कानून मंत्रालय से रीजीजू को हटाए जाने पर विपक्षी दलों का कटाक्ष: ‘नाकाम कानून मंत्री’

नयी दिल्ली/मुंबई. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को किरेन रीजीजू पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘नाकाम कानून मंत्री’ करार दिया जिन्हें बृहस्पतिवार को कानून मंत्रालय से हटाकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी है. रीजीजू को कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया है और अर्जुन राम मेघवाल को यह जिम्मेदारी दी गयी है. कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने रीजीजू को ‘नाकाम मंत्री’ कहा, वहीं वरिष्ठ वकील एवं राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने चुटकी लेते हुए कहा कि कानूनों के पीछे के विज्ञान को समझना आसान नहीं है.

न्यायिक नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली के मुखर आलोचक रहे रीजीजू को आड़े हाथ लेते हुए टैगोर ने ट्वीट किया, ‘‘नाकाम कानून मंत्री चले गये. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में वह क्या कर सकते हैं? उम्मीद है कि अर्जुन राम मेघवाल कानून मंत्री के रूप में गरिमापूर्ण तरीके से काम करेंगे.’’ पूर्व कानून मंत्री सिब्बल ने कहा, ‘‘अब कानून नहीं, पृथ्वी विज्ञान मंत्री. कानूनों के पीछे का विज्ञान समझना सरल नहीं है. अब वह विज्ञान के कानूनों का सामना करेंगे. शुभकामना मेरे दोस्त.’’

उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना की नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने रीजीजू को कानून मंत्री पद से हटाकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में भेजे जाने के संभावित कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि क्या महाराष्ट्र के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का हालिया फैसला तो वजह नहीं था? उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘क्या महाराष्ट्र पर आये फैसले से असहज स्थिति बनी ?’’ बहुजन समाज पार्टी के लोकसभा सदस्य दानिश अली ने ट्वीट कर कहा, ‘‘सात फरवरी, 2023 को मैंने किरेन रीजीजू द्वारा न्यायपालिका की अतार्किक और खतरनाक आलोचना किए जाने का लोकसभा में पुरजोर विरोध किया था. उन्हें आज हटा दिया गया. यह काफी देर से हुआ और वह संस्था को बहुत नुकसान पहुंचा चुके हैं.’’

रीजीजू को कानून मंत्रालय से हटाना न्याय प्रणाली की जीत है: संजय राउत
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने किरेन रीजीजू से न्यायपालिका की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए उन्हें कानून मंत्रालय से हटा दिया है. राज्यसभा सदस्य राउत ने संवाददाताओं से कहा कि यह न्याय प्रणाली की जीत है.

राउत ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में कोई भी स्वतंत्रता के साथ कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने में सक्षम नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि रीजीजू ने न्यायपालिका के कामकाज में दखल देने की कोशिश की और प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और अन्य कई न्यायाधीशों को अपमानित भी किया. शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता ने दावा किया, ‘‘पूरी न्यायपालिका मंत्री के विरुद्ध थी और सरकार को इस पर संज्ञान लेना पड़ा. यह न्याय प्रणाली की जीत है.’’

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