मुस्लिम को न ‘भड़काएं’, सांप्रादायिक विद्वेष फैलाने से बचें: विहिप ने जमीयत से कहा

नयी दिल्ली. देश में कथित रूप से बढ़ती सांप्रदायिकता पर ंिचता व्यक्त करने को लेकर मुस्लिम संगठन जमीयत-उलेमा-ए-ंिहद की आलोचना करते हुए विश्व ंिहदू परिषद (विहिप) ने सोमवार को कहा कि मुस्लिम नेताओं को अपने समुदाय को ‘भड़काना’ नहीं चाहिए और मुस्लिमों पर अत्याचार की ‘झूठी कहानियां’ फैलाकर सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने से बचना चाहिए.

जमीयत ने भाजपा नीत सरकार पर बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में जहर घोलने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था और देश में कथित रूप से बढ़ती सांप्रदायिकता पर ंिचता व्यक्त की थी. इसके बाद विहिप का यह बयान आया है. जमीयत के नेता मौलाना महमूद मदनी और बदरूद्दीन अजमल पर हमला करते हुए विहिप नेता सुरेंद्र जैन ने आरोप लगाया कि उनके जैसे कट्टरपंथी नेताओं ने देवबंद में एक सम्मेलन में “भारत में मुसलमान पीड़ित हैं” का नारा लगाकर एक बार फिर मुस्लिम समाज को भड़काने की कोशिश की है.

उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कश्मीर से लेकर केरल तक के कट्टरपंथी नेता अपने “अलगाववादी एजेंडे” को लागू करने के वास्ते संविधान, न्यायपालिका और ंिहदू समाज को चुनौती देने के लिए एक साथ आए हैं.‘‘ जैन ने कहा, ‘‘यह भारत का दुर्भाग्य है कि कुछ वर्ष पहले तक भारत की राजनीति का केंद्र मुस्लिम तुष्टीकरण था. कट्टरपंथी नेता भारतीय राजनीतिक नेताओं को अपनी नाजायज मांगें स्वीकार करने के लिए ब्लैकमेल करते रहे हैं.’’ उन्होंने दावा किया कि भारत के विभाजन के लिए कांग्रेस नेताओं की सहमति इसी ‘‘ब्लैकमेल राजनीति ’’ का परिणाम थी.

जैन ने एक वीडियो बयान में कहा, ‘‘लेकिन कुछ वर्षों से भारतीय राजनीति का केंद्र मुस्लिम वोट बैंक या शरीयत नहीं, बल्कि भारत का संविधान है. इसलिए वे मुसलमानों पर अत्याचार की झूठी कहानियां फैलाकर देश में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा कर रहे हैं.’’ जमीयत अध्यक्ष मौलाना मदनी ने रविवार को कहा था कि जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने की बात कहते हैं वे खुद देश छोड़कर चले जाएं.
संगठन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, मदनी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की कुछ राज्यों की योजना पर आपत्ति जताई.

राज्यसभा के पूर्व सदस्य जमीयत की प्रबंधन समिति के सालाना दो दिवसीय अधिवेशन के अंतिम दिन आयोजित सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा, ‘‘राष्ट्र निर्माण के लिए जो लोग हमख्याल हैं उनको साथ लेना है. समझदारी, हिम्मत और दीर्घकालिक रणनीति के तहत नफरत के सौदागरों को हराना है.’’ मौलाना मदनी ने कहा, ‘‘हम नहीं जाएंगे, जिसे हमें भेजने का शौक है वह यहां से चला जाए.’’ संगठन के बयान के मुताबिक, जमीयत उलेमा-ए-ंिहद की असम इकाई के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने सरकार के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि मुसलमानों की चुप्पी को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए.

इसके अलावा संगठन ने अधिवेशन में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के शाही ईदगाह तथा समान नागरिक संहिता पर प्रस्ताव पारित किए और एक घोषणापत्र जारी कर सभी मुसलमानों को डर, निराशा और भावुकता से दूर रहने तथा अपने भविष्य की बेहतरी के लिए काम करने की सलाह दी. बयान में कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह से संबंधित प्रस्ताव में संगठन ने ‘‘प्राचीन इबादतगाहों पर बार-बार विवाद खड़ा करके देश में अमन व शांति ख़राब करने वाली शक्तियों और उनको समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों के रवैये पर गहरी नाराज़गी ज़ाहिर की है.’’

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