तिवारी ने समलैंगिक व्यक्ति सौरभ कृपाल पर ‘‘रिपोर्ट’’ करने को लेकर रॉ के अधिकार पर सवाल उठाया
नयी दिल्ली. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एक समलैंगिक व्यक्ति सौरभ कृपाल पर ‘‘रिपोर्ट’’ करने को लेकर रिसर्च एंड एनालिसिसविंग (रॉ) के अधिकार पर शुक्रवार को सवाल उठाया. उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने अपनी समलैंगिक पहचान खुले तौर पर स्वीकार करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने की 11 नवंबर, 2021 की अपनी सिफारिश को बृहस्पतिवार को दोहराया था.
कॉलेजियम ने केंद्र की इस दलील को खारिज किया कर दिया था कि भारत में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है लेकिन समलैंगिक विवाह को अब भी मान्यता नहीं है. कॉलेजियम के बयान में कृपाल के यौन रुझान के बारे में उनके द्वारा खुलकर बात करने के लिए उनकी सराहना की गई है. इसने कहा कि इसका श्रेय कृपाल को जाता है कि वह अपने यौन रुझान को छुपाते नहीं हैं.
उच्चतम न्यायालय के बयान में कहा गया था, ‘‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के 11 अप्रैल, 2019 और 18 मार्च, 2021 के पत्रों से ऐसा प्रतीत होता है कि इस अदालत के कॉलेजियम द्वारा 11 नवंबर, 2021 को सौरभ कृपाल के नाम को लेकर की गई सिफारिश पर दो आपत्तियां हैं : पहला कि सौरभ कृपाल का साथी स्विट्जरलैंड का नागरिक है, और दूसरा यह कि वह घनिष्ठ संबंध में हैं और अपने यौन रुझान को खुले तौर पर स्वीकार करते हैं.’’ इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तिवारी ने कहा कि यह अजीब बात है कि रॉ एक भारतीय नागरिक पर रिपोर्ट कर रहा था.
कांग्रेस नेता ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘रॉ के पास एक स्पष्ट बाहरी अधिकार है. भले ही कृपाल का साथी एक स्विस नागरिक है, फिर भी यह खुफिया ब्यूरो का काम है, न कि रॉ का, जब तक कि हम उनके मूल देश में उनकी परिचय की जांच नहीं कर रहे हैं.’’ तिवारी ने कहा, ‘‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) एक भारतीय नागरिक की यौन संबंधी पसंद की जांच कैसे कर रहा था. यहां तक कि भारत में रहने वाला एक स्विस नागरिक भी उनकी जांच के दायरे में नहीं आएगा.’’