मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक की राहुल गांधी की अपील खारिज, उच्च न्यायालय में देंगे चुनौती

राहुल गांधी के मामले में सत्र अदालत का निर्णय कानूनी रूप से गलत, जल्द देंगे चुनौती: कांग्रेस

सूरत/नयी दिल्ली. गुजरात में सूरत की एक सत्र अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान को लेकर एक आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने संबंधी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. पी. मोगेरा ने, दोषसिद्धि के खिलाफ दायर कांग्रेस नेता की अर्जी आज खारिज कर दी. अगर 52 वर्षीय गांधी की दोषसिद्धि पर रोक संबंधी अर्जी मंजूर हो जाती तो उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो सकता था.

यद्यपि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सूरत की अदालत के फैसले को न्यायपालिका की ‘जीत’ करार देते हुए खुशी जाहिर की, लेकिन कांग्रेस ने कहा कि वह कानून के तहत उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेगी. गांधी के वकील किरीट पानवाला ने कहा कि सत्र अदालत के आदेश को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि सत्र अदालत ने निचली अदालत के 23 मार्च के फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए 20 मई की तारीख मुकर्रर की है.

गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था. उनके वकील ने गांधी को दो साल की सजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर मुख्य अपील के साथ दो अर्जियां भी दायर की थीं, जिनमें एक अर्जी जमानत के लिए थी, जबकि दूसरी अर्जी मुख्य अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक के लिए थी.

गांधी की अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि उनके वकील यह प्रर्दिशत करने में विफल रहे कि यदि उन्हें (गांधी को) दोषसिद्धि पर रोक न लगने के कारण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित किया जाता है, तो उन्हें ऐसा नुकसान होगा जिसकी भरपाई संभव नहीं होगी.

राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे. गत 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया था और दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया गया था.

सत्र अदालत ने राहुल को जमानत देते हुए शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किये थे. उसने पिछले बृहस्पतिवार, 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोषसिद्धि पर रोक के संबंध में गांधी की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सत्र अदालत ने आज (बृहस्पतिवार को) गांधी की अर्जी खारिज कर दी.

निचली अदालत ने कांग्रेस नेता को कर्नाटक के कोलार में 2019 में एक चुनावी रैली में की गई उनकी टिप्पणी ‘‘सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है’’ के लिए दोषी ठहराते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई थी. गांधी के वकील पानवाला ने कहा कि कांग्रेस नेता अदालत के तीन अप्रैल के आदेश के अनुसार अपनी मुख्य अपील के निस्तारण तक जमानत पर बाहर रहेंगे.

पूर्णेश मोदी के वकील र्हिषल टोलिया ने कहा कि अदालत ने गांधी की याचिका खारिज करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया.
टोलिया ने कहा, ‘‘अदालत ने अपना आदेश देते समय सभी कानूनी और तथ्यात्मक ंिबदुओं पर विचार किया है. इसने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार किया और कहा कि मोदी समुदाय के सदस्य पूर्णेश मोदी (कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष) गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर करने के लिए सक्षम हैं.’’ अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जैसा कि शीर्ष अदालत ने कई फैसलों में कहा है, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 389(1) के तहत दोषसिद्धि को निलंबित/रोकने के लिए दी गई शक्ति को ‘‘सावधानी और समझदारी के साथ’’ इस्तेमाल करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘अगर इस तरह की शक्ति का आकस्मिक और यांत्रिक तरीके से प्रयोग किया जाता है, तो इसका न्याय वितरण प्रणाली को लेकर जनता की धारणा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और इस तरह के आदेश से न्यायपालिका में जनता का विश्वास हिल जाएगा.’’ अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज दोषसिद्धि को निलंबित करने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं बनाया है.

अदालत ने राहुल से उनके कद का हवाला देते हुए कहा, उन्हें और सावधान रहना चाहिए था

गुजरात के सूरत की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी. आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराये जाने, और दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के कारण राहुल गांधी को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

अदालत ने कहा कि उन्हें (राहुल को) ‘‘अपने शब्दों को लेकर अधिक सावधान’’ रहना चाहिए था क्योंकि वह संसद के सदस्य और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष थे.

बृहस्पतिवार को अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र अदालत ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के तहत सांसद के रूप में गांधी को हटाने या अयोग्य घोषित किए जाने को ‘‘अपरिवर्तनीय या अपूरणीय क्षति या नुकसान नहीं कहा जा सकता है.’’ न्यायाधीश मोगेरा ने अपने आदेश में कहा, ‘‘अपीलकर्ता के मुख से निकले कोई भी अपमानजनक शब्द व्यथित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए पर्याप्त हैं.’’

अदालत ने कहा कि अपमानजनक शब्दों का उच्चारण करने और चोरों के साथ ‘मोदी’ उपनाम वाले व्यक्तियों की तुलना करने से ‘‘निश्चित रूप से मानसिक पीड़ा हुई होगी और शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ होगा, जो सामाजिक रूप से सक्रिय हैं और सार्वजनिक रूप से लोगों से मिलते-जुलते हैं’’.

राहुल गांधी के मामले में सत्र अदालत का निर्णय कानूनी रूप से गलत, जल्द देंगे चुनौती: कांग्रेस

कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मानहानि के मामले में दोषसिद्धि पर सत्र अदालत द्वारा रोक लगाए जाने से इनकार करने के निर्णय को कानूनी रूप से गलत करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वह निकट भविष्य में गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देने समेत सभी उपलब्ध कानूनी विकल्पों का उपयोग करेगी. मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि राहुल गांधी झुकने वाले नहीं हैं और जनहित में अपनी आवाज उठाते रहेंगे.

गुजरात में सूरत की एक सत्र अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, “कानून के तहत जो भी विकल्प हमारे लिए उपलब्ध होंगे, हम उन सभी विकल्पों का लाभ उठाना जारी रखेंगे.”

पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया गया है. कानून के मूलभूत आधार के हिसाब से यह निर्णय गलत है. निचली अदालत के एक गलत निर्णय पर जोर दिया गया है, वो बात भी गलत है. उच्च न्यायालय का रुख करने समेत हमारे पास जितने भी विकल्प है उनका हम निकट भविष्य में उपयोग करेंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘गलत कानूनी आधार पर जो (निचली और सत्र अदालत के) दो निर्णय आए हैं और उनको चुनौती दी जाएगी. हमें विश्वास है कि कानूनी रूप से गलती को ठीक किया जाएगा.’’ सिंघवी का कहना था कि राहुल गांधी के बयान को तोड़-मरोड़कर नया आयाम दिया गया जो पूरी तरह गलत है.

उन्होंने सत्र अदालत के निर्णय के कानूनी पहलुओं का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘निर्णय के कुछ शुरू के पैराग्राफ देखें तो कुछ पुराने मामलों के निर्णयों का जिस तरह से हवाला दिया गया है वो देखने में गलत है, उनका दुरुपयोग किया गया है. इस फैसले के लिए उन निर्णयों के चुंिनदा अंशों का उल्लेख किया गया है.’’

सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘यदि कोई समझता है कि राहुल जी की आवाज रुकेगी-झुकेगी, वो न राहुल गांधी को जानते हैं, न कांग्रेस को समझते हैं. राहुल गांधी जी स्पष्ट व सच बोलते हैं. वह अपनी आवाजÞ पुरजोर तरीके से सबके सामने रखेंगे.’’ उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जो ओबीसी के अपमान की बात कह रहे हैं, अब उसका उल्टा असर हो रहा है. ओबीसी वर्ग भी समझ चुका है कि मोदी जी और भाजपा राजनीतिक रूप से उनके नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं.’’

Related Articles

Back to top button