मणिपुर हिंसा: पूर्व न्यायाधीश गीता मित्तल की समिति के कामकाज पर 25 अगस्त को आदेश देगा न्यायालय…

नयी दिल्ली: मणिपुर में हिंसा पीड़ितों के राहत और पुनर्वास कार्यों पर निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीश गीता मित्तल की अगुवाई में गठित समिति ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में तीन रिपोर्ट सौंपी। इनमें से एक रिपोर्ट में राज्य के पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह तीन सदस्यीय समिति के कामकाज के लिए शुक्रवार को आदेश पारित करेगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि तीनों रिपोर्ट की प्रति सभी संबंधित वकीलों को दी जाए तथा उसने पीड़ितों की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर को समिति के लिए सुझाव एकत्रित करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा कि पूर्व न्यायाधीश मित्तल की अगुवाई वाली समिति ने दस्तावेज खोने और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण नीति की तर्ज पर मणिपुर मुआवजा योजना में सुधार लाने की आवश्यकता जैसे मुद्दों पर तीन रिपोर्ट सौंपी हैं। न्यायालय ने कहा, ‘‘पूर्व न्यायाधीश मित्तल की अगुवाई वाली समिति द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट दिखाती है कि आवश्यक दस्तावेज पुन: जारी किए जाने, मणिपुर मुआवजा योजना में सुधार लाने और एक नोडल प्रशासन विशेषज्ञ नियुक्त करने की आवश्यकता है।’’

शीर्ष न्यायालय ने सात अगस्त को पीड़ितों के राहत एवं पुनर्वास कार्यों और उन्हें दिए जाने वाले मुआवजे पर नजर रखने के लिए उच्च न्यायालय की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का आदेश दिया था। इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसालगिकर को आपराधिक मामलों में जांच पर नजर रखने को कहा गया था।

न्यायालय ने कहा था कि समिति सीधा उसे रिपोर्ट सौंपेगी। पीठ ने कहा कि समिति की अध्यक्षता जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश मित्तल करेंगी। पीठ ने कहा था कि बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) शालिनी पी. जोशी और दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) आशा मेनन समिति की दो अन्य सदस्य होंगी।

उच्चतम न्यायालय मणिपुर में हिंसा से जुड़ी करीब 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मामलों की अदालत की निगरानी में जांच के अलावा राहत एवं पुनर्वास के उपायों का अनुरोध किया गया है। मणिपुर में मई की शुरुआत में कुकी और मेइती समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की थी, जिसमें अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

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