संसद: ‘अभूतपूर्व’, एक ही दिन में 78 विपक्षी सदस्यों को किया गया निलंबित, कांग्रेस ने विपक्ष विहीन संसद बनाने का लगाया आरोप

नयी दिल्ली. एक ‘अभूतपूर्व’ कदम के तहत सोमवार को संसद से 78 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया, जो संसदीय इतिहास में एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने ‘विपक्ष-विहीन’ संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने की कोशिश के तहत इस प्रकार का कदम उठाया है.

गत 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग पर विपक्ष के पीछे हटने से इनकार के बाद लोकसभा से 33 सदस्यों और राज्यसभा से 45 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया. सोमवार की कार्रवाई के बाद इस मुद्दे पर पिछले बृहस्पतिवार से दोनों सदनों से निलंबित किए गए विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 92 हो गई है. आप सदस्य संजय सिंह को 24 जुलाई से राज्यसभा सदस्य के रूप में निलंबित कर दिया गया था.

उन्होंने कहा, ”कांग्रेस और उसके सहयोगी आंतरिक रूप से महिलाओं और पिछड़े वर्गों के हितों के खिलाफ हैं. जब भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछड़े वर्गों और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कोई कदम उठाती है, तो उन्हें पीड़ा होती है क्योंकि कांग्रेस और वाम दल हमेशा उनके सशक्तिकरण के खिलाफ रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह ‘विपक्ष विहीन’ संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की कोशिश कर रही है.

खरगे ने कहा, ”विपक्ष विहीन संसद के साथ मोदी सरकार अब बिना किसी बहस के महत्वपूर्ण लंबित विधेयकों को जबरन पारित करा सकती है, किसी भी असंतोष को कुचल सकती है.” उन्होंने कहा कि सरकार ने औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानून की जगह लेने वाले तीन विधेयकों को संसद में विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है, इसके अलावा मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक तंत्र प्रदान करने के लिए कानून लोकसभा से पारित होने के लिए लंबित है. संसदीय कार्यवाही पर नजर रखने वालों ने इतनी बड़ी संख्या में सामूहिक निलंबन को ‘अभूतपूर्व’ और संसद के इतिहास में संभवत: पहली बार बताया.

विधायी विशेषज्ञ और संसदीय कार्यवाही पर करीबी नजर रखने वाले जी. रवींद्र ने कहा, ”एक ही दिन में 78 सांसदों को निलंबित किया जाना एक अभूतपूर्व घटनाक्रम है.” वर्ष 1989 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच करने वाली न्यायमूर्ति ठक्कर समिति की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखे जाने के मुद्दे पर 15 मार्च को लोकसभा के 63 सदस्यों को सप्ताह के शेष समय के लिए निलंबित कर दिया गया था.

वर्ष 2015 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के 25 सदस्यों को अगले पांच कार्य दिवसों के लिए निलंबित कर दिया था, क्योंकि उन्होंने सदन के बीचोंबीच तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. 15वीं लोकसभा में आंध्र प्रदेश के विभाजन के मुद्दे पर कांग्रेस के कई सदस्यों को सदन से निलंबित कर दिया गया था.

इस प्रकार की कार्रवाई की पृष्ठभूमि में संसद की सुरक्षा में चूक मुद्दे पर चर्चा कराने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग है. इसे लेकर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया, जिसके चलते एक अभूतपूर्व कदम के तहत दोनों सदनों के कुल 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया.

राज्यसभा में हंगामे को लेकर सभापति जगदीप धनखड ने आज विपक्षी दलों के 34 सदस्यों का नाम लिया. आसन द्वारा सदस्यों का नाम (नेम करना) लिया जाता है तो इसे उन सदस्यों को निलंबित करने की प्रक्रिया की शुरुआत माना जाता है. इसके बाद नेता सदन पीयूष गोयल ने 34 सदस्यों के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया.

इन सदस्यों में प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याज्ञिक, नारणभाई जे राठवा, सैयद नासिर हुसैन, फूलो देवी नेताम, शक्तिसिंह गोहिल, के.सी. वेणुगोपाल, रजनी पाटिल, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ.ी, रणदीप सिंह सुरजेवाला (सभी कांग्रेस) शामिल हैं.
इनके अलावा सुखेन्दु शेखर रे, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांतनु सेन, मौसम नूर, प्रकाश चिक बड़ाइक, समीरुल इस्लाम (सभी तृणमूल कांग्रेस), एम. शनमुगम, एन.आर. एलानगो, कनिमोझी एनवीएन सोमू और आर गिरिराजन (द्रमुक) भी निलंबित किए गए हैं.

निलंबित किए गए सदस्यों में मनोज कुमार झा और फैयाज अहमद (राजद), वी. शिवदासन (माकपा), रामनाथ ठाकुर एवं अनिल प्रसाद हेगड़े (जद यू), वंदना चव्हाण (राकांपा), रामगोपाल यादव, जावेद अली खान (सपा), महुआ माजी (झामुमो), जोस के. मणि एवं अजीत कुमार भुइयां शामिल हैं. इन सदस्यों को मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है.

इसके साथ ही 11 अन्य सदस्यों को भी निलंबित किया गया है. उन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित कर दिया. समिति से कहा गया है कि वह इन 11 सदस्यों के आचरण के संबंध में अपनी रिपोर्ट तीन महीने के अंदर पेश करेगी. इन 11 सदस्यों में जेबी माथेर हिशाम, एल. हनुमंथैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी.सी. चन्द्रशेखर, बिनय विश्वम, संतोष कुमार पी, एम. मोहम्मद अब्दुल्ला, जॉन ब्रिटास और ए.ए. रहीम शामिल हैं. इस तरह सोमवार को उच्च सदन से कुल 45 सदस्यों को निलंबित किया गया.

इससे पहले लोकसभा में सदन की कार्यवाही बाधित करने और आसन की अवमानना को लेकर सोमवार को विपक्षी दलों के 30 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए तथा तीन सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित किया गया.

पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने आसन की अवमानना को लेकर एवं कार्यवाही बाधित करने के लिए तृणमूल कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नौ-नौ, कांग्रेस के सात, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के दो तथा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, वीरुथलई चिरुथैगल काची (वीसीके) और जनता दल (यूनाइटेड) के एक-एक सदस्य का नाम लिया.

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उक्त सभी सदस्यों को नियम 374 (दो) के तहत संसद के शेष सत्र के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदस्यों ने ध्वनि मत से पारित कर दिया. कांग्रेस के सात सदस्यों- अधीर रंजन चौधरी, एंटो एंटोनी, के मुरलीधरन, के. सुरेश, अमर सिंह, राजा मोहन उन्नीथन और गौरव गोगोई को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया है. टीएमसी के निलंबित सदस्यों में कल्याण बनर्जी, अपरुपा पोद्दार, प्रसून्न बनर्जी, सौगत राय, शताब्दी राय, असित कुमार मंडल, प्रतिमा मंडल, काकोली घोष दस्तीदार और सुनील कुमार मंडल शामिल हैं.

द्रमुक के जिन नौ लोकसभा सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें टी आर बालू, ए. राजा, दयानिधि मारन, जी सेल्वम, सीएन अन्नादुरई, डॉ. टी सुमति, के वीरासामी, एस एस पल्ली मणिक्कम और रामलिंगम शामिल हैं. लोकसभा ने आईयूएमएल के ई.टी. मोहम्मद बशीर और के नवासिकानी को निलंबित किया है, जबकि आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, जदयू के कौशलेन्द्र कुमार और वीसीके तिरुवक्कससर भी निलंबित सदस्यों में शामिल हैं.

जोशी के प्रस्ताव पर कांग्रेस के तीन अन्य लोकसभा सदस्यों के. जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित किया गया. संसद में सुरक्षा चूक के मुद्दे पर आसन की अवमानना को लेकर और कार्यवाही बाधित करने के लिए गत 14 दिसम्बर को लोकसभा के 13 सदस्यों को और राज्यसभा के एक सदस्य को संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था.

केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी सदस्य तख्तियां लेकर आए और जानबूझकर संसदीय कार्यवाही को बाधित किया जबकि पहले फैसला लिया गया था कि सदन में तख्तियां ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. गोयल ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष और सभापति के बार-बार के अनुरोधों पर ध्यान देने से इनकार कर दिया और उनका अपमान किया.

उन्होंने कहा, ”यह स्पष्ट रूप से संसद को सुचारू रूप से नहीं चलने देने की उनकी पूर्व नियोजित रणनीति थी.” उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और पुडुचेरी में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने वाले एक विधेयक को राज्यसभा में विचार और पारित कराने के लिए लिया गया था, लेकिन विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों ने चर्चा तक करने नहीं दी और हंगामा किया.

गोयल ने कहा, ”कांग्रेस और उसके सहयोगी आंतरिक रूप से महिलाओं और पिछड़े वर्गों के हितों के खिलाफ हैं. जब भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछड़े वर्गों और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कोई कदम उठाती है, तो उन्हें (विपक्ष) पीड़ा होती है क्योंकि कांग्रेस और वाम दल हमेशा उनके सशक्तीकरण के खिलाफ रहे हैं.”

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