अवमानना मामला : अदालत ने विवेक अग्निहोत्री से पेश होकर पछतावा जताने को कहा

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश से जुड़ी टिप्पणी करने से जुड़े अवमानना के आपराधिक मामले में मंगलवार को फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया. अपनी कथित टिप्पणी के लिए अग्निहोत्री द्वारा हलनामे के माध्यम से बिना शर्त माफी मांगे जाने के बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें पेश होने को कहा. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने सवाल किया कि क्या अग्निहोत्री को इस अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने में कोई दिक्कत है.

पीठ ने अग्निहोत्री के वकील से कहा, ‘‘हम उनसे (अग्निहोत्री) यहां पेश होने को कह रहे हैं क्योंकि उनपर अवमानना का आरोप है. क्या उन्हें इस अदालत के समक्ष पेश होने में कोई दिक्कत है? उन्हें उपस्थित होना होगा और व्यक्तिगत रूप से पश्चाताप दिखाना होगा.’’ पीठ ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत रूप से पछतावा व्यक्त करने में क्या उन्हें कोई दिक्कत है? पछतावा हमेशा हलफनामे के रूप में नहीं किया जा सकता है.’’ अग्निहोत्री के अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि फिल्म निर्माता ने हलफनामे में बिना शर्त माफी मांगी और कहा है कि उन्होंने स्वयं न्यायमूर्ति के खिलाफ किया गया वह ट्वीट डिलीट (हटाया) किया था.

हालांकि, ‘न्याय मित्र’ द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि उपरोक्त कथन गलत है और अग्निहोत्री द्वारा किए गए ट्वीट को ट्विटर ने हटाया था. इसपर पीठ ने अग्निहोत्री के अधिवक्ता से कहा, ‘‘वह अदालत के समक्ष पेश हो जाएं, फिर उसी वक्त आप यह सारी बातें कह सकते हैं.’’ पीठ ने कहा कि इस अदालत के समक्ष पेश होना कोई तकलीफ की बात नहीं है और कहा कि ‘‘उन्हें पेश होने दें. क्या इस अदालत के समक्ष पेश होने में कोई दिक्कत है? आशा करते हैं कि ऐसा नहीं है.’’ गौरतलब है कि अदालत अग्निहोत्री की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर चलाए जा रहे अवमानना के आपराधिक मामले में स्वयं को पक्ष बनाने का अनुरोध किया था.

पीठ ने मंगलवार को अग्निहोत्री को आगे से इस मुकदमे का हिस्सा बनने की अनुमति दे दी और उनसे 16 मार्च, 2023 को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने को कहा. गौरतलब है कि अग्निहोत्री ने 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर के खिलाफ ट्वीट किए थे. न्यायमूर्ति मुरलीधर फिलहाल ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं.

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