उप्र : शून्य शुल्क प्रवेश प्रणाली बहाल करने के मुद्दे पर सपा सदस्यों ने किया विधानसभा से बहिर्गमन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को सरकार पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए उच्च कक्षाओं में शून्य शुल्क प्रवेश प्रणाली के प्रावधान को खत्म कर उनके हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया।

शून्यकाल में कार्य स्थगन की सूचना के माध्यम से उठे इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित कर रही है जिससे उन्हें और उनकी आने वाली पीढि़यों को भी नुकसान होगा।

समाज कल्याण एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने अपने जवाब में कहा कि ‘‘एक नयी व्यवस्था लाई गई है। इसके तहत छात्रों को उस संस्थान की पहचान करनी होगी जहां वे प्रवेश लेना चाहते हैं और पोर्टल के माध्यम से अपने और संस्थान के विवरण का उल्लेख करते हुए आवेदन करना होगा। उन्हें एक फ्रीशिप कार्ड मिलेगा जिसके साथ वे प्रवेश लेने के लिए संस्थान में जा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को सबसे पहले सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों में लागू किया गया है। इससे जो अनुभव मिलेगा उसके आधार पर तय किया जाएगा कि क्या इसे अगले साल से निजी संस्थानों में भी ले जाया जा सकता है या नहीं।

मंत्री ने कहा कि मुख्य ंिचता यह संतुलन बनाने की है कि उच्च शिक्षा पाने के इच्छुक सभी लोग इसे प्राप्त कर सकें और यह भी ध्यान रखा जाए कि इसमें कोई अनियमितता न हो। सपा सदस्य लालजी वर्मा ने कहा कि पहले यह व्यवस्था थी कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों को भी शून्य प्रवेश शुल्क के माध्यम से उच्च शिक्षा मिले। मौजूदा समय में इस पर रोक लगा दी गई है।

उन्होंने कहा कि जहां पहले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के 25 प्रतिशत छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 10 से नौ प्रतिशत रह गई है। ज्यादा शुल्क होने के कारण वे तकनीकी संस्थानों में प्रवेश नहीं ले पाते हैं। इसी वजह से उनका अनुपात कम हो गया है। इसे बड़े पैमाने पर कायम रखने के लिए शून्य शुल्क प्रवेश व्यवस्था बहाल करने की जरूरत है।

वर्मा ने सुझाव दिया कि कोई अनियमितता न हो इसके लिये इस योजना को भी आयुष्मान कार्ड की तर्ज पर चलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन छात्रों को शिक्षा देना हमारा संवैधानिक दायित्व है क्योंकि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की संख्या 23 प्रतिशत है। मगर शिक्षण संस्थानों में आबादी के मुताबिक उनकी ‘भागीदारी’ नहीं है।

उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में दो घंटे की चर्चा कराने की मांग की। सपा सदस्य रागिनी सोनकर ने कहा कि हालांकि भाजपा सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ की बात करती है लेकिन यह जमीन पर नजर नहीं आती।
मंत्री के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए सपा सदस्यों ने कहा कि शून्य प्रवेश शुल्क प्रणाली के बिना इन वर्गों के छात्रों के हित और अधिकार सुनिश्चित नहीं किये जा सकते। इसके बाद वे सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गये।

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