यता के बाद सदन में सदस्यों की संख्या 68 से घटकर 62 रह गयी जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से कम होकर 34 रह गयी.

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