दंतेवाड़ा: जवानों के वाहनों को विस्फोट से उड़ाया, 10 जवान बलिदान, वाहन चालक की भी मौत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर्नाटक दौरा किया रद्द, बृहस्पतिवार को दंतेवाड़ा में बलिदानी जवानों को देंगे श्रद्धांजलि

दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में बुधवार को नक्सलियों ने सुरक्षार्किमयों को ले जा रहे वाहनों के काफिले में शामिल एक वाहन को विस्फोट से उड़ा दिया. इस घटना में 10 पुलिसकर्मी बलिदान हो गए तथा एक वाहन चालक की मौत हो गई.
राज्य में पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों पर माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला है.

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान पर निकले जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दल पर नक्सलियों ने दोपहर एक बजे से 1:30 बजे के बीच विस्फोट किया, इस घटना में 10 पुलिसकर्मी बलिदान हो गए तथा एक वाहन चालक की मृत्यु हो गई. बस्तर क्षेत्र के ज्यादातर युवाओं को डीआरजी में भर्ती किया गया है. यह दल नक्सलियों से लड़ने में माहिर माना जाता है और इस दल में कुछ आत्मसर्मिपत नक्सली भी हैं.

सुंदरराज ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान में शामिल होने के बाद दस जवान एक मल्टी यूटिलिटी व्हीकल से दंतेवाड़ा लौट रहे थे, जब वह अरनपुर और समेली गांवों के बीच में थे तभी नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया. उन्होंने बताया कि इस घटना में डीआरजी के सभी 10 जवानों और वाहन चालक की मौके पर ही मौत हो गई.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद अतिरिक्त बल को घटनास्थल पर भेजा गया और सभी शवों को दंतेवाड़ा लाया गया. उन्होंने बताया कि सुरक्षाबल के जवानों ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है. दंतेवाड़ा जिले में तैनात एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में दरभा डिवीजन कमेटी के नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर लगभग दो सौ की संख्या में सुरक्षाबल के जवानों को मंगलवार रात अरनपुर क्षेत्र के लिए रवाना किया गया था.

उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह अरनपुर से करीब सात किलोमीटर दूर नहाड़ी गांव के पास सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसके बाद दो संदिग्ध नक्सलियों को पकड़ा गया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान के बाद आज दोपहर सुरक्षाबल के जवान वाहनों के काफिले में अपने मुख्यालय लौट रहे थे. उन्होंने वाहनों की संख्या का खुलासा नहीं किया.

उन्होंने बताया कि जब दो वाहनों के बीच लगभग 100-150 मीटर का अंतर था तब नक्सलियों ने दूसरे वाहन को निशाना बनाकर विस्फोट किया. इससे वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और सभी 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. उन्होंने बताया कि विस्फोट के तुरंत बाद आगे और पीछे चल रहे वाहनों में सवार सुरक्षाबल के जवानों ने पोजीशन लिया और गोलीबारी शुरू कर दी.

अधिकारी ने बताया कि विस्फोट के कारण घटनास्थल पर 10 फीट गहरा एक गड्ढा हो गया है, जिससे सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. उन्होंने बताया कि वहीं विस्फोट के बाद वाहन भी पूरी तरह से नष्ट हो गया है. शवों के क्षतिग्रस्त होने के कारण उन्हें तत्काल प्लास्टिक से ढक दिया गया था.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटनास्थल की तलाशी के दौरान लगभग 150 मीटर लंबा तार बरामद किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि हमले में लगभग 40 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने बताया कि विस्फोटक के बारे में अधिक जानकारी के लिए फोरेंसिक दल ने जांच शुरू कर दी है.

इधर घटना की जानकारी मिलने के बाद छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा ने नवा रायपुर स्थित पुलिस मुख्यालय में नक्सल विरोधी अभियान और राज्य आसूचना शाखा के अधिकारियों की बैठक ली. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घटना पर दुख जताया है और कहा है कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम चरण में है और नक्सलियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. बघेल ने कहा है कि हम समन्वित तरीके से काम करेंगे और नक्सलवाद को खत्म करेंगे.

बघेल को चुनाव प्रचार के लिए आज शाम कर्नाटक के लिए रवाना होना था, लेकिन उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया है. वह बृहस्पतिवार को दंतेवाड़ा में बलिदान जवानों को श्रद्धांजलि देंगे. इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को बारूदी सुरंग विस्फोट में जवानों की शहादत पर दुख जताया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात कर उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘दंतेवाड़ा में छत्तीसगढ़ पुलिस पर नक्सलियों द्वारा किए गए कायराना हमले से दुखी हूं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से बात की है और राज्य सरकार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है. बलिदान जवानों के शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी संवेदनाएं.’’

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी हमले की ंिनदा करते हुये ट्वीट किया, ‘‘छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों द्वारा किए गए कायरतापूर्ण आईईडी विस्फोट की कड़ी ंिनदा करता हूं. अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर बलिदानों को शत शत नमन. बहादुर जवानों के शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना.’’ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में मृतकों की पहचान प्रधान आरक्षक जोगा सोढ़ी, मुन्ना राम कड़ती, संतोष तामो, आरक्षक दुल्गो मंडावी, लखमु मरकाम, जोगा कवासी, हरिराम मंडावी, गोपनीय सैनिक राजू राम करटम, जयराम पोड़ियाम और जगदीश कवासी तथा निजी वाहन चालक धनीराम यादव के रूप में हुई है.

नक्सली हमले में बलिदान पुलिस जवानों में से ज्यादातर दंतेवाड़ा जिले के रहने वाले हैं. इस घटना के बारे में पूछे जाने पर प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने संवाददाताओं को बताया कि हमले में दस जवान और एक वाहन चालक की मृत्यु हो हुयी है और इसकी विस्तृत जानकारी ली जा रही है. यह पूछे जाने पर कि नक्सली घटनाएं बढ़ रही है तब उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पिछले चार वर्षों के शासन के दौरान नक्सली गतिविधियों में 40 प्रतिशत की कमी आई है और उनकी सरकार नक्सलियों को पीछे धकेलने में सफल रही है.

उन्होंने कहा कि नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए समय-समय पर वारदातों को अंजाम देते हैं. इस बीच, ओड़िशा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ओडिशा सरकार ने दंतेवाड़ा नक्सली हमले के बाद दोनों राज्यों की सीमा पर ओड़िशा के तीन जिलों में बुधवार को हाई अलर्ट जारी कर दिया .

दंतेवाड़ा समेत पूरे बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर मार्च और जून माह के बीच बड़ी संख्या में हमले हुए हैं. वर्ष के मार्च और जून माह के मध्य गर्मी के मौसम में नक्सली टैक्टिकल काउंटर आॅफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं और बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं. इससे पहले तीन अप्रैल 2021 में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था. इस हमले में 22 जवान बलिदान हुए थे.

इससे पहले 21 मार्च, 2020 को सुकमा के मिनपा इलाके में नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी बलिदान हो गए थे. वहीं नौ अप्रैल, 2019 को दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली विस्फोट में भाजपा विधायक भीमा मंडावी और चार सुरक्षाकर्मी मारे गए थे तथा सुकमा में 24 अप्रैल, 2017 को बुरकापाल हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मृत्यु हुई थी. वहीं वर्ष 2010 में ताड़मेटला (तब दंतेवाड़ा में) में हुए सबसे बड़े नक्सली हमले जिसमें 76 जवानों की मृत्यु हुई थी वह भी टीसीओसी के दौरान अप्रैल माह में हुआ था.

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