रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के खिलाफ सपा विधायकों ने उठाई आवाज

लखनऊ/अयोध्या. समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की श्रीरामचरित मानस के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी के एक दिन बाद सपा के कई विधायकों ने सोमवार को उनके बयान का विरोध किया और कहा कि वे इस मामले में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर उन्हें स्थिति से अवगत कराएंगे. विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने कहा कि श्रीरामचरित मानस एक ऐसा ‘ग्रन्थ’ है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग पढ़ते हैं, और इसका पालन भी करते हैं.

रायबरेली के ऊंचाहार से तीसरी बार विधायक चुने गये पांडेय ने कहा “श्रीरामचरित मानस हमें नैतिक मूल्यों और भाइयों, माता-पिता, परिवार और अन्य लोगों के साथ संबंधों के महत्व को सिखाती है. हम न केवल रामचरितमानस बल्कि बाइबिल, कुरान और गुरुग्रंथ साहिब का भी सम्मान करते हैं. वे सभी हमें सबको साथ लेकर चलना सिखाते हैं.” यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को मौर्य के विवादित बयान के बारे में सूचित किया था, पांडे ने कहा, “यह उनकी जानकारी में है. वह (अखिलेश) इस समय उत्तराखंड में हैं और हम उनसे मिलकर स्थिति से अवगत कराएंगे.”

गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को कहा था, ”रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है. यह ‘अधर्म’ है, जो न केवल भाजपा बल्कि संतों को भी हमले के लिए आमंत्रित कर रहा है.” मौर्य ने कहा था, “रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं.”

उन्होंने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से, पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो किसी की जाति या किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं. सपा सूत्रों के मुताबिक मनोज पांडेय ही नहीं, मौर्य के बयान के खिलाफ सपा के कई अन्य नेताओं ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं.

पार्टी के एक विधायक ने कहा, ”फिलहाल हम मीडिया में कुछ भी साझा नहीं करने जा रहे हैं. हमारे नेता (अखिलेश) उचित निर्णय लेंगे और ऐसे बयानों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए.” सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि उनका (मौर्य का) बयान पार्टी के विचारों के अनुरूप नहीं है, यह उनकी निजी राय हो सकती है.

उन्होंने कहा, “हर किसी को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए. यह उनका निजी बयान हो सकता है, लेकिन पार्टीलाइन नहीं.” प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गये थे. मौर्य ने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. हालांकि बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया था.

मुस्लिम समुदाय ने रामचरितमानस के खिलाफ मौर्य की टिप्पणी की निंदा की

मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस के खिलाफ अपमानजनक टिप्­पणी किए जाने की कड़ी निंदा की है और उनसे बयान वापस लेकर माफी मांगने को कहा है. मौर्य ने रविवार को तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की थी कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है.

पूर्व मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा था, ‘‘धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है. अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो, तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं, बल्कि अधर्म है.’’ उन्होंने आरोप लगाया था, ‘‘रामचरितमानस में कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है. इससे इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं.’’

मौर्य ने मांग की थी, ‘‘रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश, जो जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर समुदायों का अपमान करते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.’’ हालांकि, सपा ने यह कहते हुए कि मौर्य के बयान से खुद को दूर किया था कि यह उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश इकाई ने कहा कि मौर्य इस टिप्पणी के लिए माफी मांगें और अपना बयान वापस लें.

सामाजिक संस्था ‘सेंटर फॉर आॅब्जेक्टिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट’ के अध्यक्ष अतहर हुसैन ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘हमारा विनम्र अनुरोध है कि जो लोग किसी भी रूप में सार्वजनिक जीवन में हैं, उन्हें किसी भी धार्मिक पुस्तक या व्यक्तित्व पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर मुसलमानों के मन में पवित्र साहित्य के रूप में रामचरितमानस के लिए गहरा सम्मान है और हम ऐसी किसी भी टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हैं, जो इस धार्मिक पुस्तक का अपमान करती है.’’

वहीं, लखनऊ में प्रसिद्ध टीले वाली मस्जिद के मुतवल्ली मौलाना वासिफ हसन ने कहा, ‘‘एक मुस्लिम और इस्लाम के सच्चे अनुयायी होने के नाते हमारे मन में ंिहदू धर्म और उसके धर्मग्रंथों के प्रति आदर और सम्मान है. मैं मुस्लिम समुदाय की तरफ से स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की गई टिप्पणियों का कड़ा विरोध करता हूं और उनसे तत्काल माफी मांगने की मांग करता हूं.’’ अयोध्या में बख्शी शहीद मस्जिद के इमाम मौलाना सेराज अहमद खान ने कहा, ‘‘रामचरितमानस अवधी भाषा में 16वीं शताब्दी में संत तुलसीदास द्वारा लिखा गया था. काफी हद तक माना जाता है कि यह महाकाव्य मुगल शासनकाल के दौरान अयोध्या में लिखा गया था.

रामचरितमानस के छंद आज भी एक नैतिक समाज, एक आदर्श परिवार का संदेश देते हैं.’’ मौलाना सेराज अहमद खान ने कहा, ‘‘बचपन में हम राम चरित मानस भी पढ़ते थे और इसकी नसीहतें अपनाते थे. मुस्लिम समुदाय इस पुस्तक के प्रति किसी भी तरह का अनादर स्वीकार नहीं कर सकता. मैं मांग करता हूं कि मौर्य को अपने शब्द वापस लेने चाहिए.’’ अयोध्या के एक स्थानीय मौलवी मौलाना लियाकत अली ने कहा, ‘‘रामचरितमानस स्पष्ट रूप से उस समय के एक धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी समाज को दर्शाता है, जहां जाति का कोई भेद नहीं है और हम इस पुस्तक का सम्मान करते हैं. हम इसके खिलाफ किसी भी अपमानजनक टिप्पणी का विरोध करते हैं.’’

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