पश्चिम एशिया में शांति और संवाद की सख्त जरूरत: कांग्रेस
कांग्रेस का प्रधानमंत्री से सवाल: झारखंड की बकाया राशि जारी क्यों नहीं हो रही
नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि हिंसा से घिरे पश्चिम एशिया में शांति और संवाद की सख्त जरूरत है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग सरकार द्वारा की गई पहल के कारण, 2007 से संयुक्त राष्ट्र 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है. पश्चिम एशिया में निर्दयतापूर्ण शत्रुता की भयावहता के चलते, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यह शांति संदेश एक बार फिर रेखांकित करना चाहती है.”
उन्होंने कहा, ”आज हजारों निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अस्वीकार्य मानवीय क्रूरता का सामना पड़ रहा है. इस क्षेत्र में, जो अब हिंसा और प्रतिहिंसा के गहरे चक्र में घिरा हुआ है, शांति और संवाद की सख्त जरूरत है.” रमेश का यह भी कहना था, ”ऐसा लगता है कि बदले की भावनाओं ने दुनिया की अंतरात्मा को कमज.ोर कर दिया है. इसे सुलह और अमन-शांति की भावनाओं द्वारा फिर से जागृत करने की जरूरत है.” ईरान द्वारा इजराइल पर मिसाइल हमलों के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया है. ईरान ने मंगलवार रात को इजराइल को निशाना बनाकर करीब 200 मिसाइलें दागी थीं.
कांग्रेस का प्रधानमंत्री से सवाल: झारखंड की बकाया राशि जारी क्यों नहीं हो रही
कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह बताना चाहिए कि राज्य की बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये की राशि क्यों नहीं जारी की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज झारखंड के हजारीबाग का दौरा करेंगे और इस दौरान धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरुआत करने के अलावा 83,300 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”आज जब प्रधानमंत्री झारखंड में हैं तब उन्हें इन सवालों के जवाब ज.रूर देने चाहिए. वह झारखंड का बकाया 1.36 लाख करोड़ क्यों नहीं जारी कर रहे हैं? प्रधानमंत्री झारखंड के 8 लाख लोगों को घर देने के अपने वादे को पूरा क्यों नहीं कर रहे हैं? वे इंजीनियरिंग कॉलेज कहां हैं जिनका प्रधानमंत्री ने 2014 में वादा किया था?” उन्होंने कहा, ”केंद्र सरकार पर अभी भी झारखंड का कोयला रॉयल्टी और केंद्रीय योजना लाभ का लाखों करोड़ रुपये बकाया है. झारखंड में, कोयला खदानें कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनियों द्वारा संचालित की जाती हैं, जिन पर राज्य सरकार का भारी पैसा बकाया है.”
रमेश के अनुसार, भूमि मुआवज.े के 1,01,142 करोड़ रुपये, और धुले हुए कोयले की रॉयल्टी के 2,500 करोड़ रुपए का बकाया भी लंबित है. उन्होंने कहा, ”विपक्ष शासित राज्यों में भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.” कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ”प्रधानमंत्री के पसंदीदा नारे सबका साथ, सबका विकास का क्या हुआ? झारखंड और वहां के लोगों को जो 1,36,042 करोड़ रुपये देने हैं, वे कहां हैं?”