महुआ ने एप्पल मामले पर बिरला को पत्र लिखा, सदस्यों के लिए संरक्षण का आग्रह किया

नयी दिल्ली. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कई विपक्षी नेताओं द्वारा उनके आईफोन में ‘सरकार प्रायोजित सेंधमारी’ के प्रयास का दावा किए जाने का हवाला देते हुए बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वह सदन के सदस्यों को संरक्षण प्रदान करें, ताकि वे अपने कर्तव्य का निर्वहन करना जारी रख सकें.

उन्होंने यह भी कहा कि यह ”सरकार द्वारा गैरकानूनी निगरानी” है जो संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों पर सबसे बुरा हमला है. सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष प्रतापराव जाधव ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अगर कोई इस मामले को उनके पास भेजेगा तो समिति इस मुद्दे पर कार्रवाई करेगी.

विपक्ष के कई नेताओं ने मंगलवार को दावा किया था कि उन्हें उनके आईफोन में “सरकार प्रायोजित सेंधमारी के प्रयास” के बारे में एप्पल से चेतावनी संदेश मिला है तथा इस कथित हैकिंग के प्रयास के लिए सरकार जिम्मेदार है. केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया था और कहा था कि सरकार इसकी गहन जांच कराएगी.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल, शशि थरूर, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत एवं टी एस सिंहदेव, शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्ढा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी को भी इसी तरह का संदेश मिला.

बिरला को लिखे पत्र में मोइत्रा ने कहा, ”विपक्षी नेताओं को एक संदेश मिला है कि उन्हें सरकार प्रायोजित सेंधमारों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है जो उपकरणों के साथ दूर से छेड़छाड़ करने और उनके डेटा, संचार तथा यहां तक ??कि कैमरा और माइक्रोफोन तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रहे हैं.” तृणमूल कांग्रेस की सांसद ने कहा, ”उस पेगासस सॉफ़्टवेयर (केवल सरकारों को बेचा गया) के मामले के मद्देनजर यह खतरा दोगुना चौंकाने वाला है जिसका उपयोग 2019-2021 के दौरान विपक्ष के विभिन्न सदस्यों, असंतुष्ट पत्रकारों और सामाजिक संगठनों के सदस्यों के उपकरणों से छेड़छाड़ करने के लिए किया गया था.”

मोइत्रा ने पेगासस मामले का उल्लेख करते हुए कहा, ”तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी निशाने पर थे. विपक्ष द्वारा सदन में इस मुद्दे को उठाने के बावजूद किसी भी चर्चा की अनुमति नहीं दी गई और न ही कोई निर्णायक रिपोर्ट किसी एजेंसी द्वारा दायर की गई.” उन्होंने बिरला से सदस्यों के संरक्षण का आग्रह किया और कहा, ”एक जीवंत विपक्ष के रूप में हमारा कर्तव्य सत्तारूढ़ सरकार से सवाल करना और उसे जवाबदेह ठहराना है.” प्रताप राव जाधव ने कहा कि उन्होंने कई विपक्षी नेताओं के आईफोन पर कथित हमलों के बारे में आई रिपोर्ट का संज्ञान लिया है.

उन्होंने कहा, “यह मुद्दा समिति के समक्ष नहीं है. अगर कोई इस मुद्दे को समिति के सामने रखता है, तो हम भविष्य के कदम तय कर सकते हैं.” आईफोन निर्माता एप्पल ने मंगलवार को कहा था कि वह विपक्षी दलों के कुछ सांसदों को भेजे गए चेतावनी संदेश को किसी विशिष्ट सरकार-प्रायोजित सेंधमारों से नहीं जोड़ती और वह इस बारे में जानकारी नहीं दे सकती है कि ऐसी चेतावनियों का कारण क्या है.

कंपनी ने कहा था, ”ऐसे हमलों का पता लगाना खतरे के खुफिया संकेतों पर निर्भर करता है जो अक्सर अपूर्ण और अधूरे होते हैं. यह संभव है कि एप्पल के खतरे संबंधी कुछ सूचनाएं गलत चेतावनी हो सकती हैं या कुछ हमलों का पता नहीं चल पाता.” हालांकि, एप्पल ने इस बारे में बताने से इनकार कर दिया कि विपक्षी नेताओं को किस वजह से चेतावनियां मिलीं.

एप्पल मामला: कार्ति और ब्रिटास ने संसदीय समिति बुलाने की मांग उठाई

कांग्रेस के लोकसभा सदस्य कार्ति चिदंबरम और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष प्रतापराव जाधव से आग्रह किया है कि वह कई विपक्षी सदस्यों के आईफोन में ‘सरकार प्रायोजित सेंधमारी के प्रयास’ के मामले में बैठक बुलाएं.

सूत्रों ने बताया कि जाधव को लिखे एक पत्र में समिति के सदस्य कार्ति चिदंबरम ने उनसे उन सभी लोगों को बैठक में बुलाने का आग्रह किया है, जिन्हें एप्पल से चेतावनी संदेश मिले हैं. कार्ति ने यह आग्रह भी किया कि समिति की बैठक में एप्पल के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाए.

माकपा सांसद ब्रिटास ने जाधव को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वह एप्पल मामले पर बैठक बुलाएं. वह भी इस समिति के सदस्य हैं.
उनका कहना है कि यह गंभीर विषय है क्योंकि इससे आईफोन का इस्तेमाल करने वालों की सुरक्षा और निजता से छेड़छाड़ का प्रयास किया गया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि संसदीय समिति एप्पल के चेतावनी संदेश मामले पर विचार नहीं कर सकती क्योंकि यह केंद्र सरकार और पुलिस के अधिकारक्षेत्र का विषय है.

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”अख.बार में बयान देकर दबाव बनाने से देश नहीं चलता. सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति अब राहुल गांधी जी द्वारा संचालित नहीं है जैसा कि शशि थरूर जी (अध्यक्ष रहने) के समय थी.” दुबे ने लोकसभा के नियमों का हवाला देते हुए कहा, ”यह समिति लोकसभा के नियमों के तहत चलती है.

लोकसभा के नियम के तहत एप्पल की जांच केन्द्र सरकार व फ.ोन की जांच राज्य पुलिस का है. इस विषय पर हमारी समिति बैठक नहीं कर सकती. इस समिति का मैं सदस्य हूं.” विपक्ष के कई नेताओं ने मंगलवार को दावा किया था कि उन्हें उनके आईफोन में “सरकार प्रायोजित सेंधमारी के प्रयास” के बारे में एप्पल से चेतावनी संदेश मिला है तथा इस कथित हैकिंग के प्रयास के लिए सरकार जिम्मेदार है.

केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया था और कहा था कि सरकार इसकी गहन जांच कराएगी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल, शशि थरूर, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत एवं टी. एस. सिंहदेव, शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्ढा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी को भी इसी तरह के संदेश मिले हैं.

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