मलाला ने महिलाओं के खिलाफ ‘लैंगिक रंगभेद’ की व्यवस्था के लिए अफगान तालिबान की आलोचना की

इस्लामाबाद. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने रविवार को अफगान तालिबान शासन की आलोचना करते हुए कहा कि उसने महिलाओं के अपराधों को संस्कृति और धर्म की आड़ में छिपाकर उनके खिलाफ “लैंगिक रंगभेद” की व्यवस्था स्थापित की है.
इस्लामाबाद में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन मुस्लिम देशों में लड़कियों की शिक्षा के विषय पर उन्होंने कहा, ”सरल शब्दों में कहें तो तालिबान महिलाओं को इंसान नहीं मानता. वे अपने अपराधों को सांस्कृतिक और धार्मिक औचित्य की आड़ में छिपाते हैं. ये नीतियां मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं और इस्लामी शिक्षाओं में इनका कोई आधार नहीं है.” तालिबान ने 2021 में अशरफ गनी की सरकार को गिराकर फिर से सत्ता हासिल कर ली और तब से महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने सहित कई महिला विरोधी नीतियों को वैध बनाकर, अफगानिस्तान पर बेखौफ शासन कर रहा है.

नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला (27) ने अफगान सरकार के देश में इस्लामी व्यवस्था लागू करने के दावे पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “ये मानवाधिकारों का उल्लंघन है और कोई भी सांस्कृतिक या धार्मिक बहाना उन्हें उचित नहीं ठहरा सकता.” उन्होंने मुस्लिम नेताओं से आग्रह किया कि वे अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने से बचें तथा महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा को सीमित करने वाली उनकी नीतियों के खिलाफ खड़े होकर वास्तविक नेतृत्व का प्रदर्शन करें.

उन्होंने मुस्लिम नेताओं से कहा, “उन्हें वैध मत बनाइए”, क्योंकि उन्होंने तालिबान शासन को “लैंगिक रंगभेद के अपराधी” करार दिया.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में लड़कियों की एक पूरी पीढ़ी से उनका भविष्य छीना जा रहा है. उन्होंने कहा, “तालिबान ने हर अफगान लड़की से सीखने का अधिकार छीन लिया है और वे महिलाओं और लड़कियों को सार्वजनिक जीवन के हर पहलू से खत्म करना चाहते हैं और उन्हें समाज से मिटा देना चाहते हैं.” मलाला ने यह भी कहा कि 1.2 करोड़ पाकिस्तानी लड़कियां स्कूल से बाहर हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक संख्या में से एक है, लेकिन उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि यह सम्मेलन पाकिस्तान में हो रहा है.

उन्होंने गाजा में इजराइल की कार्रवाई की भी आलोचना की और उस पर क्षेत्र की शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने तथा मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “गाजा में, इजराइल ने पूरी शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया है. उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों पर बमबारी की है, 90 प्रतिशत से अधिक स्कूलों को नष्ट कर दिया है और स्कूल भवनों में शरण लिये हुए नागरिकों पर अंधाधुंध हमला किया है….” उन्होंने संघर्ष क्षेत्रों में शिक्षा का समर्थन करने तथा महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का आग्रह किया. मलाला को 15 वर्ष की आयु में पाकिस्तानी तालिबान द्वारा उनके विरोध के कारण गोली मार दी गई थी, लेकिन वह बच गईं और लड़कियों की शिक्षा की वकालत की वैश्विक प्रतीक बनकर उभरीं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button