अडाणी मामले की जांच में सेबी को नहीं मिला कोई सबूत, नियामकीय विफलता नहीं दिखी? विशेषज्ञ समिति

अडाणी समूह की सभी 10 कंपनियों के शेयर बढ.त में, विल्मर का शेयर सात प्रतिशत मजबूत

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि अडाणी समूह के शेयरों के भाव में हेराफेरी का उसे कोई सबूत नहीं मिला है. इसके साथ ही अडाणी समूह की कंपनियों में विदेशी कंपनियों के निवेश में हुए कथित उल्लंघन की अलग से हुई सेबी की जांच में ‘कुछ नहीं मिला’ है. समिति के इस निष्कर्ष को गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है.

हालांकि अडाणी मामले की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडाणी समूह के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाने का सबूत मिला है.
समिति ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और धनशोधन के आरोप लगाए जाने के बाद इन शेयरों के भाव में भारी गिरावट आने पर इन शेयर सौदों में मुनाफा कमाया गया.

विशेषज्ञ समिति ने वित्तीय अपराधों की जांच करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा, “ईडी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन से ठीक पहले खास पक्षों द्वारा संभावित उल्लंघन और संगठित बिक्री के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी. यह भारतीय बाजारों को अस्थिर करने के संगठित प्रयासों के विश्वसनीय आरोप का इशारा करता है और सेबी को प्रतिभूति कानूनों के तहत इस तरह की गतिविधियों की जांच करनी चाहिए.” रिपोर्ट के मुताबिक, छह इकाइयों की तरफ से संदिग्ध शेयर लेनदेन हुआ है जिनमें से चार कंपनियां विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) हैं. वहीं एक कॉरपोरेट इकाई और एक व्यक्ति है.

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की पहले से ही जांच कर रहा था. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की थी. इस समिति के प्रमुख उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए एम सप्रे बनाए गए थे जबकि ओ पी भट्ट, के वी कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेशन इसके सदस्य़ थे. हिंडनबर्ग के आरोप सामने आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. हालांकि अडाणी समूह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया.

समिति ने उच्चतम न्यायालय को सौंपी 173 पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट में कहा, ”आंकड़ों के आधार पर सेबी के स्पष्टीकरण को ध्यान में रखते हुए, समिति के लिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि कीमतों में हेराफेरी के आरोप में किसी तरह की नियामकीय विफलता रही है.” समिति के मुताबिक, वह यह भी नहीं कह सकती कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों या संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन पर सेबी की ओर से नियामकीय विफलता रही है. रिपोर्ट में सेबी की सांविधिक स्थिति के अनुरूप एक प्रभावशाली प्रवर्तन नीति की जरूरत बताई गई है. समिति ने कहा कि सेबी को अडाणी समूह की कंपनियों में विदेशी फर्मों के निवेश की जांच में ‘कुछ नहीं मिला’ है और इस जांच को जारी रखना ‘बिना मंजिल के सफर’ जैसा होगा.

रिपोर्ट में कहा गया, ”अडाणी की सूचीबद्ध कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की हिस्सेदारी की जांच सेबी के इस संदेह के चलते हुई कि अडाणी समूह में हिस्सेदारी रखने वाली 13 विदेशी संस्थाओं के स्वामित्व की अंतिम श्रृंखला स्पष्ट नहीं थी.” सेबी को 13 विदेशी संस्थाओं की प्रबंधन के तहत संपत्ति में 42 योगदानकर्ताओं की बात पता चली है और इनके बारे में जानकारी जुटायी जा रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ”सेबी को लंबे समय से संदेह रहा है कि कुछ सार्वजनिक शेयरधारक वास्तव में सार्वजनिक शेयरधारक नहीं हैं और इन कंपनियों के प्रवर्तकों के मुखौटा हो सकते हैं.” प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की मदद से जांच करने के बावजूद सेबी इन 13 संस्थाओं के अंतिम स्वामित्व का निर्धारण नहीं कर सकी है.

समिति ने कहा कि शेयर बाजार ने अडाणी समूह के शेयरों का पुनर्मूल्यांकन किया है. ”हालांकि वे 24 जनवरी से पहले के स्तर पर नहीं लौटे हैं, लेकिन नए स्तर पर स्थिर हैं.” समिति ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 24 जनवरी 2023 के बाद अडाणी के शेयरों में खुदरा निवेशकों का जोखिम बढ. गया है, हालांकि भारतीय शेयर बाजार समग्र रूप से अस्थिर नहीं हैं. न्यायालय ने इस हफ्ते की शुरुआत में अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को 14 अगस्त तक का समय दिया.

अडाणी समूह की सभी 10 कंपनियों के शेयर बढ.त में, विल्मर का शेयर सात प्रतिशत मजबूत

उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडाणी समूह की सूचीबद्ध सभी 10 कंपनियों के शेयर शुक्रवार को बढ.त में बंद हुए. अडाणी विल्मर के शेयर सात प्रतिशत तक चढ.े. उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि अडाणी समूह के शेयरों के भाव में हेराफेरी का उसे कोई सबूत नहीं मिला है. इसके साथ ही अडाणी समूह की कंपनियों में विदेशी कंपनियों के निवेश में हुए कथित उल्लंघन की अलग से हुई सेबी की जांच में ‘कुछ नहीं मिला’ है.

अडाणी विल्मर का शेयर बीएसई में 6.85 प्रतिशत तक बढ. गया. वहीं अडाणी पॉवर का शेयर 4.93 प्रतिशत, अडाणी ट्रांसमिशन का शेयर 4.62 प्रतिशत, अडाणी ग्रीन एनर्जी का शेयर 4.18 प्रतिशत, अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 3.65 प्रतिशत, अडाणी पोर्ट का शेयर 3.65 प्रतिशत, एनडीटीवी का शेयर 3.53 प्रतिशत और अडाणी टोटल गैस का शेयर 3.05 प्रतिशत बढ.त के साथ बंद हुए. अंबुजा सीमेंट का शेयर 1.20 प्रतिशत और एसीसी का शेयर एक प्रतिशत बढ.त में बंद हुए. तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 297.94 अंक या 0.48 प्रतिशत बढ.त के साथ 61,729.68 पर बंद हुआ.

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