योग ने मुझे मानसिक व शारीरिक पीड़ा से बाहर निकाला : राष्ट्रपति मुर्मू

भुवनेश्वर. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि जब वह मानसिक और शारीरिक पीड़ा में थीं तब योग से उन्हें काफी मदद मिली. उन्होंने कहा कि इसके नियमित अभ्यास से लोगों को जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.
उन्होंने कहा कि भारत को ‘‘विश्वगुरु’’ के तौर पर स्थापित करने का मंत्र महिला सशक्तिकरण है. अपने गृह राज्य की दो दिवसीय यात्रा पर दिन में यहां पहुंचीं मुर्मू ने योग के अभ्यास की आवश्यकता पर जोर दिया, जो नागरिकों को आध्यात्मिक रूप से विकसित करने में मदद कर सकता है जिससे लोगों और पूरे देश का समग्र विकास हो सके.

एक धर्मार्थ संगठन ज्ञानप्रभा मिशन के स्थापना दिवस समारोह में अपने खुद के अनुभव को साझा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘एक समय में, मैंने शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को पूरी तरह से टूटा हुआ महसूस किया और फिर योग करना शुरू कर दिया. मैं आज यहां आपके सामने खड़ी हूं और सिर्फ योग के कारण आपसे बात कर रही हूं.’’ उन्होंने हालांकि विवरण नहीं दिया, लेकिन मुर्मू ने 2015 में झारखंड की राज्यपाल बनने से पहले बहुत कम समय में अपने दो बेटों, पति और भाई को खो दिया.

मुर्मू ने सभी से अपने शरीर और मन को ठीक रखते हुए बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने की अपील करते हुए कहा कि योग आत्मा और देवत्व के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है. उन्होंने कहा, ‘‘शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि तथा आध्यात्मिक जागृति के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है.’’ उन्होंने कहा कि यह भारत के प्रयासों के कारण ही हुआ है कि दुनिया को अब योग के महत्व का एहसास है.

अतीत में और मौजूदा दौर में भी महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘चाहे वह आध्यात्मिकता हो, राजनीति हो, शिक्षा हो या कोई अन्य क्षेत्र, महिलाओं ने हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. वे इंसान बनाती हैं और ये इंसान एक राष्ट्र को मजबूत बनाते हैं.’’ मुर्मू ने कहा कि भारत की आधी आबादी महिलाओं की है और उनकी उपेक्षा करके देश ‘‘विश्व गुरु’’ नहीं बन सकता है.

उन्होंने कहा कि परमहंस योगानंदजी की माता के नाम पर बना ज्ञानप्रभा एक स्वतंत्र संगठन है जोकि महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कार्य कर रहा है. ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.

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