जनप्रतिनिधि अपने बजाए हमेशा जनता के लिए सोचें: राष्ट्रपति मुर्मू

जयपुर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि जनप्रतिनिधियों को खुद के बजाए हमेशा जनता के लिए सोचना चाहिए। मुर्मू ने यहां राजस्­थान विधानसभा में अपने विशेष संबोधन में यह बात कही। राष्ट्रपति ने कहा कि कंप्यूटर व आधुनिक प्रौद्योगिकियों के इस दौर में जनता को सदन की सारी कार्यवाही की जानकारी रहती है।

उन्­होंने कहा,‘‘ ये युग कंप्यूटर का युग है। यह युग आधुनिक प्रौद्योगिकियों से चलता है। आज यहां (सदन) क्या चल रहा है उसे सब देखते हैं, समझते हैं। इसलिए मैं सभी जनप्रतिनिधियों से गुजारिश करना चाहती हूं कि अपने आचार विचार में उन्हें जनता के लिए सोचना चाहिए….।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ केवल मैं और मेरा सोचने से देश की या समाज की या राज्य की उन्नति नहीं होगी। इसलिए जनप्रतिनिधि को हमेशा जनता के लिए, राज्य के लिए सोचना चाहिए।’’ मुर्मू ने राजस्थान के समग्र विकास व राज्य के सभी निवासियों के र्स्विणम भविष्य की मंगलकामना की। उन्होंने विश्वास जताया कि राजस्थान विधानसभा के सभी सदस्य जनकल्याण व राज्य के विकास के लिए निरंतर कार्यरत रहेंगे तथा संसदीय प्रणाली की गरिमा को बढ़ाते रहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों पर ही हमारे संविधान के आदर्श निर्धारित किए गए हैं। न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के ये संवैधानिक आदर्श सभी विधायकों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘स्वाधीनता के बाद मोहनलाल सुखाड़िया से लेकर भैरों ंिसह शेखावत जैसे जन-सेवकों ने संवैधानिक आदर्शों के अनुरूप राज्य स्तर के कानून बनाने में तथा समावेशी और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में प्रभावी नेतृत्व दिया। समावेशी विकास और जन-हित में कार्य करने की इस परंपरा को मजबूत बनाना सभी विधायकों का कर्तव्य है।’’

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि कानून बनाते समय जनता की वर्तमान जरूरतों और व्यापक जनहित का ध्यान रखें। अपने संबोधन की शुरुआत राजस्थानी भाषा में करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ माण, सम्माण और बलिदान सू रंगी राजस्थान री धोरारी धरती रा निवासियां न घणी शुभकामनाएं।’’ उन्होंने कहा कि सन 1952 में राजस्थान विधानसभा का गठन हुआ। तब से लेकर आज तक इस विधानसभा द्वारा 71 वर्षों का गौरवशाली इतिहास रचा गया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के लिए यह विशेष गौरव की बात है कि वर्तमान संसद के दोनों सदनों की अध्यक्षता राजस्थान विधानसभा के पूर्व विधायकों द्वारा की जा रही है। उप-राष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ तथा लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला राजस्थान में विधानसभा सदस्य रह चुके हैं।

राजस्थान के आतिथ्य सत्कार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अतिथि को देवता समझने की भारतीय भावना का बहुत अच्छा उदाहरण राजस्थान के स्रेही लोग प्रस्तुत करते हैं। राजस्थान में लोकप्रिय गीत ‘पधारो म्हारे देस’ में अभिव्यक्त अतिथि सत्कार की भावना को यहां के लोगों ने अपने व्यवहार में ढाला है। राजस्थान के लोगों के मधुर व्यवहार और प्रकृति तथा कलाकृतियों के मनमोहक आकर्षण के कारण देश विदेश के लोग यहां बार-बार आना चाहते हैं।’’

मुर्मू ने कहा कि राजस्थान के उद्यमी लोगों ने राज्य से और देश से बाहर जाकर वाणिज्य और व्यापार के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रभावशाली पहचान बनाई है। इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने संबोधन में विधायकों से सदन की मर्यादा को कायम रखते हुए लोकतंत्र के सशक्तिकरण के लिए कार्य करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि विधायिका यदि प्रभावी रूप से कार्य करती है तो उसका सीधा असर कार्यपालिका पर पड़ता है और कालांतर में इससे जनता के हित से जुड़े मुद्दों, विकास कार्यों, जन—कल्याण योजनाओं को धरातल पर लाते हुए उनका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है। इससे पहले विधानसभा पहुंचने पर राज्यपाल कलराज मिश्र, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने राष्ट्रपति मुर्मू की अगवानी की। मुर्मू राजस्थान में अपने तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत बृहस्पतिवार को यहां आई हैं।

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