ऑस्ट्रेलिया पहुंचे मोदी, अल्बनीज के साथ करेंगे बातचीत

सिडनी/पोर्ट मोरेस्बी.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण के तहत सोमवार को यहां पहुंचे.
मोदी ऑस्ट्रेलियाई सरकार के मेहमान के तौर पर 22 से 24 मई तक ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर हैं. मोदी यहां ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ बातचीत करेंगे और सिडनी में भारतीय समुदाय के एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे.

मोदी ने ट्वीट किया, ”सिडनी पहुंचने पर भारतीय समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया. अगले दो दिनों के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों को लेकर उत्सुक हूं.” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ऑस्ट्रेलिया की अपनी दूसरी यात्रा पर जीवंत शहर सिडनी पहुंचे. उन्होंने कहा, ”ऑस्ट्रेलियाई नेतृत्व, उद्योग समुदाय और प्रवासी समुदाय के सदस्यों के साथ दो दिनों की रचनात्मक बातचीत का इंतजार है.”

मोदी के आगमन से पहले, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने एक बयान में कहा, ”मैं इस साल की शुरुआत में भारत में अत्यधिक गर्मजोशी से किए गये स्वागत के बाद, ऑस्ट्रेलिया की आधिकारिक यात्रा पर प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी करने को लेकर उत्सुक हूं. यह मेरे लिए सम्मान की बात है.” क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार और अपने प्रभाव का विस्तार करने के उसके प्रयासों के बीच अल्बनीज ने कहा, ”ऑस्ट्रेलिया और भारत एक स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत के लिए अपनी प्रतिबद्धता साझा करते हैं. इस दृष्टि का समर्थन करने में हमें मिलकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है.” प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि वह 24 मई को अल्बनीज के साथ अपनी बैठक को लेकर उत्सुक हैं.

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मीडिया को बताया कि द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें समाज में सद्भाव से संबंधित मुद्दे और दोनों समाजों की सुरक्षा शामिल है. ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”मेरे लिए यह अनुमान लगाना सही नहीं है कि दोनों नेताओं के बीच क्या चर्चा होगी.” ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक बयान में कहा कि यात्रा के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्री सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के गतिशील भारतीय समुदाय के एक कार्यक्रम में भाग लेंगे. सरकार ने कहा कि भारतीय समुदाय “हमारे बहुसांस्कृतिक समुदाय का एक मुख्य हिस्सा है.”

मोदी पापुआ न्यू गिनी से यहां पहुंचे, जहां उन्होंने पापुआ न्यू गिनी के अपने समकक्ष जेम्स मारपे के साथ बातचीत की और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की. उन्होंने वाणिज्य, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल तथा जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ.ाने के तरीकों पर भी चर्चा की. पापुआ न्यू गिनी में दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सहयोग बढ.ाने के लिए हिंद-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) शिखर सम्मेलन की सोमवार को सह-मेजबानी की.

मोदी ने ट्वीट किया, ”मेरी पापुआ न्यू गिनी की यात्रा ऐतिहासिक रही. मैं इस अद्भुत राष्ट्र के लोगों से मिले स्नेह को बहुत संजोकर रखूंगा. मुझे एफआईपीआईसी के सम्मानित नेताओं के साथ बातचीत करने और उनके संबंधित देशों के साथ रिश्तों को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करने का भी अवसर मिला.” ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकी ब्यूरो 2016 की जनगणना के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में 6,19,164 लोगों ने घोषित किया कि वे भारतीय मूल के हैं. ये ऑस्ट्रेलियाई आबादी का 2.8 प्रतिशत हैं. उनमें से 5,92,000 लोग भारत में पैदा हुए थे. प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरी बार 2014 में ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की थी.

मोदी ने शुक्रवार को जापान से तीन देशों की अपनी यात्रा की शुरुआत की थी, जहां उन्होंने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के निमंत्रण के बाद जी-7 शिखर सम्मेलन में तीन सत्रों में भाग लिया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री किशिदा और अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज के साथ मोदी ने भी हिरोशिमा में क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लिया.

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय देशों के लिए कई विकास पहल की घोषणा की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को प्रशांत क्षेत्र के 14 द्वीपीय देशों के नेताओं से कहा कि भारत ‘बेझिझक’ अपनी क्षमताओं को उनके साथ साझा करने के लिए तैयार है. उन्होंने इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा, साइबर स्पेस और लघु एवं मध्यम उद्यमों जैसे क्षेत्रों में कई विकास पहल की घोषणा की.

मोदी ने हिंद प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) शिखर सम्मेलन में अपने समापन भाषण के दौरान ये घोषणाएं कीं.
उन्होंने कहा, ”हमारी कुछ साझा प्राथमिकताएं हैं और प्रशांत द्वीपीय देशों की कुछ आवश्यकताएं हैं. इस मंच पर हमारा प्रयास है कि हमारी साझेदारी इन दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चले. एफआईपीआईसी में हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए मैं कुछ घोषणाएं करना चाहता हूं.” उन्होंने कहा कि प्रशांत क्षेत्र में स्वास्थ्य देखभाल को मजबूती प्रदान करने के लिए हमने फिजी में एक सुपर-स्पेशियलिटी कार्डियोलॉजी अस्पताल बनाने का निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित कर्मी, अत्याधुनिक सुविधाओं और अवसंरचना से युक्त यह अस्पताल पूरे क्षेत्र के लिए एक ‘लाइफ लाइन’ बनेगा. उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस मेगा ग्रीन-फील्ड परियोजना का पूरा खर्च उठाएगी.

मोदी ने कहा कि भारत प्रशांत क्षेत्र के सभी 14 देशों में डायलिसिस यूनिट लगाने में मदद करेगा और इन देशों को ‘सी-एम्बुलेंस’ सेवा प्रदान की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में जन औषधि योजना द्वारा किफायती दामों पर अच्छी गुणवत्ता की 1800 जेनेरिक दवाइयां लोगों को दी जा रही हैं और इसी तरह के जन औषधि केन्द्र प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय देशों में खोले जाएंगे.

उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्रों में मधुमेह की दवा बाजार की कीमत के मुकाबले 90 प्रतिशत तक कम कीमत और बाकी सभी दवाएं 60 से 90 प्रतिशत तक कम कीमत पर मिलती हैं. मोदी ने मधुमेह को दूर करने में योग के महत्व को रेखांकित करते हुए इन देशों में योग केंद्र खोले जाने का भी प्रस्ताव किया.

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि पापुआ न्यू गिनी में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फोर आईटी’ को उन्नत किया जाएगा और उसे क्षेत्रीय सूचना तथा प्रौद्योगिकी के साथ ही साइबर सुरक्षा केंद्र में रूप में तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि फिजी के नागरिकों के लिए एक चौबीस घंटे आपातकालीन हेल्पलाइन की सुविधा तैयार की जाएगी और यह सुविधा क्षेत्र के सभी देशों में स्थापित करने में उन्हें खुशी होगी. उन्होंने सभी देशों में लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र के विकास के लिए भी परियोजनाओं की घोषणा की और कहा कि इसके तहत मशीनरी और प्रौद्योगिकी आपूर्ति की जाएगी और क्षमता निर्माण के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

मोदी ने कहा कि प्रशांत द्वीपीय देशों की कम से कम एक सरकारी इमारत को सोलर ऊर्जा युक्त इमारत में बदला जाएगा, पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए अलवणीकरण संयंत्र यूनिट प्रदान की जाएगी और सागर अमृत योजना की शुरुआत भी की जाएगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस मंत्र से उनका विशेष लगाव है. उन्होंने सभी द्वीपीय देशों से संयुक्त राष्ट्र में ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने और 2028-29 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन भी मांगा.

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