सिद्धरमैया ने धनशोधन का मामला दर्ज किये जाने को लेकर ईडी पर सवाल उठाए, इस्तीफा देने से किया इनकार
बेंगलुरु. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज करने पर सवाल उठाया और मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले को लेकर एक बार फिर इस्तीफा देने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया. सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बी. एम. द्वारा उन्हें एमयूडीए से आवंटित 14 भूखंडों का स्वामित्व और कब्जा छोड़ने के फैसले के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्वती उनके खिलाफ ‘नफरत की राजनीति’ का शिकार हुई हैं और पत्नी के इस कदम से वह हैरान हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्वती अपने परिवार तक ही सीमित थीं, लेकिन नफरत की राजनीति के कारण उन्होंने ”मानसिक यातनाएं” झेली. इस बीच, एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस की एक टीम ने आज उस भूमि का सर्वेक्षण किया, जिसके बदले में 14 भूखंड ”अवैध रूप” से सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को आवंटित किए गए थे. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण के दौरान विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी, सर्वेक्षक और एमयूडीए के नगर नियोजन सदस्य भी लोकायुक्त टीम के साथ थे.
सूत्रों ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा भी मौजूद थे, जिनकी शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धरमैया, उनकी पत्नी और दो अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. जांच अधिकारियों द्वारा जारी नोटिस के बाद कृष्णा आज यहां लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए. ईडी द्वारा सिद्धरमैया के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के कुछ घंटों बाद सोमवार को पार्वती ने एमयूडीए को पत्र लिखकर 14 भूखंडों का स्वामित्व और कब्जा छोड़ने की पेशकश की और कहा कि उनके लिए कोई भी भूखंड, घर, संपत्ति और धन उनके पति के सम्मान, गरिमा, प्रतिष्ठा और मानसिक शांति से बढ़कर नहीं है.
सिद्धरमैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”मुझे नहीं पता कि यह किस आधार पर धनशोधन का मामला है. संभवत: आपको भी ऐसा ही लगता होगा. मेरे हिसाब से, यह धनशोधन का मामला नहीं बनता, क्योंकि ली गई जमीन के बदले में भूखंड दिया गया था, तो यह धनशोधन का मामला कैसे है?” सोमवार को ईडी ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी को 14 भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर मामला दर्ज किया था. ईडी ने मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ पीएमएलए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
वहीं, पार्वती द्वारा 14 भूखंडों के स्वामित्व और कब्जा छोड़ने के निर्णय से संबंधित पत्र आज उनके पुत्र एवं विधान परिषद सदस्य यतीन्द्र सिद्धरमैया द्वारा व्यक्तिगत रूप से एमयूडीए आयुक्त ए.एन. रघुनंदन के कार्यालय को सौंपा गया. एमयूडीए के एक अधिकारी ने कहा, ”प्राप्त पत्र पर कानूनी प्रावधानों के आधार पर आगे कोई कदम उठाया जाएगा.” मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि पार्वती अपने परिवार तक ही सीमित थीं, लेकिन नफरत की राजनीति के कारण उन्होंने ”मानसिक यातनाएं” झेली.
उन्होंने ऑनलाइन किए गए एक पोस्ट में कहा, ”मेरा रुख इस अन्याय के आगे झुके बिना लड़ने का था, लेकिन मेरे खिलाफ चल रही राजनीतिक साजिश से परेशान मेरी पत्नी ने इस जमीन को वापस करने का फैसला किया है, जिससे मैं भी हैरान हूं.” सिद्धरमैया ने कहा, ”मेरी पत्नी ने चार दशक के मेरे राजनीतिक जीवन में कभी हस्तक्षेप नहीं किया और अपने परिवार तक ही सीमित रहीं, लेकिन आज वह मेरे खिलाफ नफरत की राजनीति का शिकार हो गईं और मानसिक यातना झेल रही हैं. मैं दुखी हूं. हालांकि, मैं अपनी पत्नी के जमीन वापस करने के फैसले का सम्मान करता हूं.” मुख्यमंत्री ने एमयूडीए मामले में अपने इस्तीफे की संभावना से भी इनकार किया. उन्होंने कहा, ”मैं अंतरात्मा की आवाज के अनुसार काम करता हूं, इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है.”
भाजपा के इस तर्क पर कि सिद्धरमैया की पत्नी द्वारा भूखंड लौटाने की पेशकश मामले में गलत काम की स्वीकारोक्ति के समान है, मुख्यमंत्री ने कहा, ”जब कोई यह कहकर किसी चीज को छोड़ने का फैसला करता है कि वह विवाद नहीं चाहता, तो यह अपराध या कबूलनामा कैसे हो सकता है? विपक्षी पार्टी के नेता झूठ बोलने में ‘विश्वगुरु’ हैं.” सिद्धरमैया ने कहा, ”क्या मेरे इस्तीफा देने के बाद मामला बंद हो जाएगा? वे अनावश्यक रूप से मेरे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. जब मैंने कोई गलत काम नहीं किया है तो मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए?” इससे पहले दिन में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई के प्रमुख बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती का 14 भूखंडों का स्वामित्व और कब्जा छोड़ने का फैसला एमयूडीए ‘घोटाले’ में गलत काम करने को आधिकारिक रूप से स्वीकार करने के समान है और इस मामले में मुख्यमंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए.
विजयेंद्र ने पार्वती के कदम को एक ”राजनीतिक नाटक” करार दिया और आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य ”कानूनी अड़चनों से बचना” है. उन्होंने कहा कि सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. विजयेंद्र ने कहा कि जब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री के खिलाफ निजी शिकायतों के आधार पर जांच को मंजूरी दी थी, तब कांग्रेस अध्यक्ष, मंत्रियों और नेताओं ने आरोप लगाया था कि उनका निर्णय राजनीति से प्रेरित है और वह केंद्र सरकार के हाथों की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले सिद्धरमैया को राज्यपाल से माफी मांगनी चाहिए.
उन्होंने गृह मंत्री और पुलिस महानिदेशक से सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा को तत्काल पर्याप्त पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया जिनकी शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धरमैया, उनकी पत्नी और दो अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की था. उन्होंने दावा किया कि कृष्णा के खिलाफ ”षड्यंत्र” की खबरें हैं.
वहीं, कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने मुख्यमंत्री के खिलाफ ईडी मामले के पीछे ”राजनीतिक उद्देश्य” का आरोप लगाया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चुनावी राज्य हरियाणा में हाल में एक चुनावी रैली के दौरान एमयूडीए मामले को उठाने का हवाला भी दिया. परमेश्वर ने कहा, ”प्रतीक्षा कीजिये और देखिये कि कानूनी तौर पर क्या होता है, जब उनकी (सिद्धरमैया) पत्नी एमयूडीए को भूखंड वापस करती हैं.”