कांग्रेस के ‘जितनी आबादी उतना हक’ रुख पर असहमति जताने के बाद सिंघवी ने वापस लिया बयान
नयी दिल्ली. कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना कराने और आबादी के अनुपात में अधिकार दिये जाने की जोरदार वकालत करने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने मंगलवार को कहा कि यह अंतत: बहुसंख्यकवाद का रूप ले लेगा. हालांकि, बाद में उन्होंने इसके लिए अपने स्टाफ को जिम्मेदार ठहराते हुए अपने बयान को वापस ले लिया.
कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी ने ‘एक्स’ पर अपने विवादास्पद पोस्ट से कांग्रेस के दूरी बनाने के बाद इसे तत्काल हटा दिया. उन्होंने बाद में यह भी कहा कि वह जाति जनगणना का समर्थन करते हैं जिसके आधार पर अनुपात के हिसाब से अधिकार दिये जाएंगे. इससे पहले सिंघवी ने ‘एक्स’ पर लिखा था, ”अवसरों की समानता कभी परिणामों की समानता के बराबर नहीं होती. ‘जितनी आबादी उतना हक’ का समर्थन कर रहे लोगों को पहले इसके परिणामों को पूरी तरह समझना होगा. अंतत: यह बहुसंख्यकवाद में परिणत होगा.” इस पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह कहीं से भी पार्टी के रुख को प्रर्दिशत नहीं करता.
बाद में सिंघवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”एक कर्मचारी ने लापरवाही से बयान जारी किया जिसे थोड़े समय के अंतराल पर हटा दिया गया. जब मैं उच्चतम न्यायालय में एक सम्मान समारोह से बाहर आया तो इसे देखा और तुरंत इसे हटा दिया गया.” उन्होंने बाद में संवाददाताओं से कहा कि वह पार्टी के इस विचार के साथ खड़े हैं कि देश में जाति जनगणना होनी चाहिए और उनका रुख इस मामले में पार्टी से अलग नहीं है.
”बहुसंख्यकवाद” पर सिंघवी के बयान को लेकर जयराम रमेश ने कहा, ”सिंघवी की पोस्ट उनकी अपनी राय को दर्शाने वाली हो सकती है, लेकिन यह किसी भी तरह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रुख को नहीं दर्शाती, जिसका सार 26 फरवरी , 2023 के रायपुर घोषणापत्र और 16 सितंबर, 2023 के कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव दोनों में निहित है.”
सिंघवी के पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) विभाग के प्रमुख अजय यादव ने कहा, ”सिंघवी ने जो कहा है, वह पार्टी का रुख नहीं है.” यादव ने कहा, ”जो पार्टी लाइन से अलग बात रखता है, उसे मैं जवाब नहीं दूंगा. हमारा रुख है कि गरीब, वंचित और बहुजन समाज को आर्थिक तथा सामाजिक लाभ दिये जाने चाहिए.” बिहार में सोमवार को जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी किये जाने के बाद कांग्रेस ने ‘जितनी आबादी, उतना हक’ की वकालत करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत गणना की पुरजोर मांग की थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या ‘आबादी’ के अनुपात में अधिकार दिये जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार गरीबों का है.
मोदी ने यह भी पूछा कि क्या कांग्रेस मुसलमानों के अधिकारों को कम करना चाहती है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!” राहुल गांधी ने कहा, ”इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है. जितनी आबादी, उतना हक- ये हमारा प्रण है.” कांग्रेस ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय स्तर पर भी जाति जनगणना तत्काल कराने की मांग की थी.
विपक्षी दल ने कहा कि यदि मोदी सरकार जाति जनगणना नहीं कराती तो कांग्रेस सरकार बनते ही यह काम किया जाएगा ताकि हर वर्ग को उनके अधिकार मिलें. बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में भाजपा की ‘परिवर्तन महासंकल्प रैली’ को संबोधित करते हुए मोदी ने कांग्रेस पर लोकतंत्र को ‘लूटतंत्र’ और प्रजातंत्र को ‘परिवारतंत्र’ में बदलने का आरोप लगाया.
प्रधानमंत्री ने कहा, ”कल से कांग्रेस ने एक अलग राग अलापना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के नेता कहते हैं कि जितनी आबादी उतना हक है. मैं कहता हूं कि इस देश में अगर कोई सबसे बड़ी आबादी है, तो वह ‘गरीब’ की है. इसलिए मेरे लिए ‘गरीब’ ही सबसे बड़ी आबादी है और गरीब का कल्याण यही मेरा मकसद है.”
उन्होंने कहा, ”पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्या सोच रहे होंगे? मनमोहन सिंह जी कहते थे कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है और उनमें भी पहला अधिकार मुसलमानों का है. लेकिन अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि किसे कितना अधिकार मिलेगा.” प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस मुसलमानों के अधिकारों को कम करना चाहती है? उन्होंने कहा, ”तो क्या अल्पसंख्यकों को कांग्रेस हटाना चाहती है? तो क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदू अब आगे बढ़कर अपने सारे हक ले लें?”