कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ के गठन पर केंद्र व राज्य भी कर सकते हैं विचार: शाह
अहमदाबाद. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गुजरात इकाई के कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ (एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल) स्थापित करने के चुनावी वादे को एक ‘‘अच्छी पहल’’ करार दिया है और कहा है कि इस पर केंद्र और अन्य राज्य सरकारों को भी विचार करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि चुनावी राज्य गुजरात में भाजपा ने अपने ‘संकल्प पत्र’ में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने तथा संभावित खतरों और भारत विरोधी ताकतों एवं आतंकी संगठनों के ‘स्लीपर सेल’ की पहचान करने तथा उन्हें खत्म करने के लिए एक ‘कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ’ गठित करने का वादा किया है.
शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि विस्तृत जांच व पड़ताल के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाया गया और इसके जैसे संगठन यदि युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलें तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘पीएफआई की राष्ट्र विरोधी और विशेषकर युवाओं को कट्टरपंथ के जरिए आतंकवाद की ओर धकेलने की गतिविधियों से जुड़ी बहुत सारी सूचनाएं एकत्रित करने और उनके प्रमाण मिलने के बाद मोदी सरकार ने इस संगठन को प्रतिबंधित करने का फैसला किया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘और कई राज्यों ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की थी. ऐसी गतिविधियों में लिप्त किसी भी संगठनों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या गुजरात में कट्टरपंथ विरोधी प्रकोष्ठ गठित किए जाने संबंधी घोषणा को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा, शाह ने कहा, ‘‘यह एक अच्छी पहल है. इसे कानूनी स्वरूप दिया जाएगा और इसकी कार्यप्रणाली तय की जाएगी.’’ उन्होंने कहा कि सिर्फ गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश में कट्टरपंथ पर नकेल जरूरी है. शाह अपनी चुनावी जनसभाओं में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को भी जोरशोर से उठा रहे हैं. उनके मुताबिक यह ऐसा मुद्दा है जो हर चुनाव में महत्वपूर्ण है.
हालांकि विपक्षी दल भाजपा पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह शासन से जुड़े स्थानीय मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए राज्यों के चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे उठाती है. शाह ने कहा, ‘‘गुजरात की सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है या नहीं है? गुजरात की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा अलग-अलग मुद्दे नहीं हैं. और यदि देश सुरक्षित नहीं होगा तो गुजरात कैसे सुरक्षित रहेगा? इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सभी राज्यों के चुनाव में महत्वपूर्ण है.’’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘सीमावर्ती राज्य होने के चलते गुजरात के लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर संवेदनशील हैं. देश के किसी भी कोने में हम राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित होने देने का खतरा नहीं उठा सकते.’’ चुनावी अभियान में कानून-व्यवस्था का मुद्दा जोरशोर से उठाने वाले शाह ने कहा कि गुजरात में कानून-व्यवस्था में सुधार करना भाजपा सरकार की उपलब्धियों में एक रही है. ज्ञात हो कि भाजपा पिछले 27 सालों से गुजरात में सत्ता में हैं. वहां दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को मतदान होना है.