आजादी के बाद भारत नेताजी की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता: प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को आजादी के बाद भुला दिया गया और उनके विचारों तथा उनसे जुड़े प्रतीकों को नजरअंदाज किया गया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत उनकी राह पर चला होता तो आज वह ऊंचाइयों पर होता.

इंडिया गेट के पास स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पहले वहां गुलामी के समय ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी लेकिन आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की प्रतिमा की स्थापना करके आधुनिक और सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह अवसर ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है.’’ प्रधानमंत्री ने नेताजी को ऐसा ‘‘महामानव’’ बताया जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे और जिनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि ऐसे साहसी, स्वाभिमानी, दूरदृष्टि, विचार, नेतृत्व की क्षमता और नीतियों का ज्ञान रखने वाले नेताजी को आजादी के बाद भुला दिया गया और उनके विचारों को तथा उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता.’’ बजट पेश करने की तारीख से लेकर अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों कानूनों को बदले जाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश की क्षेत्रीय भाषाओं को तरजीह दिए जाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में एक के बाद एक ऐसे निर्णय लिए गए हैं, जिन पर नेताजी के आदर्शों और सपनों की छाप है.

उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं. आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं. आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं.’’ बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था. इस होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर किया गया था.

यह पहली परियोजना है, जो मोदी सरकार की 13,450 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुर्निवकास योजना के तहत पूरी हुई है.
‘देश की सत्ता का गलियारा’ कहे जाने वाले सेंट्रल विस्टा के पुर्निवकास की परियोजना के तहत एक नये त्रिकोणीय संसद भवन, एक साझा केंद्रीय सचिवालय, तीन किलोमीटर लंबे राजपथ का पुर्निवकास, प्रधानमंत्री के नये निवास और कार्यालय और उपराष्ट्रपति के लिए नये एन्क्लेव की परिकल्पना की गई है.

प्रतिमा का अनावरण आजाद ंिहद फौज के पारंपरिक गीत ‘‘कदम, कदम बढ़ाए जा’’ की धुन के साथ किया गया. एक भारत-श्रेष्­ठ भारत और अनेकता में एकता की भावना को प्रर्दिशत करने के लिए देश के कोने-कोने से आए 500 नर्तकों द्वारा एक सांस्­कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री ने नेताजी को पुष्पांजलि भी अर्पित की.

करीब 26,000 घंटे के अथक कलात्­मक प्रयासों से अखंड ग्रेनाइट को तराश कर 65 मीट्रिक टन वजन की इस प्रतिमा को तैयार किया गया है. काले रंग के ग्रेनाइट पत्­थर से निर्मित 28 फुट ऊंची यह प्रतिमा इंडिया गेट के समीप एक छतरी के नीचे स्­थापित की गई है.
नेताजी की इस प्रतिमा को पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक औजारों का उपयोग कर पूरी तरह हाथों से बनाया गया है. अरुण योगीराज के नेतृत्­व में मूर्तिकारों के एक दल ने यह प्रतिमा तैयार की है.

यह प्रतिमा भारत की विशालतम, सजीव, अखंड पत्­थर पर हस्त निर्मित प्रतिमाओं में से एक है. ग्रेनाइट के इस अखंड पत्­थर को तेलंगाना के खम्­मम से 1665 किलोमीटर दूर नयी दिल्­ली तक लाने के लिए 100 फुट लंबा 140 पहियों वाला एक ट्रक विशेष तौर पर तैयार किया गया था. प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री हरदीप ंिसह पुरी, जी किशन रेड्डी, धर्मेंद्र प्रधान, मीनाक्षी लेखी सहित कई केंद्रीय मंत्री, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्डा और कई देशों के राजनयिक भी मौजूद थे.

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