नीति आयोग की बैठक में शामिल न होने पर भाजपा ने सिद्धरमैया की आलोचना की

बेंगलुरु. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नयी दिल्ली में हुई नीति आयोग शासी परिषद की 10वीं बैठक में शामिल नहीं होने पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की आलोचना करते हुए रविवार को कहा कि कर्नाटक इससे बेहतर का हकदार है.

भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति को उन अवसरों से जानबूझकर पीछे हटना बताया जो कर्नाटक के भविष्य को आकार दे सकते हैं. उन्होंने सिद्धरमैया पर उनकी फिसलती कुर्सी को थामे रहने के लिए बेताब होने और कांग्रेस आलाकमान को खुश करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों ने शनिवार को नयी दिल्ली में हुई बैठक में सिद्धरमैया के शामिल न होने का कारण राज्य में ”पूर्व निर्धारित कार्यक्रम” बताते हुए कहा कि उन्होंने अपना भाषण परिषद में पढ़ने के लिए भेजा था. उन्होंने स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री ने बैठक का बहिष्कार नहीं किया.

विजयेंद्र ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ह्लकर्नाटक की कांग्रेस सरकार अपने विकास कार्यों की कमी को छिपाने में असमर्थ है और वह केंद्र पर बकाया का राग अलाप रही है, मानो दिल्ली पर आरोप लगाने से उसकी विफलताएं छिप जाएंगी लेकिन शासन करने का मतलब दोषारोपण करना या शिकायतें करना नहीं होता; यह लोगों के सहयोग और प्रतिबद्धता पर आधारित साझा जिम्मेदारी होती है.” उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 में विकसित भारत के साझा दृष्टिकोण को आकार देने के लिए 10वीं नीति आयोग शासी परिषद के लिए प्रत्येक मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया तो मुख्यमंत्री सिद्धरमैया उसमें शामिल नहीं हुए.

विजयेंद्र ने कहा, ”यह सिर्फ एक नेता का किसी बैठक में अनुपस्थित रहना नहीं है – यह उन अवसरों से जानबूझकर पीछे हटना है जो कर्नाटक के भविष्य को आकार दे सकते हैं.” उन्होंने कहा, ” मुख्यमंत्री जो अपनी कुर्सी से चिपके रहने के लिए आतुर हैं, वह अपने लोगों के उत्थान की अपेक्षा अपने आलाकमान को खुश करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं. वह प्रगति से ऊपर राजनीति को प्राथमिकता देते हैं लेकिन क्या सच्चा शासन ऐसे में कभी सफल हो सकता है जब राजनीति को लोगों से ऊपर प्राथमिकता दी जाती हो?” विजयेंद्र ने कहा कि कर्नाटक इससे बेहतर का हकदार है. विजयेंद्र ने बाद में मैसूर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सिद्धरमैया से राज्य के लोगों को यह बताने का आग्रह किया कि वह नीति आयोग की बैठक में क्यों शामिल नहीं हुए.

उन्होंने कहा, ”तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश जैसे कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) शासित तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने बैठक में हिस्सा लिया, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इसमें भाग नहीं लिया. उन्हें लोगों को बताना चाहिए कि वह इसमें क्यों शामिल नहीं हुए या उन्होंने इसका बहिष्कार किया.” भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ”यह मुख्यमंत्री और सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन इतनी महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हो सकते. ऐसा लगता है कि इस मुख्यमंत्री के लिए राज्य के विकास से ज्यादा राजनीति करना महत्वपूर्ण है.”

उन्होंने कहा, ”यह राज्य के साथ अन्याय है. मुख्यमंत्री बनने के बाद से सिद्धरमैया ने केंद्र सरकार के साथ टकराव का रास्ता चुना है, जिससे कर्नाटक का कोई भला नहीं होगा.” भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के पास होसपेट में सरकार के दो साल पूरे होने का जश्न मनाने, चिन्नास्वामी स्टेडियम में आईपीएल मैच देखने और जब उनकी कुर्सी पर संकट आता है तो दिल्ली जाकर आला कमान का दरवाजा खटखटाने का समय है.

उन्होंने कहा कि उनके पास नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए न तो समय है और न ही रुचि है, जिसमें प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया. अशोक ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की बैठक में भी शामिल नहीं हुए.

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