चीन ने पेलोसी पर प्रतिबंध लगाया, अमेरिका के साथ रक्षा, जलवायु परिवर्तन वार्ता रद्द की

बीजिंग/तोक्यो.  चीन ने इस सप्ताह की शुरुआत में ताइवान की यात्रा को लेकर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी और उनके परिवार पर शुक्रवार को प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. चीन ने इसी के साथ रक्षा और जलवायु परिवर्तन सहित कई अन्य क्षेत्रों में वांिशगटन के साथ अपनी वार्ता भी रद्द कर दी.

82 वर्षीय पेलोसी पिछले 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिका की सबसे शीर्ष अधिकारी हैं. वह मंगलवार को स्व-शासित द्वीप पहुंची थीं, जिससे चीन भड़क गया था. दरअसल, चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है और विदेशी सरकारों के साथ उसके संबंधों का विरोध करता है.

चीनी विदेश मंत्रालाय ने पेलोसी के दौरे की आलोचना करते हुए बींिजग में अमेरिकी राजदूत क्रिस बर्न्स को तलब कर कड़ा विरोध दर्ज कराया था और ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र में चार दिन के व्यापक सैन्य अभ्यास की घोषणा की थी. शुक्रवार को मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पेलोसी और उनके परिवार पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की.

बयान के मुताबिक, पेलोसी ने स्व-शासित द्वीप की अपनी यात्रा को लेकर चीन की ंिचताओं और विरोध की अवहेलना की है. इसमें पेलोसी के ताइवान दौरे को उकसावे वाली कार्रवाई के साथ-साथ चीन के आंतरिक मामलों में दखल करार दिया गया है. बयान में कहा गया है कि यह कदम चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है, एक-चीन सिद्धांत को रौंदता है तथा ताइवान जलडमरूमध्य क्षेत्र में शांति व स्थिरता के समक्ष गंभीर खतरा पेश करता है.

बयान के अनुसार, ‘‘पेलोसी के गंभीर उकसावे वाले कदम के जवाब में चीन ने पीपुल्स रिपब्लिक आॅफ चाइना के प्रासंगिक कानूनों के तहत पेलोसी और उनके परिवार के सदस्यों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है.’’ हालांकि, पेलोसी और उनके परिवार पर लगाए गए प्रतिबंधों को सांकेतिक माना जा रहा है, जिनके तहत वे चीन की यात्रा नहीं कर सकेंगे. इससे पहले, चीन ने तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो सहित पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के 28 अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए थे.

एक अन्य बयान में चीनी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के खिलाफ कुछ और जवाबी कदम उठाने की घोषणा की, जिसमें चीन-अमेरिका थिएटर कमांडर वार्ता, चीन-अमेरिका रक्षा नीति समन्वय वार्ता (डीपीसीटी) और चीन-अमेरिका सैन्य समुद्री सलाहकार समझौते (एमएमसीए) की बैठकों को रद्द करना शामिल है.

मंत्रालय ने अवैध अप्रवासियों के प्रत्यावर्तन, आपराधिक मामलों में कानूनी सहायता और अंतरराष्ट्रीय अपराधों के खिलाफ कार्रवाई में चीन-अमेरिका सहयोग को निलंबित करने, नशीले पदार्थों के खिलाफ सहयोग खत्म करने और जलवायु परिवर्तन पर चीन-अमेरिका वार्ता रद्द करने की भी घोषणा की.

दोनों देशों के बीच रक्षा वार्ता को रद्द किया जाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि वर्तमान में तीव्र रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता में शामिल प्रमुख शक्तियां समय-समय पर परामर्श करती रहती हैं. पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में आकस्मिक संघर्ष के खतरे को टालने में मदद मिलती है, जहां अमेरिका ने नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर देने के लिए हाल के महीनों में नौसैनिक और हवाई अभियान तेज किए हैं.

अमेरिकी अधिकारियों को ताइवान की यात्रा करने से नहीं रोक सकता चीन : पेलोसी
अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने शुक्रवार को कहा कि चीन, अमेरिकी अधिकारियों को ताइवान की यात्रा करने से रोककर स्व-शासित द्वीप को अलग-थलग नहीं करेगा. उन्होंने अपनी एशियाई यात्रा के अंतिम चरण में तोक्यो में यह टिप्पणी की. पेलोसी ने चीन के कड़े विरोध के बावजूद ताइवान की यात्रा की है. वह 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिकी संसद की पहली अध्यक्ष हैं.

पेलोसी ने कहा कि चीन ने ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश की, जिसमें हाल में उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन में शामिल होने से रोकना शामिल है. उन्होंने कहा, ‘‘वे ताइवान को अन्य स्थानों पर जाने या भाग लेने से रोक सकते हैं लेकिन वे हमें ताइवान की यात्रा करने से रोककर उसे पृथक नहीं करेंगे.’’ अमेरिकी नेता ने कहा कि ताइवान की उनकी यात्रा का मकसद द्वीप के लिए यथास्थिति में बदलाव लाना नहीं था बल्कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति बनाए रखना था. उन्होंने ताइवान में बड़ी मुश्किल से स्थापित किए गए लोकतंत्र की तारीफ की. साथ ही उन्होंने व्यापक समझौतों के उल्लंघन, हथियारों के प्रसार और मानवाधिकार समस्याओं के लिए चीन की आलोचना की.

पेलोसी ने बुधवार को ताइपे में कहा था कि स्व-शासित द्वीप तथा दुनिया में कहीं भी लोकतंत्र के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता ‘‘अटल’’ है. पेलोसी और संसद के पांच अन्य सदस्य ंिसगापुर, मलेशिया, ताइवान और दक्षिण कोरिया की यात्रा करने के बाद बृहस्पतिवार देर रात तोक्यो पहुंचे.

गौरतलब है कि ताइवान पर अपना दावा जताने वाले चीन ने पेलोसी की यात्रा को उकसावा बताया था और बृहस्पतिवार को ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में मिसाइल दागने समेत सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था. उसने धमकी दे रखी है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह ताइवान पर बलपूर्वक कब्जा जमा लेगा. इससे पहले जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शुक्रवार को कहा कि ताइवान की ओर लक्षित चीन का सैन्य अभ्यास एक ‘‘गंभीर समस्या’’ को दिखाता है, जिससे क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा को खतरा है.

दरअसल, अभ्यास के तौर पर चीन द्वारा दागी गयी पांच बैलिस्टिक मिसाइलें जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गिरीं.
किशिदा ने अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी और सांसदों के उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ सुबह के नाश्ते के बाद कहा कि मिसाइल प्रक्षेपणों को ‘‘तुरंत रोके’’ जाने की आवश्यकता है.

जापान के रक्षा मंत्री नुबुओ किशी ने कहा कि जापान के मुख्य द्वीप के सुदूर दक्षिण में स्थित हातेरुमा में बृहस्पतिवार को पांच मिसाइलें गिरीं. उन्होंने कहा कि जापान ने यह कहते हुए चीन के समक्ष विरोध दर्ज कराया है कि मिसाइलों से ‘‘जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा और जापानी लोगों की ंिजदगियों को खतरा है, जिसकी हम कड़ी ंिनदा करते हैं.’’ जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने कहा कि चीन के कदम ‘‘क्षेत्र तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय में शांति एवं स्थिरता को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं तथा हम सैन्य अभ्यास को तत्काल रोके जाने की मांग करते हैं.’’ हयाशी कंबोडिया में एक क्षेत्रीय बैठक में भाग ले रहे हैं.

किशिदा ने कहा कि शुक्रवार को सुबह के नाश्ते पर पेलोसी और कांग्रेस के उनके प्रतिनिधिमंडल ने चीन, उत्तर कोरिया और रूस को लेकर अपनी साझा सुरक्षा ंिचताओं पर चर्चा की तथा ताइवान में शांति एवं स्थिरता के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता जतायी. जापान और उसका मुख्य सहयोगी अमेरिका चीन के बढ़ते दबदबे से निपटने के लिए ंिहद-प्रशांत क्षेत्र और यूरोप में अन्य लोकतंत्रों के साथ नयी सुरक्षा और आर्थिक रूपरेखाओं पर जोर देता रहा है.

बृहस्पतिवार को सात औद्योगिक राष्ट्र के समूह के विदेश मंत्रियों ने एक बयान जारी कर अमेरिका और चीन दोनों से दौरे के मद्देनजर ‘‘अधिकतम संयम’’ बरतने और ‘‘भड़काऊ कार्रवाई से बचने’’ को कहा था वहीं, चीन ने बृहस्पतिवार को कंबोडिया में दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) की बैठक से इतर चीन और जापान के विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता अंतिम क्षण में रद्द करने पर नाखुशी जतायी.

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