महाराष्ट्र का बदला लिया गया है बिहार में : कांग्रेस

पटना/नयी दिल्ली. बिहार में कांग्रेस को लगता है कि राज्य में भाजपा का पतन महाराष्ट्र में ‘‘दलबदल’’ और देश की सबसे पुरानी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति से बाहर करने के प्रयासों का परिणाम है. भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने बुधवार को चुटकी लेते हुए कहा कि ‘‘भाजपा मुक्त बिहार’’ नया संदेश है जो लोगों को भेजा गया है. बुधवार को एक टेलीविजन चैनल से बात करते हुए दास ने कहा कि जब भी राष्ट्र की प्रगति, देश की स्वतंत्रता और इसकी मान्यता की बात आती है, कांग्रेस हमेशा एक मजबूत स्तंभ रही है .

उन्होंने कहा, ‘‘भगवा पार्टी सभी छोटी पार्टियों का सफाया करना चाहती है. वह भारत में सिर्फ एक पार्टी (भाजपा), एक रंग और एक धर्म की स्थापना करना चाहती है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या नए महागठबंधन की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस से होगा, दास ने कहा, ‘‘जो होगा, अच्छे के लिए होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कल मैंने कहा था कि इतिहास बन रहा है, यह वास्तव में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. बिहार ने भाजपा मुक्त प्रदेश का संदेश दिया है.

इस बीच कांग्रेस नेता और सांसद जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि बिहार ‘‘नो आॅपरेशन लोटस’’. उन्होंने लिखा, ‘‘कोई नकदी नहीं पकड़ी गई. ईडी की छापेमारी नहीं . असम का मुख्यमंत्री नहीं. कोई रिसॉर्ट यात्रा नहीं. सभी बिहार शैली में किए गए. सभ्य तरीके से और कम लागत में . मुख्यमंत्री को सबसे बड़ी पार्टी और अन्य का समर्थन मिलता है. महाराष्ट्र में भाजपा ने दलबदल किया. बिहार में भाजपा को खारिज और बेदखल कर दिया गया.’’

नीतीश भाजपा के साथ असहज थे: प्रशांत किशोर

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बुधवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में असहज महसूस कर रहे थे और इसी वजह से उन्होंने दूसरे दलों के साथ गठबंधन करने का फैसला किया. कभी कुमार के करीबी माने जाने वाले किशोर ने कहा कि बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम का असर फिलहाल राज्य तक ही सीमित रहेगा. उन्होंने कहा कि अल्पावधि में राष्ट्रीय स्तर पर इस बदलाव का कोई असर दिखने की संभावना नहीं है.

किशोर ने पटना में समाचार चैनल को कहा, ‘‘ 2017 से 2022 तक वह भाजपा के साथ थे, लेकिन कई कारणों से मैंने उन्हें कभी सहज नहीं पाया. उन्होंने सोचा होगा कि क्यों न महागठबंधन के साथ प्रयोग किया जाए.’’ कुमार के प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाओं की खबरों पर, किशोर ने कहा कि घटनाक्रम पूरी तरह से केवल बिहार तक सीमित है. उन्होंने कहा कि 2012-13 से बिहार में सरकार बनाने के लिए छह तरह के गठबंधन किए गए और हमेशा नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने.

किशोर ने समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ से कहा, ‘‘ जहां तक सरकार गठन का सवाल है, 2012-13 के बाद से यह छठा प्रयोग है. इन सभी समय नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने. हालांकि, बिहार की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया. मैं उम्मीद करता हूं कि नयी सरकार कुछ अच्छा करेगी.’’ किशोर ने ‘सीएनएन न्यूज 18’ से कहा कि यह देखना होगा कि नयी सरकार कुछ करती है या नहीं, क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (यूनाइटेड) का भ्रष्टाचार सहित कई मुद्दों पर रुख एकदम अलग है.

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