राष्ट्रपति मुर्मू ने वैज्ञानिकों से कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने का आह्वान किया
भुवनेश्वर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कृषि वैज्ञानिकों से प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों और संसाधनों के अत्यधिक दोहन से निपटने के लिए समय पर प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और प्रसारित करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने यहां ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) के 40 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये कृषि वैज्ञानिकों से जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मिट्टी, पानी और पर्यावरण की रक्षा के लिए विचार प्रस्तुत करने का भी आग्रह किया।
मुर्मू ने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों, प्रति व्यक्ति खेतों के आकार में कमी और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन जैसी नई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे वैज्ञानिकों को समय पर तकनीक विकसित और प्रसारित करनी होगी। हमें पर्यावरण संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, जल एवं मृदा संरक्षण तथा प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर जोर देना होगा।’’ उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे जैसे तापमान में वृद्धि और ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि देश में कृषि उत्पादन को प्रभावित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कृषि वैज्ञानिकों के पास ऐसे सभी मुद्दों से निपटने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।’’ उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक इस्तेमाल भी इस क्षेत्र के लिए नई चुनौतियों के रूप में उभरा है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मिट्टी, पानी और पर्यावरण पर इनका (उर्वरक और कीटनाशकों का) प्रभाव सभी के लिए ंिचता का विषय है। युवा वैज्ञानिक इन समस्याओं का समाधान खोज लेंगे।’’ हालांकि, उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि पिछले एक दशक में भारत ने कृषि उत्पादन और अन्य देशों को कृषि उत्पादों के निर्यात में असाधारण सफलता हासिल की है।
मुर्मू ने कहा, ‘‘यह हमारे कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन और हमारे किसानों की अथक मेहनत के कारण संभव हुआ है।’’ उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कृषि, मत्स्य उत्पादन और पशुधन के विकास से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने छात्रों से अपने नवाचारों एवं सर्मिपत कार्यों के माध्यम से 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में योगदान देने का भी आग्रह किया।