विदेश में अपराध से कमाई के बदले देश में संपत्ति कुर्क कर सकती है ईडी : उच्च न्यायालय

चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) धनशोधन जांच के तहत और देश के आर्थिक हित में, आपराधिक गतिविधियों के जरिए विदेश में बनाई गई संपत्तियों के बदले देश में उपलब्ध उसके बराबर मूल्य की वैध संपत्तियों को कुर्क कर सकता है.

अदालत ने चेन्नई स्थित तीन कंपनियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही, जिसमें तर्क दिया गया था कि उनसे संबंधित व्यक्तियों और शेयरधारकों द्वारा किए गए कथित अपराधों के लिए उन्हें ‘उत्तरदायी’ नहीं ठहराया जा सकता है.
इन कंपनियों ने कहा कि ईडी द्वारा जब्त की गई उनकी संपत्तियां उनसे जुड़े कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी अपराध के काफी पहले खरीदी गई थीं.

न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति वी शिवगनम की खंडपीठ ने मंगलवार को एक आदेश जारी करते हुए कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 2(1)(यू) के तहत यह पूरी तरह स्पष्ट है कि ऐसी किसी संपत्ति या उसके समतुल्य मूल्य की ‘देश या विदेश में रखी गई’ संपत्ति का मूल्य भी ‘अपराध से आय ‘ के रूप में समझा जाएगा. अदालत ने कहा कि इसलिए उक्त धारा के तहत बताई गई परिस्थितियां यह हैं कि किसी व्यक्ति द्वारा अनुसूचित अपराध से संबंधित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप अर्जित की गई संपत्ति को अपराध की आय माना जा सकता है.

उच्च न्यायालय ने 14 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा, ”ऐसी किसी संपत्ति का मूल्य या यदि ऐसी संपत्ति देश के बाहर ली गई है या रखी गई है… तो देश के भीतर समान मूल्य की संपत्ति को अपराध की आय समझा जा सकता है. इसलिए, आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप कुछ संपत्तियां देश के बाहर रखी गई हैं, तो देश के भीतर रखी गई समान मूल्य की संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जब्त किया जा सकता है.”

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