रूस से और कच्चा तेल खरीदने का विकल्प खुला: विक्रमसिंघे

कोलंबो. गहरे आर्थिक संकट के बीच ईंधन की किल्लत का सामना कर रहे श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि मौजूदा परिदृश्य में उनके देश को रूस से अधिक मात्रा में कच्चा तेल खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. विक्रमसिंघे ने शनिवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वह पहले अन्य स्रोतों से ईंधन खरीद की संभावना तलाशेंगे लेकिन रूस से अधिक कच्चा तेल खरीदने का विकल्प भी खुला हुआ है. उल्लेखनीय है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ज्यादातर पश्चिमी देशों ने रूसी ऊर्जा का आयात रोक दिया है.

विक्रमसिंघे ने कहा कि श्रीलंका को ईंधन की बहुत जरूरत है और वह पश्चिम एशिया में अपने परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं से तेल और कोयला लेने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें अन्य स्रोतों से आपूर्ति मिल जाती है तो हम लेंगे लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो हमें फिर रूस से ही तेल लेना होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कभी हमें पता ही नहीं होता है कि हम किसका तेल खरीद रहे हैं. निश्चित रूप से हम खाड़ी क्षेत्र को ही मुख्य आपूर्तिकर्ता के तौर पर देख रहे हैं.’’ करीब दो सप्ताह पहले श्रीलंका ने अपनी एकमात्र रिफाइनरी को चालू करने के लिए रूस से 90,000 मीट्रिक टन कच्चा तेल खरीदा था.

श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने कहा कि रूस ने कच्चे तेल के अलावा श्रीलंका को गेहूं देने की भी पेशकश की है. वित्त मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभालने वाले विक्रमसिंघे ने यह साक्षात्कार राजधानी कोलंबो स्थित अपने कार्यालय में दिया. उन्होंने छठी बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री का पद संभाला है.

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश के आर्थिक संकट को सुलझाने के लिए विक्रमसिंघे की प्रधानमंत्री पद पर नियुक्ति की है. गहरे आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो गया है. हालात बिगड़ने पर पिछले महीने देश में ंिहसक विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे. इस समय श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. इस साल श्रीलंका को करीब सात अरब डॉलर के कर्ज का पुनर्भुगतान करना था लेकिन उसने इसे स्थगित कर दिया है.

विक्रमसिंघे ने कहा कि उनकी सरकार ऋणों के पुनर्गठन के बारे में चीन से बात कर रही है. उन्होंने कहा कि बढ़ते कर्ज के बोझ के बावजूद वह चीन से और वित्तीय मदद लेना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि श्रीलंका की मौजूदा स्थिति उसकी अपनी वजह से है लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण हालात और बिगड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि देश में खाद्य संकट की स्थिति 2024 तक बनी रह सकती है. उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन संकट ने आर्थिक संकुचन के लिहाज से हमें प्रभावित किया. इस साल के अंत तक अन्य देशों में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा. भोजन की कमी वैश्विक स्तर पर है.’’

श्रीलंका में अगले महीने से ईंधन की ‘राशनिंग’ के आसार

ईंधन के भारी संकट से जूझ रहे श्रीलंका में अगले महीने से पेट्रोल-डीजल का साप्ताहिक कोटा तय किया जा सकता है. विदेशी मुद्रा की कमी होने से पर्याप्त मात्रा में ईंधन की खरीद कर पाने में नाकाम श्रीलंका पेट्रोल और डीजल का साप्ताहिक कोटा तय करने पर विचार कर रहा है. इसके तहत पंजीकृत ग्राहक पंप से एक निर्धारित मात्रा में ईंधन खरीद सकेंगे. ऊर्जा मंत्री कंचन विजयशेखर ने रविवार को एक ट्वीट में इसकी घोषणा की.

विजयशेखर ने कहा, ‘‘हमारे पास उपभोक्ताओं को पेट्रोल पंपों पर अपना पंजीकरण कराने और साप्ताहिक कोटा की गारंटी देने के सिवाय कोई चारा नहीं है. ईंधन आपूर्ति सामान्य होने तक यह व्यवस्था बनी रहेगी. मुझे उम्मीद है कि जुलाई के पहले हफ्ते से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी.’’ उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस व्यवस्था के लागू होने से ईंधन को लेकर मची आपाधापी दूर करने में मदद मिलेगी.

पर्याप्त मात्रा में पेट्रोल-डीजल उपलब्ध नहीं होने से श्रीलंका के लोगों को ईंधन खरीद के लिए पेट्रोल पंपों के बाहर लंबी कतार लगानी पड़ रही है. ईंधन की किल्लत होने से अप्रैल की शुरुआत से ही देश में 10 घंटे की बिजली कटौती भी हो रही है. ऐसी स्थिति में सरकार हालात पर काबू पाने के लिए ईंधन की ‘राशंिनग’ व्यवस्था लागू कर सकती है.

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