LOC के पार आतंकी ठिकाने सक्रिय, पाक सेना ने संघर्ष विराम का इस्तेमाल कर क्षमता मजबूत की

श्रीनगर. कश्मीर घाटी में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार आतंकी ठिकानों पर लगभग 60 से 80 आतंकवादी मौजूद हैं. माना जाता है कि वे अफगानिस्तान से लौटे भाड़े के लड़ाके हैं, जो र्गिमयों के महीनों के दौरान संभावित घुसपैठ से पहले प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान को उन्हें भारतीय इलाके में घुसपैठ कराने से पहले कई बार सोचना होगा क्योंकि इस्लामाबाद वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की ‘‘ग्रे लिस्ट’’ में बना हुआ है और उसकी गंभीरता का अंदाजा तभी लगाया जा सकता है जब वह आतंकियों को प्रश्रय देने वाले ढांचे को खत्म करे.

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना द्वारा 2019 की जोरदार कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी पक्ष ने पिछले साल के शुरुआती महीनों तक आतंकी ठिकानों से दूरी बनाकर रखी, जब वे कुछ हफ्तों के लिए थोड़े समय के लिए सक्रिय हुए और बाद में फिर से गायब हो गए.
हालांकि, पिछले साल अगस्त से सीमा पार फिर से सक्रिय इन आतंकी ठिकानों पर करीब 60-80 आतंकवादी मौजूद हैं और खुफिया जानकारी तथा जमीनी इकाइयों द्वारा निगरानी के अनुसार, आतंकवादी संभवत: अफगान युद्ध से लौटे हैं जो ज्यादातर पाकिस्तानी भाड़े के लड़ाके हैं.

नियंत्रण रेखा पर पिछले साल फरवरी से संघर्ष विराम समझौता लागू है और अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने 2019 में गंभीर विपरीत हालात का सामना करने के बाद इस समय का इस्तेमाल लगभग 8,000 टन रक्षा सामग्री के साथ सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किया है. अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने पिछले साल से संघर्ष विराम का फायदा उठाते हुए अपनी वायु रक्षा प्रणाली, तोपखाने और मोर्टार की तैनाती को मजबूत करने के अलावा, भारी क्षमता वाली करीब 60 तोपें भी तैनात की हैं.

उन्होंने कहा कि जहां भारतीय सेना नियंत्रण रेखा पर सामरिक बढ़त की स्थिति को बरकरार रखे हुए है, वहीं समय का उपयोग अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए भी किया गया है ताकि र्गिमयों के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की साजिश को नाकाम किया जा सके. अधिकारियों ने कहा कि सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए एलओसी पर घुसपैठ रोधी ग्रिड और निगरानी तंत्र को और मजबूत किया गया है.

हॉटलाइन पर भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद पिछले साल 25 फरवरी को एक संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें दोनों देश 24-25 फरवरी 2021 की मध्य रात्रि से एलओसी और अन्य सभी क्षेत्रों में सभी समझौतों, आपसी सहमति तथा संघर्ष विराम का सख्ती से पालन करने पर सहमत हुए.

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