आबकारी ‘घोटाला’ मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी वैध : उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कथित आबकारी नीति घोटाले से उपजे भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखा. उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सीबीआई के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं है, जिसने दिखाया है कि आप सुप्रीमो कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सकते हैं.

अदालत ने कहा कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी और प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उनके खिलाफ साक्ष्यों का चक्र बंद हो गया और यह नहीं कहा जा सकता कि यह बिना किसी उचित कारण के या अवैध था. अदालत ने कहा कि केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं.

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने अपने 48 पन्नों के फैसले में कहा, ह्लगवाहों पर उनका नियंत्रण और प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से पता चलता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने उजागर किया है.ह्व उन्होंने कहा कि प्रतिवादी (सीबीआई) के कृत्यों से किसी भी तरह की दुर्भावना का पता नहीं लगाया जा सकता है.
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल, 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी उनके खिलाफ आगे की जांच में जुटी.

अदालत ने कहा कि अपराध के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के पद के कारण उनके प्रभाव की वजह से महत्वपूर्ण गवाह सामने नहीं आ रहे थे. न्यायाधीश ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए.
उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक न्यायालय का यह दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि गिरफ्तारी और रिमांड की असाधारण शक्तियों का दुरुपयोग न हो अथवा पुलिस द्वारा लापरवाही और अक्खड़ तरीके से इनका उपयोग न किया जाए.ह्व

केजरीवाल के वकील ने दलील दी थी कि सीबीआई ने अगस्त 2022 में प्राथमिकी दर्ज की थी और पिछले दो सालों से जांच चल रही है. उन्होंने कहा था कि गिरफ्तारी ज्ञापन में कोई नया सबूत या आधार नहीं है जो इस साल जून में उनकी गिरफ्तारी को सही ठहरा सके.
उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक की जमानत याचिका को निस्तारित कर दिया और उन्हें राहत के लिए अधीनस्थ अदालत में जाने की छूट प्रदान की. उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर 17 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

अदालत ने केजरीवाल और केंद्रीय एजेंसी के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद 29 जुलाई को ‘आप’ नेता की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था, जहां वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन के एक मामले में न्यायिक हिरासत में बंद थे. मुख्यमंत्री को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था और धन शोधन मामले में निचली अदालत ने 20 जून को उन्हें जमानत दे दी थी. हालांकि, उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी. उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को उन्हें धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी थी. भाषा प्रशांत रंजन रंजन

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