शहीद जवानों के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने में मदद कर रहा सीआरपीएफ

चेन्नई: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) शहीद हुए या वीरता पदक से सम्मानित अपने जवानों के बच्चों को कृत्रिम मेधा (एआई), कंप्यूटर विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे तकनीकी संकायों में बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए मदद कर रहा है। इसके लिए उसने प्रमुख संस्थानों के साथ विशेष समझौता किया है।
अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल ने अब तक 31 विश्वविद्यालयों के साथ ऐसे समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 22 संस्थान तमिलनाडु के ही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष शुरू की गई इस पहल के सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि इस योजना के तहत अभ्यर्थी का पूरे पाठ्यक्रम का शुल्क माफ कर दिया जाता है तथा जवानों के परिवारों को केवल छात्रावास और भोजनालय का खर्च ही देना पड़ता है। इस पहल के तहत कुल सात श्रेणियां बनाई गई हैं और हमलों में शहीद हुए जवानों के बच्चों को पहली प्राथमिकता दी जाती है। इसके बाद दिव्यांग जवानों और ड्यूटी के दौरान मारे गए जवानों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है।
इस योजना का लाभ लेने के लिए तय मानदंड के अनुसार कक्षा 12वीं की परीक्षा में विद्यार्थी के न्यूनतम अंक 60 प्रतिशत होने चाहिए। सीआरपीएफ के आवाडी स्थित समूह केंद्र के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) एम. दिनाकरण ने कहा, ‘‘यह पहल हमारे उन वीर जवानों के परिवारों के लिए शुरू किए गए कल्याणकारी उपायों का हिस्सा है जो कर्तव्य अदा करते हुए अपनी जान जोखिम में होने की भी परवाह नहीं करते।
सीआरपीएफ परिवारों और उनके बच्चों के का सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के लिए ऐसे और भी कदम सोचे जा रहे हैं।’’ सीआरपीएफ के शहीद हैड कांस्टेबल एम सुब्रमण्यम की बेटी कार्तिका एस का राज्य के चेंगलपट्टू जिले में स्थित एसआरएम इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए दाखिल हो गया और वह इसे लेकर काफी खुश है।
मई 2010 में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुब्रमण्यम शहीद हो गये थे।
कार्तिका ने कहा, ‘‘मुझे चार साल के बी.टेक (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) पाठ्यक्रम में दाखिला मिल गया है। सीआरपीएफ ने हर संभव तरीके से दाखिला दिलाने में मदद की। उन्होंने ठीक वैसा ही कि किया जो मेरे लिए मेरे पिता करते।’’
वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ में माओवाद विरोधी अभियान के दौरान शहीद हुए एक जवान के बेटे डिफिक्सलिन जोसी सी एम ने कहा, ‘‘मैं एक साल से बी.टेक कंप्यूटर साइंस और इंजीनियंिरग की पढ़ाई कर रहा हूं। सीआरपीएफ अधिकारियों ने प्रवेश प्रक्रिया के दौरान मेरी मदद की और सुनिश्चित किया कि अच्छा संस्थान नहीं मिलने के कारण मेरा साल बर्बाद न हो।’’ आंकड़ों के अनुसार अब तक 2,262 सैन्यकर्मी अलग-अलग हमलों में मारे जा चुके हैं।