मानवाधिकार संरक्षण: भाषण देने की जरूरत नहीं : शी चिनफिंग
बीजिंग. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार के आरोपों को कोई तव्वजो न देते हुए बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैश्लेट से कहा कि कोई भी मानवाधिकार संरक्षण में पूर्णता का दावा नहीं कर सकता है और भाषण देने की कोई जरूरत नहीं है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त बैश्लेट बीजिंग के साथ एक लंबी समझौता प्रक्रिया के बाद उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े आरोपों की जांच करने सोमवार को गुआंग्झू पहुंचीं.
चीन का आरोप है कि अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे कट्टरपंथी संगठनों से कथित तौर पर जुड़े पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईअीआईएम) ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, अफगानिस्तान और कई मध्य एशियाई देशों की सीमा से लगे मुस्लिम-बहुल शिनजियांग प्रांत में अलगाववादी विद्रोह को भड़काया है. लाखों उइगर मुसलमानों को शिविरों में रखने के कदम को चीन कौशल शिक्षा करार देता रहा है.
चिनफिंग ने बुधवार को एक वीडियो ंिलक के जरिए बैश्लेट के साथ अपनी बैठक में कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और चीन सरकार मानवाधिकारों की व्यापक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. चीन के राष्ट्रपति ने इस दौरान यह भी कहा कि मानवाधिकार संरक्षण में कोई पूर्णता का दावा नहीं कर सकता है और हमेशा सुधार की आवश्यकता होती है तथा इस पर भाषण देने की कोई आवश्यकता नहीं है.
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि बैश्लेट ने कोविड चुनौती के बावजूद अपनी यात्रा को मंजूरी देने के लिए चीन की सराहना की जो 17 वर्षों में मानवाधिकारों के संबंध में किसी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त की पहली चीन की यात्रा है. बैश्लेट ने चिनफिंग से कहा कि यह यात्रा उन्हें चीन के बारे में बेहतर समझ देगी. इससे पहले, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने दक्षिणी शहर ग्वांगझू में बैश्लेट से मुलाकात की और उन्हें मुद्दे पर चीन के रुख से अवगत कराया.
बैश्लेट की यात्रा के बीच बीबीसी ने शिनजियांग में चीनी पुलिस के कंप्यूटर सर्वर से हैक किया गया “डेटा” जारी किया है, जिसमें चीन की अत्यधिक गोपनीय प्रणाली के केंद्र से बंदी उइगरों की हजारों तस्वीरें दिखाई गई हैं. इसमें भागने की कोशिश करने वालों को गोली मारने की नीति का भी जिक्र है.
बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैश्लेट की यात्रा विवादास्पद है क्योंकि आलोचकों का कहना है कि उनका यात्रा कार्यक्रम सरकार के कड़े नियंत्रण में होगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीबीसी की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह शिनजियांग की छवि को धूमिल करने के लिए चीन विरोधी ताकतों के अभियान का नवीनतम उदाहरण है. उन्होंने कहा कि बैश्लेट ग्वांगडोंग और शिनजियांग का दौरा करेंगी, जहां उनका विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ विचारों का व्यापक आदान-प्रदान होगा.
क्षेत्रीय देशों को डर है आईपीईएफ उन्हें चीनी अर्थव्यवस्था से अलग कर सकता है : चीन
चीन ने बुधवार को तोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिका द्वारा शुरू किए गए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की आलोचना करते हुए कहा कि इस क्षेत्र के कई देश ंिचतित हैं कि आईपीईएफ उन्हें चीनी अर्थव्यवस्था से अलग कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 23 मई को क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले आईपीईएफ की शुरुआत की. बाइडन ने कहा कि भारत सहित 12 देश नई पहल में शामिल हुए हैं, जिसे बड़े पैमाने पर ंिहद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल में शामिल होने वाले देश आॅस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, ंिसगापुर, थाईलैंड और वियतनाम हैं. आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, कार्य ढांचे में चार स्तंभ- व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचा, तथा कर और भ्रष्टाचार विरोध- शामिल हैं.
एक वरिष्ठ अमेरिकी आधिकारी ने टिप्पणी की कि आईपीईएफ ‘‘इस क्षेत्र में अमेरिका का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध है’’ और ंिहद-प्रशांत देशों को चीन के लिए एक विकल्प देता है. इस बारे में जब प्रतिक्रिया मांगी गई तो चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने यहां एक मीडिया ब्रींिफग में कहा कि सहयोग के नाम पर कार्य ढांचा कुछ देशों को बाहर करने का प्रयास करता है.
चीन के अलावा आईपीईएफ से लाओस, कंबोडिया और म्यांमा को बाहर रखा गया है जिन्हें बीजिंग के करीबी के तौर पर देखा जाता है.
वांग ने कहा कि आईपीईएफ अमेरिका के नेतृत्व वाले व्यापार नियम स्थापित करता है, औद्योगिक श्रृंखलाओं की प्रणाली का पुनर्गठन करता है और चीनी अर्थव्यवस्था से क्षेत्रीय देशों को अलग करता है.
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा कि आईपीईएफ क्षेत्र में अमेरिकी आर्थिक नेतृत्व को बहाल करने और क्षेत्रीय देशों को चीन के दृष्टिकोण का विकल्प पेश करने में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. तथ्य यह है कि इस क्षेत्र के कई देश चीन से ‘अलग किए जाने’ की भारी लागत से ंिचतित हैं.’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका का दावा है कि वह आईपीईएफ के साथ 21वीं सदी की प्रतियोगिता जीतना चाहता है. यह पूरी तरह से दर्शाता है कि कार्य ढांचा सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सेवा करता है.
वांग ने कहा कि सालों से अमेरिका एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग से अनुपस्थित रहा है. वह ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से हट गया और व्यापक और प्रगतिशील ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (सीपीटीपीपी) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) में भी शामिल नहीं हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘यह सब पूरी तरह से अपने स्वार्थ के लिए किया जाता है. अमेरिका क्षेत्रीय सहयोग पहलों को स्वीकार करने के लिए एक चयनात्मक दृष्टिकोण अपना रहा है. अब अमेरिका ने आईपीईएफ का प्रस्ताव केवल अपने हितों को साधते हुए कुछ नया शुरू करने के लिये दिया है.’’