शरद पवार ने राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल, सांसद तटकरे को किया निष्कासित
अजित पवार की बगावत को मेरा आशीर्वाद प्राप्त नहीं: शरद पवार; राकांपा प्रमुख ने शक्ति प्रदर्शित की
मुंबई/सतारा/कराड. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने अपने कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे को ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों के चलते सोमवार को निष्कासित कर दिया. इन दोनों नेताओं ने अजित पवार की बगावत में उनका साथ दिया है. राकांपा प्रमुख शरद पवार ने यह कदम अजित पवार के एकनाथ शिंदे-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में बतौर उपमुख्यमंत्री शामिल होने के बाद उठाया है. अजित पवार के साथ आठ अन्य विधायकों ने भी रविवार को मंत्री पद की शपथ ली थी, जिनमें तटकरे की बेटी अदिति भी शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने शरद पवार को पत्र लिखकर दोनों सांसदों को उनकी संसद सदस्यता से अयोग्य घोषित कराने के लिए कदम उठाने की मांग की है. शरद पवार ने ट्वीट किया, ”मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते पार्टी विरोधियों गतिविधियों को लेकर सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल के नाम राकांपा सदस्यों की पंजी (रजिस्टर) से हटाने का आदेश देता हूं.”
साथ ही, उन्होंने राज्यसभा सदस्य पटेल को भी ट्वीट में ‘टैग’ किया, जिन्हें पिछले महीने ही राकांपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. पवार ने तटकरे को भी अपने ट्वीट में ‘टैग’ किया है. बाद में, राकांपा प्रमुख ने पटेल और तटकरे को नोटिस जारी किया तथा कहा कि उनके कृत्य पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के लिए उन्हें अयोग्य करार दिये जाने लायक हैं.
पवार ने आरोप लगाया कि उनकी जानकारी और सहमति के बगैर नौ विधायकों का बगावत में साथ दिया गया. उन्होंने बाद में कहा, ”अजित और पार्टी के निर्देश का उल्लंघन कर मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले आठ अन्य विधायकों का समर्थन करने का आपका कृत्य पार्टी विरोधी गतिविधि के समान है.” पवार ने कहा, ”आपके कृत्यों के मद्देनजर मैं पार्टी सदस्यों की पंजी से आपका नाम हटा रहा हूं.” इससे पहले, राकांपा प्रमुख को लिखी चिट्ठी में बारामती से लोकसभा सदस्य सुले ने कहा, ”मैं आपको यह सूचित करने के लिए यह पत्र लिख रही हूं कि राकांपा के दो सांसदों-प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने हमारे पार्टी संविधान और नियम का उल्लंघन किया है और महाराष्ट्र सरकार में नौ विधायकों को शपथ दिलाने में मदद कर पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं.”
सुले ने लिखा, ”उन्होंने इस बारे में खुले तौर पर मीडिया के समक्ष बयान दिया और पार्टी के निर्देशों और सिद्धांतों का पूरी तरह से उल्लंघन किया. मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत संसद की सदस्यता से उन्हें अयोग्य घोषित कराने के लिए सक्षम प्राधिकार के समक्ष अर्जी देने सहित उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए.”
अजित पवार की बगावत को मेरा आशीर्वाद प्राप्त नहीं: शरद पवार; राकांपा प्रमुख ने शक्ति प्रर्दिशत की
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को इन अटकलों को खारिज कर दिया कि उनके भतीजे अजित पवार की बगावत को उनका आशीर्वाद प्राप्त है. राकांपा प्रमुख ने पार्टी पर अपना अधिकार प्रर्दिशत करने के लिए शक्ति प्रदर्शन किया है. उनके भतीजे की बगावत के चलते पार्टी सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है.
वहीं, एक संबद्ध घटनाक्रम में शरद पवार (82) ने ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ को लेकर इसके कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और लोकसभा सदस्य सुनील तटकरे को निष्कासित कर दिया है, जिन्होंने अजित पवार की बगावत में उनका साथ दिया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ”मैं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल की पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर उनके नाम राकांपा सदस्यों की पंजी (रजिस्टर) से हटाने का आदेश देता हूं.”
उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ नेताओं की हरकतों की परवाह किये बिना राकांपा को मजबूत करने और पार्टी कार्यकर्ताओं का विश्वास बढ़ाने के लिए राज्यव्यापी यात्रा शुरू की है. रविवार को, अजित पवार ने एकनाथ शिंदे-भाजपा गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के लिए राकांपा में बगावत का नेतृत्व किया. राकांपा के आठ अन्य विधायकों ने भी एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली, जिनमें से कुछ विधायक पार्टी संस्थापक के बहुत करीबी माने जाते थे.
यह पूछे जाने पर कि रविवार को अजित पवार द्वारा की गई बगावत को क्या उनका आशीर्वाद प्राप्त था, राकांपा प्रमुख ने कहा, ह्लयह कहना तुच्छ बात है. केवल तुच्छ और कम बुद्धि वाले ही ऐसा कह सकते हैं. मैंने राज्य का दौरा करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की एक योजना तैयार की है. कुछ नेताओं ने जो किया है उससे उन्हें हताश नहीं होना चाहिए.ह्व इससे अलग, सतारा जिले के कराड में राकांपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र एवं देश में साम्प्रदायिक विभाजन पैदा करने वाली ताकतों का मुकाबला करने की जरूरत है.
राकांपा ने अजित पवार, आठ अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की, नोटिस जारी किए
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के समक्ष एक याचिका दायर कर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अजित पवार और मंत्री पद की शपथ लेने वाले पार्टी के आठ अन्य विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की है.
सूत्रों के अनुसार, जितेंद्र आव्हाड ने रविवार देर रात नार्वेकर के आवास पर याचिका भेजी थी. अजित पवार के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने के बाद राकांपा ने आव्हाड को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया है. नार्वेकर के कार्यालय ने याचिका मिलने की पुष्टि की. शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने सोमवार को नौ विधायकों को नोटिस भी जारी किया और उनसे कहा कि वे किसी भी मंच पर इस तथ्य को गलत तरीके से पेश करने से बचें कि उनका राकांपा के साथ कोई संबंध है.
राकांपा की प्रदेश इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि “इस तरह की कोई भी गलतबयानी पूरी तरह से गैरकानूनी और अवैध होगी”. पत्र में यह भी कहा गया है, “इसलिए, पार्टी ने रविवार को भारत के संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत महाराष्ट्र विधानसभा से इन विधायकों की औपचारिक अयोग्यता के लिए उचित कार्यवाही शुरू कर दी है.” पार्टी की अनुशासनात्मक समिति ने नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने के संबंध में रविवार को एक प्रस्ताव पारित किया था.
समिति के प्रमुख जयप्रकाश दांडेगावकर ने प्रस्ताव पारित होने के बाद रविवार देर शाम राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को इस पर रिपोर्ट सौंपी. प्रस्ताव में कहा गया है, ”नौ विधायकों का यह कृत्य उन्हें तत्काल अयोग्य ठहराने लायक है, क्योंकि ऐसे दलबदल न केवल पार्टी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि अगर उन्हें विधानसभा सदस्य बने रहने दिया जाता है तो इसकी बहुत ज्यादा आशंका है कि वे पार्टी के हितों को कमजोर करने की कोशिश करते रहेंगे.” इसमें कहा गया कि यह दलबदल ”पार्टी अध्यक्ष की जानकारी या सहमति के बिना” इतने गोपनीय तरीके से किया गया कि यह पार्टी छोड़ने के समान है, जिसके कारण उन्हें अयोग्य ठहराया जाना चाहिए.
प्रस्ताव में कहा गया है, ”हम इस पर संज्ञान लेते हैं और निर्देश देते हैं कि भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के साथ ही पार्टी के संविधान और नियमों के अनुसार उचित कदम उठाए जाएं. प्रक्रिया के अनुसार पार्टी अध्यक्ष शरद पवार को सूचना दे दी गई है और इस पर चर्चा की गई है.” राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने रविवार को कहा था कि उनकी पार्टी ने अजित पवार तथा आठ अन्य के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की है.
उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग को भी एक ई-मेल भेजा गया है, जिसमें बताया गया है कि राकांपा नेता और कार्यकर्ता पार्टी प्रमुख शरद पवार के साथ हैं. शरद पवार द्वारा 1999 में स्थापित पार्टी को रविवार दोपहर उस समय विभाजन का सामना करना पड़ा, जब उनके भतीजे अजित पवार उपमुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए. सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने वाले राकांपा के आठ अन्य विधायकों में शरद पवार के वफादार रहे छगन भुजबल और दिलीप वलसे पाटिल भी शामिल हैं.
सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने वाली ताकतों को रोकने की जरूरत: शरद पवार
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र और देश में सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने वाली ताकतों से लड़ने की जरूरत है. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे नीत सरकार में राकांपा नेता अजित पवार के उप मुख्यमंत्री बनने के एक दिन बाद पवार ने कराड में पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, ” हमारे कुछ लोग अन्य पार्टियों को तोड़ने की भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की चाल का शिकार हो गए.” शरद पवार कराड में, अपने गुरु एवं महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण के स्मारक पर पहुंचे और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की.
राकांपा प्रमुख के भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी में हुई टूट के एक दिन बाद, गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शरद पवार (82) का दिवंगत चव्हाण के स्मारक प्रीतिसंगम का दौरा करने को शक्ति प्रर्दिशत करने के तौर पर देखा जा रहा है. उन्होंने कहा, ”महाराष्ट्र और देश में सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश की जा रही है. हमें उन ताकतों से लड़ने की जरूरत है, जो शांति पसंद करने वाले नागरिकों के बीच भय उत्पन्न करती हैं.” पवार ने कहा, ” हमें अपने देश में लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है.” राकांपा प्रमुख ने कहा कि एक गलत प्रवृत्ति उभर रही है और उसने ही राज्य में पार्टी को तोड़ने की कोशिश की.
उन्होंने कहा, ”इसके पीछे का मकसद इन साम्प्रदायिक विचारधाराओं के जरिये देश के मुद्दों को आगे ले जाना है, और इस प्रवृत्ति ने राज्य में उथल-पुथल करने में यही रुख अपनाया है. दुर्भाग्य से, हमारे कुछ सहकर्मी इन तरकीबों का शिकार हो गए.” उन्होंने कहा कि साहू महाराज, (ज्योतिबा) फुले और (डॉ भीमराव) आंबेडकर की धरती, महाराष्ट्र के लोग अन्य दलों को तोड़ने में भूमिका निभाने वाली इन प्रवृत्तियों को उनकी सही जगह दिखाएंगे.