विज्ञापनों को लेकर अदालत के आदेश के खिलाफ भाजपा की याचिका पर विचार करने से न्यायालय का इनकार…

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चुनावी विज्ञापनों के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की याचिका पर विचार करने से सोमवार को मना कर दिया।

याचिका में लोकसभा चुनाव के दौरान कथित रूप से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन जारी करने से रोकने के उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करने के अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया, विज्ञापन अपमानजनक है।’’ पीठ ने मामले में विचार करने पर अनिच्छा प्रकट की जिसके बाद भाजपा की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 22 मई को एकल पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें भाजपा को लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन करने वाला कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 20 मई को एक आदेश जारी कर भाजपा को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने से चार जून तक रोक दिया था। लोकसभा चुनाव प्रक्रिया चार जून को समाप्त होगी।
अदालत ने आदेश में भाजपा को उन विज्ञापनों को प्रकाशित करने से भी रोक दिया था, जिनका उल्लेख तृणमूल कांग्रेस ने अपनी याचिका में किया था। तृणमूल कांग्रेस ने विज्ञापन में पार्टी और कार्यकर्ताओं के खिलाफ असत्यापित आरोप लगाए जाने का दावा किया है।

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