रक्षा मंत्री राजनाथ ने ‘आईएनएस संधायक’ को नौसेना में शामिल किया, समुद्री लुटेरों को चेताया
विशाखापत्तनम. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में शनिवार को यहां सर्वेक्षण पोत ‘आईएनएस संधायक’ को नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. आईएनएस संधायक चार ‘सर्वे वेसल लार्ज’ (एसवीएल) पोतों में से पहला है. सिंह ने कहा कि एसवीएल जहाज महासागरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के अलावा देश के साथ-साथ दूसरों की रक्षा करने के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करने में काफी मदद करेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि समुद्री लुटेरों और तस्करी में शामिल लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
आईएनएस संधायक की प्राथमिक भूमिका सुरक्षित समुद्री नेविगेशन को सक्षम करने के लिए बंदरगाहों, नौवहन माध्यमों, मार्गों, तटीय क्षेत्रों और गहरे समुद्रों का पूर्ण पैमाने पर ”जल सर्वेक्षण” करना है. समुद्री लुटेरों से पोतों को बचाने के लिए भारतीय नौसेना की त्वरित प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा, ”हिंद महासागर में अदन की खाड़ी, गिनी की खाड़ी आदि जैसे कई अवरोधक बिंदु मौजूद हैं, जिनके माध्यम से बड़ी मात्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है. इन बिंदुओं पर कई खतरे बने रहते हैं, जिनमें सबसे बड़ा खतरा समुद्री डाकुओं से है.” केंद्रीय मंत्री ने चेतावनी दी कि समुद्री लुटेरों और तस्करी में शामिल लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने न केवल भारतीय जहाजों बल्कि मित्र देशों के जहाजों को भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, सिंह ने हिंद महासागर में अवैध और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने को रोकने के साथ-साथ विभिन्न देशों के बीच नेविगेशन, व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता बनाए रखने के भारत के दृढ़ संकल्प को दोहराया. मंत्री ने कहा, ”आईएनएस संधायक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा तथा शांति व सुरक्षा बनाए रखने में भारतीय नौसेना के लिए मददगार साबित होगा.” आईएनएस संधायक का निर्माण ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स’ (जीआरएसई), कोलकाता में किया गया. 3,400 टन वजनी यह पोत 110 मीटर लंबा है. इसमें अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं.
अमेरिका-भारत मंच ने कहा, भारत लाल सागर संकट से उबरने में सक्षम
अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी (यूएसआईएसपी) मंच ने कहा है कि लाल सागर संकट का भारत में मुद्रास्फीति या वस्तुओं की कमी के लिहाज से कोई असर नहीं होगा. अमेरिका और यूरोप से एशिया आने वाले जलपोत लाल सागर में मिसाइलों की चपेट में आने से बचने के लिए लंबा चक्कर लगाने को मजबूर हैं. इससे यात्रा का समय बढ़ा है, जहाजों की उपलब्धता पर असर पड़ा है और माल ढुलाई तथा बीमा लागत में वृद्धि हुई है. यूएसआईएसपी ने हालांकि कहा है कि लाल सागर संकट का कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ने वाला है.
यूएसआईएसपी के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ”भारत इससे उबरने में सक्षम है.” उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार का लगभग 15 प्रतिशत लाल सागर से होता है. लाल सागर मार्ग का उपयोग नहीं करने पर समय दोगुना हो जाता है और पूंजी तथा कंटेनर अगले तीन सप्ताह के लिए फंस जाते हैं. इससे भारत से यूरोप को चावल का निर्यात और भारत का ऊर्जा का आयात प्रभावित हो रहे हैं.
अघी ने कहा कि इस संकट से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा कि महंगाई बहुत बढ़ जाए या वस्तुओं की भारी कमी हो जाए. भारत इस संकट से उबर सकता है. इसबीच एस्सार समूह के निदेशक प्रशांत रुइया और डेलॉयट के वैश्विक सीईओ जो उकुजोग्लू सहित उद्योग जगत के दिग्गजों को यूएसआईएसपी में शामिल किया गया है. मंच के बोर्ड में शामिल होने वाले दो अन्य व्यक्ति क्वालकॉम के वैश्विक मामलों के अध्यक्ष एलेक्स रोजर्स और एमएसआई सर्फेस के राज शाह हैं.