छात्र से ‘विवाह’ को लेकर विवाद के बाद महिला प्रोफेसर की इस्तीफे की पेशकश

कोलकाता. पश्चिम बंगाल के एक विश्वविद्यालय की वरिष्ठ महिला प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय के साथ अपना जुड़ाव जारी रखने में असमर्थता का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की पेशकश की है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. महिला प्रोफेसर ने इस्तीफे की पेशकश उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद की है, जिसमें उन्हें एक कक्षा के भीतर एक छात्र से ”विवाह” करते दिखाया गया है.
सरकारी मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएकेएयूटी) में ‘एपलाइड साइकोलॉजी’ विभाग की प्रमुख महिला प्रोफेसर द्वारा अपने विभाग के प्रथम वर्ष के छात्र के साथ कक्षा के अंदर बंगाली रीति-रिवाज से विवाह करने का एक कथित वीडियो क्लिप 28 जनवरी को सोशल मीडिया पर सामने आया था, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया था.
एमएकेएयूटी रजिस्ट्रार पार्थ प्रतिम लाहिड़ी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रोफेसर ने उनके कार्यालय को एक ई-मेल भेजा है, जिसमें उन्होंने वीडियो के प्रसार से उत्पन्न ”वर्तमान स्थिति के मद्देनजर” राज्य संचालित विश्वविद्यालय के साथ अपना जुड़ाव जारी रखने में असमर्थता व्यक्त की है.
लाहिड़ी ने कहा, ”उन्होंने (प्रोफेसर) घटना का जिक्र किया है और पिछले कुछ वर्षों से संस्थान के साथ काम करने का मौका देने के लिए एमएकेएयूटी को धन्यवाद दिया है.” लाहिड़ी ने कहा कि विवाद के बाद शिक्षक को छुट्टी पर जाने के लिए कह दिया गया था और प्रोफेसर ने एक फरवरी को ईमेल भेजा था और यह अभी प्रक्रिया में है. उन्होंने कहा, ”हम आपको सही समय पर अपना फैसला बताएंगे.” वीडियो क्लिप में महिला प्रोफेसर को दुल्हन की तरह सजे-धजे दिखाया गया है. इसे राज्य के नादिया जिले में एमएकेएयूटी के हरिंगहाटा परिसर में एक कक्षा के अंदर बनाया गया था.
हालांकि, प्रोफेसर ने दावा किया था कि यह एक ‘साइको-ड्रामा प्रोजेक्ट’ के तहत मंचित किया गया नाटक था, जिसका मंचन छात्रों और विश्वविद्यालय की सहमति से किया गया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नाटक का एक हिस्सा जानबूझकर एक सहकर्मी द्वारा लीक किया गया था, जो उन्हें बदनाम करना और उनके करियर को बर्बाद करना चाहता था.
प्रोफेसर ने कहा था कि वह अपनी सामाजिक और शैक्षणिक प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए कानूनी कदम उठाएंगी. महिला प्रोफेसर को 29 जनवरी को एमएकेएयूटी द्वारा छुट्टी पर जाने के लिए कह दिया गया था. विश्वविद्यालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था, जिसमें सभी महिला संकाय सदस्य थीं.
अधिकारी ने बताया कि समिति ने अपने निष्कर्षों में प्रोफेसर के इस दावे को खारिज कर दिया कि वीडियो दस्तावेजीकरण के लिए ‘साइको-ड्रामा प्रोजेक्ट’ का एक हिस्सा था. इस मामले पर टिप्पणी के लिए प्रोफेसर से संपर्क नहीं किया जा सका.