भारत 2028 से पहले ही 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है: पुरी

दुनिया को संकटों और चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावहारिकता की जरूरत

दावोस. केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि भारत 2028 से काफी पहले ही 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि देश की बड़ी आबादी के हितों की रक्षा के लिए ऊर्जा बदलाव को व्यवस्थित तरीके से किये जाने की जरूरत है.

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री पुरी ने कहा कि भारत पर्यावरण को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं से अवगत है और बढ़ती अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करते हुए सभी लक्ष्यों को समय पर पूरा करेगा. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक 2024 के दौरान ‘स्थायी आर्थिक वृद्धि के लिए भारत के ऊर्जा बदलाव को गति’ विषय पर सीआईआई-ईवाई के सत्र में उन्होंने यह बात कही.

मंत्री ने विभिन्न वृहद आर्थिक मापदंडों का उल्लेख करते हुए कहा, ”मुझे नहीं लगता कि हमें 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए 2028 तक का इंतजार करने की जरूरत है. आप अगर मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो यह 2028 से काफी पहले हो जाना चाहिए.” उन्होंने कहा, ” मेरा मानना है कि ऊर्जा बदलाव व्यवस्थित होना चाहिए…. इसमें सभी सुरक्षा उपाय होने चाहिए जो यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी निर्णय बिना सोच-विचार न लिया जाए.” पुरी ने कहा कि यह भारत जैसे देश के लिए और भी महत्वपूर्ण है, जो अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश भी है.

मंत्री ने कहा, ”जब ऊर्जा की बात आती है, तो आर्थिक वृद्धि और ऊर्जा के बीच संबंध बहुत महत्वपूर्ण है. अब हम 4,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के करीब हैं लेकिन तथ्य यह है कि हमें अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से का ख्याल रखने की जरूरत है.” पुरी ने कहा, ”घरेलू बाध्यताओं का ध्यान रखे बिना परिवर्तन की आवश्यकता के बारे में सिद्धांत बनाना एक बात है. जहां तक ??भारत का सवाल है, उपलब्धता और ऊर्जा संसाधन महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हम अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करते हैं.”

उन्होंने कहा, ”दुनिया जिन विभिन्न संकट का सामना कर रही है, उसे देखते हुए भारत में जिस तरीके से लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है, उसे यह भी ध्यान रखना होगा, चीजें किफायती हों. उसके बाद पर्यावरण आता है और हम उसके लिए भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.” साथ ही उन्होंने कहा , ” मुझे विश्वास है कि ऊर्जा बदलाव पर 2030 के लिए हमारे सभी लक्ष्यों को हम पूरा करेंगे. हमारी हरित हाइड्रोजन नीति व्यापक तौर पर सफल होगी.”

पुरी ने कहा, ”हम विमानन ईंधन पर अपने लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर हैं. भारत आज जैव ईंधन मिश्रण के लिए एक शानदार क्षमता पेश कर रहा है. हम अपने सभी लक्ष्यों को समय से पहले पूरा कर रहे हैं. वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की स्थापना हमारी सफलता की एक और मिसाल है.” उन्होंने तेजी से ऊर्जा बदलाव के लिए हरित हाइड्रोजन की कीमत में कमी की जरूरत बतायी और कहा कि देश कुछ समय तक पेट्रोल और कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहेगा.

विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक के दौरान ‘ऊर्जा और प्रतिद्वंद्विता’ विषय पर आयोजित एक अन्य सत्र में उन्होंने कहा कि दुनिया के समक्ष जो चुनौतियां हैं, उससे व्यवहारिक तरीके से निपटने की जरूरत है. उन्होंने इस मौके पर रूस-यूक्रेन युद्ध युद्ध के प्रभावों से निपटने में भारत का उदाहरण दिया. पुरी ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद ऊर्जा संकट का संकेत मिलना शुरू हो गया था. उसके बाद भारत ने शुरुआत में ही व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया और परिणाम सभी के सामने हैं.

दुनिया को संकटों और चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावहारिकता की जरूरत

यूक्रेन-रूस युद्ध के प्रभावों से निपटने में भारत का उदाहरण देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि दुनिया को अपने सामने आने वाली चुनौतियों और संकटों से व्यावहारिक रूप से निपटने की जरूरत है. पुरी यहां विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में ‘ऊर्जा और प्रतिद्वंद्विता’ विषय पर एक सत्र को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद ऊर्जा संकट का संकेत मिलने के पश्चात भारत ने शुरुआत में ही व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया और परिणाम सभी के सामने हैं. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मामलों के साथ-साथ आवास और शहरी मामलों के मंत्री पुरी ने कहा कि देखभाल के लिए भारत में एक बड़ी आबादी है और लाखों लोगों को दिन में तीन बार खाना खिलाना सरकार की जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा, ”लेकिन साथ ही हमने अपनी घरेलू मजबूरियों को टिकाऊ भविष्य के प्रति अपनी वैश्विक प्रतिबद्धताओं के आड़े नहीं आने दिया.” वहीं, यूरोपीय आयोग के ऊर्जा आयुक्त कादरी सिमसन ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि व्यावहारिकता आवश्यक है और यूरोप भी इसे मानता है.

उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधियों सहित पैनल में शामिल वक्ताओं ने ऊर्जा और भू-राजनीति के तेजी से आपस में जुड़ने तथा देशों द्वारा तेल, गैस और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों सहित अपनी वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने के लिए खुले तौर पर प्रतिस्पर्धा करने के बारे में बात की. पुरी ने कहा कि दुनिया भर में जो बदलाव हो रहे हैं और जब कई तरह के संकट हैं, भारत जैसे देश को अपनी बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करते हुए सतत विकास सुनिश्चित करना है.

उन्होंने कहा, “भारत की खपत वैश्विक औसत से तीन गुना बढ़ रही है. भारत वर्तमान में हर साल एक शिकागो के बराबर आवास स्थान बनाने की प्रक्रिया में है.” मंत्री ने कहा, “दुनिया के सामने जितनी भी चुनौतियां हैं, हमें उनका व्यावहारिक रूप से सामना करना होगा. अगर भारत ने यूक्रेन संकट के बाद खुद को उन्हीं संसाधनों से काम लेने की स्थिति में छोड़ दिया होता, तो हमारी ईंधन कीमतें काफी बढ़ जातीं.” उन्होंने कहा, “हमने एक व्यावहारिक निर्णय लिया और परिणाम सबके सामने हैं.”

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