तीन उपग्रहों के साथ एसएसएलवी ने श्रीहरिकोटा से दूसरी ‘विकास उड़ान’ भरी

इसरो वर्ष 2023 में गगनयान की तैयारी समेत कई नये अभियान शुरू करेगा : सोमनाथ

श्रीहरिकोटा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को यहां से उड़ान भरी तथा ईओएस-07 उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. अपनी दूसरी विकास उड़ान में एलवी डी2 ने पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी. यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है.

इसरो ने बताया कि एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. साढ़े छह घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे रॉकेट को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया. इसरो को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन बाजार में सफलता हासिल करने के लिए इस प्रक्षेपण से काफी उम्मीदें हैं.

एसएसएलवी पिछले साल सात अगस्त को अपनी पहली विकास उड़ान में कक्षा संबंधी विसंगति और रॉकेट के उड़ान पथ से भटक जाने के कारण आंशिक रूप से असफल रहा था. एलवी का उद्देश्य 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है. यह कम लागत में अंतरिक्ष तक पहुंच प्रदान करता है. प्रक्रियागत कम समय और कई उपग्रहों को समायोजित करने का लचीलापन इसकी खासियत है और इसे प्रक्षेपण के लिए न्यूनतम अवसंरचना की आवश्यता होती है.

ईओएस-07 156.3 किलोग्राम वजनी उपग्रह है, जिसे इसरो ने बनाया और विकसित किया है. जानुस 10.2 किलोग्राम वजनी और आजादीसैट-2 8.7 किलोग्राम भार वाला उपग्रह है. आजादीसैट को ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के मार्गदर्शन में भारत की करीब 750 छात्राओं के प्रयास से बनाया गया है. इस मिशन का उद्देश्य तीनों उपग्रहों को 450 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित करना है.

इसरो वर्ष 2023 में गगनयान की तैयारी समेत कई नये अभियान शुरू करेगा : सोमनाथ

भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि इसरो वर्ष 2023 में कई अभियानों को शुरू करने के साथ अपने मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ की भी तैयारी करेगा. इसरो के मुताबिक, गगनयान परियोजना के तहत मानवयुक्त अंतरिक्षयान की क्षमता को दर्शाने के लिए तीन अंतरिक्ष यात्रियों को तीन दिनों के मिशन के तहत 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा और फिर उन्हें सुरक्षित तरीके से हिंद महासागर में उतारा जाएगा.

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को एलवी डी 2 के सफल प्रक्षेपण ने इस साल इसरो के व्यस्त कार्यक्रम को लय कायम कर दी है और इस साल के लिए कई धुव्रीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) और भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) से जुड़े अभियान निर्धारित किए गए.

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) डी2 के सफल प्रक्षेपण के बाद उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि फिलहाल हम जीएसएलवी एमके-तीन के अगले प्रक्षेपण की तैयारी कर रहे हैं और एलवीएम 3 एम3 मिशन के तहत मध्य मार्च तक वनवेब इंडिया-2 का प्रक्षेपण होगा जिसमें 36 उपग्रह होंगे. एसएलवी प्रक्षेपण के तुरंत बाद इसरो ने पीएसएलवी सी 55 मिशन के प्रक्षेपण अभियान की शुरुआत कर दी. यह प्रक्षेपण न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के लिए होगा जो एक वाणिज्यिक प्रक्षेपण है.

अन्य योजनाओं के तहत ‘रीयूजेबल प्रक्षेपण यान‘ का ‘लैंडिंग प्रदर्शन’ भी शामिल है. सोमनाथ ने कहा, ‘‘फिलहाल टीम चित्रदुर्ग स्थित केंद्र पर है. हमें उम्मीद है कि कुछ दिनों में शुरुआती तैयारी हो जाएगी और हम लैंडिंग प्रदर्शन करने में समर्थ होंगे.’’ उन्होंने कहा कि निसार (नासा-इसरो सार अभियान) की शुरुआत इस साल के अंत में की जाएगी.

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